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Rohit Verma

Tragedy others inspirational tragedy

3.0  

Rohit Verma

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कोरोना वायरस और पृथ्वी

कोरोना वायरस और पृथ्वी

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कोरोना वायरस ये क्यों इंसान के लिए एक माहामारी बन रहा है। कोरोना वायरस इंसान के लिए यमराज बन रहा है। क्या इंसान के पाप का घड़ा भर चुका है ? कुछ लोग बिना ग़लती के भी फँस जाते है। भगवान है तो इस मुश्किल से क्यो नहीं बचा रहे आज वहीं दरबार बंद हो गए है। कोरोना वायरस हम सबको मज़ाक लग रहा होगा लेकिन मौत करीब आती है तो हर किसी को डर लगता है। आदमी आदमी को मार रहा है जब कहाँ गई थी इंसानियत. कोरोना वायरस को भारत में रोक रखा है लेकिन विदेश में एक बार नज़र मारोगे डर जाओगे। इंसान तो वैसे भी रिश्ते भुला चुका था उठना बैठना भी भुला चुका था और अब कोरोना वायरस ने सच कर दिया। अच्छे लोगो को लात मारते है बुरे लोगो को सलाम मारते है। इंसान की ज़िन्दगी इतनी सस्ती होगी ये नहीं पता था लेकिन कोरोना वायरस ने बता दिया। धोखाधड़ी और धोखा ये ही चलता रहा तो समाज चल नहीं पायेगा। ज़िंदा रखना है तो प्रेम रखो न कि नफरत की आग. पैसों का घमंड भी इस कोरोना वायरस के आगे कुछ नहीं। मेल - मिलाप खत्म, शादी खत्म, रिश्ते खत्म, नौकरी खत्म, आदमी खत्म, औरत खत्म, दुनिया खत्म सब खत्म सा लग रहा है। ईश्वर ने भी हाथ खड़े कर दिए लगता है। पंछी उड़ रहे अपनी आज़ादी से इंसान घर में फँसा अपनी नादानी से हम इतना व्यस्त थे कि किसी के लिए समय नहीं निकालते थे आज वहीं समय रुक गया है। ये कुछ नहीं ईश्वर का प्रलय है जो इंसान को कुछ बताना चाहता है।



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