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अनचाहा बन्धन

अनचाहा बन्धन

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"क्या बात है क्यों मुस्कुरा रहे हो "-लिली ने प्रेम से पूछा।

"आज घर बात हुई है माँ से।"

"अच्छा क्या कह रही थी तुम्हारी माँ।"

"बस यूं ही।"

"फिर भी कुछ तो तुमने हमारे रिश्ते के बारे में बताया उनको।"

"ओह कम ऑन लिली ,इसमे बताने जैसा क्या है।"

"क्या मतलब है तुम्हारा ,हम एक दूसरे से प्यार करते हैं ,बताना था तुम्हे उन्हें आखिर हमारे रिश्ते को मुहर तो वे ही लगाएंगी।"

"कैसा रिश्ता लिली।"

"प्यार का भूल गए क्या तुम ,इसी प्यार की वजह से हम इतने दिनों से लिव इन मे रह रहे थे वरना अनजान शहर में... "

"बस यही तो मैं कहना चाहता हूँ जो लड़की अनजान शहर में किसी लड़के के साथ लिव इन मे रह जाये ,उसके बारे में घर वालो को क्या रिश्ता बताऊँ। "प्रेम ने कहा।

लिली और प्रेम एक ही कॉलेज में पढ़ते थे अब साथ ही जॉब कर रहे हैं दोनो की नजदीकियां प्यार में बदल गई और दोनो साथ ही एक फ्लैट लेकर रहने लगे, प्रेम के मन मे न जाने क्या था पर लिली तो उससे सच मे बहुत प्यार करने लगी पर आज प्रेम की बात सुनकर उसका मन बैठे जा रहा था।

"प्रेम तुम क्यो ऐसी बात कर रहे हो " लिली ने कहा।

"क्योंकि अब मैं तुम्हारे साथ नही रहना चाहता मेरी माँ ने मेरे लिए अच्छे घर की सुंदर लड़की पसन्द कर ली है और आज मैं कानपुर घर जा रहा हूं अपने ,मैं तुम्हारे साथ अनचाहे बन्धन में नही बंधना चाहता मैं अपने माँ की पसन्द की लड़की से ही ब्याह करूंगा "कहकर प्रेम अपना बैग उठा रूम से बाहर चला गया।

लिली धम्म से जमीन पर बैठ गई, उसके प्यार का क्या सिला मिला उसे।


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