Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

छलावा भाग 2

छलावा भाग 2

3 mins
7.4K


छलावा  

भाग 2

             अपने ऑफिस में बैठा विक्रांत मोहिते घटनाक्रम पर विचार कर रहा था। तमाम उठापटक के बावजूद किसी तरह का सूत्र नहीं मिल पा रहा था। हर बार एक नए चमचमाते सुए से हत्यारा लोगों को मार रहा था। मुम्बई शहर में छोटी बड़ी हजारों हार्डवेअर की दुकानें थीं और सबमें वैसे सुए बिकते थे। उन सुओं के अलावा किसी भी लाश के पास कुछ सबूत नहीं पाया गया। और उस छलावे ने भिन्न-भिन्न हैसियत के लोगों को अपना शिकार बनाया था जिसके कारण उसके सामाजिक स्तर के बारे में कोई विचार बना पाना सम्भव नहीं हो रहा था। अब बख़्शी के आगमन से थोड़ी उम्मीद हुई थी क्यों कि बख़्शी बहुत काबिल तो था ही, व्यक्तिगत रूप से भी मोहिते बख़्शी का बड़ा प्रशंसक था। अभी वो यही सब सोच रहा था कि अचानक कमरे में बख़्शी का आगमन हुआ। 

"अरे वाह! मोहिते उठ कर सलाम करता हुआ बोला, अभी आपको ही याद कर रहा था सर! कि आप आ गए। 

"बैठो! बैठो!"

उसके कंधे पर दबाव देते हुए बख़्शी बोला और खुद भी उसके सामने की कुर्सी पर बैठ गया। फिर मोहिते की आँखों में झांकता हुआ बोला, हमें साथ काम करना है तो ऐसी औपचारिकताओं में न पड़ना ही बेहतर है। हत्यारा बहुत तेज है हमें उससे भी तेज होना पड़ेगा! जल्दी चाय पिलाओ फिर हॉस्पिटल चलकर लाश का मुआयना  करते हैं। 

मोहिते ने तुरन्त मेज पर लगी घण्टी बजाई और चिल्लाया माने! दो कप स्पेशल चाय!

         बख़्शी और मोहिते दोपहर बाद पुलिस हस्पताल पहुंचे। बख़्शी ने वह सुआ लेकर थोड़ी देर तक ध्यानपूर्वक देखा जो मृतक की आँख से निकाला जा चुका था उसने हाथ में सुआ पकड़ा और इसके पहले कि मोहिते सम्भल पाता उसने अचानक मोहिते की बायीं आँख को निशाना बनाकर जोर से हाथ घुमाया। मोहिते कुर्सी पर बैठा ध्यान से बख़्शी को देख रहा था उसके मुंह से एक भयानक चीख निकली और वो कुर्सी समेत पीछे को उलट गया। तब तक बख्शी का हाथ उसके मुंह से कुछ इन्च पहले ही स्थिर हो चुका था। बख्शी ने एक जबरदस्त फरमाइशी ठहाका लगाया और मोहिते की हड़बड़ी का मजा लेने लगा जो अब किसी तरह उठ चुका था।

आपने तो मार ही डाला सर! वो रुआंसी आवाज में बोला, कम से कम बता तो देते!

"बताने पर मुझे वो प्रतिक्रिया नहीं मिलती जो मैं देखना चाहता था मोहिते"! मैं देखना चाहता था कि हत्यारा किस तेजी से वार करता है और मकतूल की क्या प्रतिक्रिया होती है! बख़्शी बोला, जो अब तक उसकी बौखलाहट देखकर मुदित था।

फिर दोनों मोर्ग पहुंचे जहाँ मृतक का शव पड़ा हुआ था। यह एक सेल्समैन था जो कल ही सूरत से बिजनेस के सिलसिले में यहाँ आया था और कोई सस्ता होटल ढूंढने के लिए शायद माहिम के उस इलाके में भटक रहा था जहाँ कातिल उससे टकरा गया होगा। उसकी लाश देखकर पता चल रहा था कि उसे सम्भलने का भी मौका नहीं मिल पाया था और कातिल के एक ही नपे तुले वार ने इसकी जान ले ली थी। 

       बख़्शी ने उसकी लाश का बारीकी से मुआयना किया और लाश को उलट दिया और उसकी पीठ को देखते ही बुरी तरह चौंक पड़ा। उसके चेहरे पर जो हाहाकारी भाव आए उन्हें देखकर मोहिते भी घबरा गया। वो अभी तक थोड़ी दूरी पर खड़ा था अब तुरन्त झपट कर लाश के पास पहुंचा और उसने भी झाँक कर देखा तो उसके भी होश उड़ गए। उसे अपनी आँखों पर मानो विश्वास ही नहीं हुआ। उसने कातर दृष्टि से बख़्शी की ओर देखा। उसे बख्शी के जबड़े भी बुरी तरह कसे हुए महसूस हुए और उसने बख़्शी के मुंह से निकल रहे यह शब्द सुने, "छोड़ूंगा नहीं!!

कहानी अभी जारी है ......

आखिर क्या देखा था बख़्शी और मोहिते ने जिसने उनकी हालत बदतर कर दी?

आखिर कौन था छलावा?

पढ़िए भाग 3 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Thriller