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वारिस बेटा ही क्यों बेटी क्यों न

वारिस बेटा ही क्यों बेटी क्यों न

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आज सुधा के बचपन की सहेली मिलने आने वाली थी, तो बहुत खुश थी वो। अपनी बहु रचना से कहती है कि सारी तैयारी खाने की अच्छे से कर लेना और हाँ बहु खाने में मिर्च कम डालना। नगमा को बचपन से ही तीखा पसंद नहीं है। रचना की दो बेटियाँ थीं, अपनी दादी की आँखों की तारा थी। दोनों पोतियों में कभी कोई भेद नहीं की। सुधा जी कभी पोते की चाह नहीं की, वह खुश थी अपने इस छोटे से संसार में।

वो कहते हैं ना कि हमारे पास कोई ना कोई नाकारात्मक सोच वाले रहते हैं, वैसे ही थी सुधा जी की दोस्त नगमा। नगमा जी का आगमन होता है। रचना ने भी खातिरदारी में कोई कमी नहीं की और खाना खाकर नगमा ने खूब तारीफ की कि तेरी बहु खाना बहुत अच्छा बनाती है।

दोनों सहेलियां मिल अपनी पूरानी यादें ताजा कर रही थी, तभी स्कूल से माही और मीठी आती हैं। सुधा पोतियों से नगमा के पैर छुने के लिए कहती है। दोनों पोतियों को आशीर्वाद देती है नगमा और कहती है कि तेरी पोतियां कितनी प्यारी हैं, बस भगवान इस घर का एक वारिस दे दे।

रचना अभी चुप ही थी कि सुधा जी बोल पड़ी- "कैसी बात कर रही हो नगमा? हम खुश हैं कि हमें भगवान ने हमारे घर दो बेटियाँ दी हैं और यही हमारे घर की वारिस हैं| वारिस बेटा ही क्यो बेटी क्यो नहीं?"

"अरे सुधा, बेटियां तो पराये घर चल जाती हैं और बेटा ही हमेशा साथ निभाते हैं और घर का वंश बढाते हैं।" अगर तूने भी दूसरी पोती के समय जांच कराके "अबार्शन" करा ली होती तो बाद मे एक पोता अब तक घर आता।

"देखो नगमा लोग क्या सोचते हैं मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता,और मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं कि मेरे घर दुसरी पोती आई है, वैसे बेटी तो बस पराये घर जाती है शादी के बाद| मगर बेटे तो शादी बाद पराये हो जाते हैं। पराये घर जाने के बाद भी बेटियों को मुसीबत में आवाज दें तो तुरंत आ जाती है। वैसे देखा जाए तो साथ बेटियाँ ही निभाती हैं। जरा सी सोच बदलने की जरूरत है वरना वंश तो बेटी के बच्चों से भी बढता है।"

सुधा की बात सुनकर नगमा की सोच बदल गई। "सच तू जैसी थी अब भी वैसी है। अपने आस-पास साकारात्मक उर्जा फैलाई हुई।"

सुधा कहती है "और तू नाकारात्मक!" दोनों हसने लगती हैं।

नगमा के जाने के बाद रचना सुधा के पास जाती है और कहती है "माँजी आज आपकी बात सुनकर जाना कि आपको तकलीफ नहीं है इस बात की कि मैं आपको पोता नहीं दे सकती। सच में मैंने पिछले जनम मैंने कोई अच्छे कर्म किये होंगे जो मुझे आप जैसी सासूमाँ मिली हैं।


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