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Prashant Subhashchandra Salunke

Inspirational

5.0  

Prashant Subhashchandra Salunke

Inspirational

अकेली

अकेली

8 mins
518


"तुम कब तक यूँ अकेली रहोगी?” लोग उससे जब तब यह सवाल कर लेते हैं और वह मुस्कुरा कर कह देती है," आप सबके साथ मैं अकेली कैसे हो सकती हूं।"

उसकी शांत आँखों के पीछे हलचल होनी बन्द हो चुकी है। बहुत बोलने वाली वह लड़की अब सबके बीच चुप रह कर सबको सुनती है जैसे किसी अहम जवाब का इंतजार हो उसे।

जानकी ने दुनिया देखी थी उसकी अनुभवी आँखें समझ रहीं थीं कि कुछ तो हुआ है जिसने इस चंचल गुड़िया को संजीदा कर दिया है लेकिन क्या?

" संदली!, क्या मैं तुम्हारे पास बैठ सकती हूं?", प्यार भरे स्वर में उन्होंने पूछा।

" जरूर आंटी, यह भी कोई पूछने की बात है।", मुस्कुराती हुई संदली ने खिसक कर बेंच पर उनके बैठने के लिए जगह बना दी।

" कैसी हो ? क्या चल रहा है आजकल ? ", जानकी ने बात शुरू करते हुए पूछा।

" बस आंटी वही रूटीन, कॉलिज- पढ़ाई....", संदली ने जबाब दिया।" आप सुनाइये।"

" बस बेटा, सब बढ़िया है। आजकल कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं।" चश्मे को नाक पर सही करते हुए जानकी ने कहा।

" अरे वाह! क्या सीख रही है इन दिनों?" संदली ने कृत्रिम उत्साह दिखाते हुए कहा जिसे जानकी समझ कर भी अनदेखा कर गई। कुछ ख़ास नहीं बस यूँ ही वक्त गुजारने के लिए कुछ न कुछ करती रहती हूँ। वैसे तू बता... मैं कई दिनों से देख रही हूँ की तुम गुमसुम सी बैठी रहती हो, किसी से कुछ बोलती नहीं बस अपने में ही खोई रहती हो. क्या बात है?”

संदली सहम सी गई, “कुछ नहीं आंटी। मैंने कहा न ऐसा कुछ नहीं है। आप खामखाँ परेशान हो रही है।“

जानकी बोली, “तू कितना भी छुपाने की कोशिश कर लेकिन में जानती हूँ की ज़रुर कोई बात है। बोल बेटी सब ठीक तो है न?“

संदली ने आसपास कोई मौजूद तो नहीं है यह देख मध्यम स्वर में कहा, “आंटी, मुझे वचन दीजिए की मैं आप से जो कुछ भी कहूँगी वह आप किसी से नहीं कहेंगी।”

जानकी ने संदली को विश्वास दिलाते हुए हाँ में सिर हिलाया।

संदली ने कहा, “आंटी, कई दिनों से मैं बड़ी परेशान हूँ। कॉलेज से लौटते वक्त वो नुक्कड़ पर खड़े रहते आवारा लड़के आए दिन मुझे परेशान करते रहते है। मुझे देख वह गंदे गंदे इशारे करते है और...” उसके बाद संदली ने जो कुछ भी कहा वह सुन जानकी की आँखें गुस्से से लाल हो गई, “कब से चल रहा है यह सब?”

संदली झिझक कर बोली, “यही कोई हफ्ते भर से।“

जानकी, “और यह तुम मुझे आज बता रही हो?”

संदली, “आंटी, वह में डर गई थी। सोचा आप सबको कैसे बताती... अगर आप लोगों ने मुझे ही गलत समझ लिया होता तो?”

जानकी, “हम तुम्हें क्यों गलत समझते? देख बेटी, तेरे माँ-बाप के गुजर जाने के बाद हम सबने ही तेरी परवरिश की है। हमें हमारी परवरिश पर कैसे संदेह हो सकता है? शायद तू ही हमें पराया समझ रही है इसलिए तो...”

संदली ने जानकी के मुँह पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “ऐसा मत कहिए आंटी, आप सबके अलावा मेरा इस दुनिया में है ही कौन?”

जानकी, “अब समझी की तू क्यों सबके साथ घुलने मिलने से डरती थी। तुझे शायद इस बात का डर था की कही वह आवारा लड़के आकर सबके सामने तुझे जलील न करे। तू चुपचाप एक कोने में बैठकर सबकी बातें सुनकर यह जानने की कोशिश करती थी की कोई तेरे बारे में अनाप शनाप तो नहीं बोल रहा न!“

संदली, “हाँ, आंटी...”

जानकी बोली, “चिंता मत कर। मैं सब ठीक कर दूँगी।“

संदली बोली, “आंटी, आप क्या करने का सोच रही है?”

जानकी, “तुझे डर था न की कही वह आवारा लड़के तुझे सबके सामने जलील न करे? अब देख मैं उनको कैसे सबके सामने जलील करती हूँ। कल कॉलेज से छूटने के बाद तू हमेशा की तरह ही उस नुक्कड़ वाली गली से गुजरना। देखती हूँ वह हरामजादे तुझे कैसे परेशान करते है।“

संदली, “आंटी, वे लोग बड़े खतरनाक है, आप उनसे उलझने की सोचना भी मत।“

जानकी, “बिटिया, अपने बच्चों के लिए तो चिड़िया तक शेर के सामने हो जाती है तब मैं तो एक औरत हूँ। माँ काली का रूप हूँ। तू डर मत... बस तेरी आंटी का कमाल देखती जा।“

ऐसा बोल जानकी बेंच पर से उठ खड़ी हुई, “चल, अब मैं चलती हूँ।“ ऐसा बोल वह वहाँ से जाने लगी। संदली को उनकी चाल में अजब का आत्मविश्वास दिखा।


दूसरे दिन...

संदली कॉलेज से छूटने के बाद रोज की तरह उसी नुक्कड़ के सामने आई। वहां खड़े उन आवारा लड़कों को देख वह सहम गई। उसके पैर अपनी जगह ही रुक से गए। अगले ही पल जानकी आंटी की बात याद आते ही उसमें हिम्मत आई और उसने अपने कदम आगे बढ़ाए।

उसे आया देख एक आवारा लड़के ने गंदे इशारे करते हुए कहा, “कहाँ से आ रही हो मेरी जान?”

दूसरा बोला, “कॉलेज से क्या नया सिख कर आई हो जानेमन? जरा हमें भी तो सिखाओ ना।“

तभी एक कोने में छुपी जानकी आंटी बाहर निकलकर बोली, “क्या सीखना है तुम्हें बेटा, आओ मैं तुम्हें सिखाती हूँ।“

जानकी आंटी को यूँ अचानक अपने सामने आया देख संदली की जान में जान आई और उन आवारा लड़कों को परेशानी हुई। उन्हें जानकी आंटी का यूँ अपने काम में रुकावट पैदा करना जरा भी अच्छा लगा नहीं। “ए बुढ़िया, चल भाग यहाँ से... वरना तेरी एसी हालत करेंगे की तेरी सात पुश्ते याद रखेंगी।“

यह सुनकर जानकी आंटी बोली, “आओ बेटा सबसे पहले मैं तुम्हें वह चीज सिखाती हूँ जिसकी तुम सबको बहुत जरूरत है... और वह है तमीज।“

एक आवारा लड़का यह सुन आग बबूला हो उठा, “बुढ़िया तू हमें तमीज सिखाएगी?” ऐसा बोल उसने जानकी आंटी को धक्का देने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था की आश्चर्य!!! फुर्ती से जानकी आंटी ने उस आवारा लड़के के बढ़ाये हुए हाथ को एक ओर धकेलते हुए पलटवार किया! अगले ही क्षण वह आवारा लड़का ज़मीन पर गिरा धूल चाट रहा था। यह सब इतनी तेजी से हो गया था की किसी को कुछ पता ही नहीं चला। संदली को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। बुत बनी वह यह सब देख रही थी। अपने दोस्त को यूँ ज़मीन पर गिरा देख बाकी के आवारा लड़कों का खून खौल उठा। जानकी आंटी को सबक सिखाने के लिए वो आगे तो बढ़े लेकिन अगले ही पल सब के सब ज़मीन पर गिरे अपने दोस्त के साथ धूल चाटने में उसका साथ देने लगे। एक औरत के हाथों यूँ पिटा जाना उन आवारा लड़कों को गवारा न था। फुर्ती से अपनी जेब से चाकू निकालकर वे अपनी जगह पर उठ खड़े हुए। लेकिन अगले ही पल जानकी आंटी के आसपास लठ्ठ लिए खड़े बंदों को देख उनके होश उड़ गए!

उनमें से एक बंदा बोला, “क्यों बे... औरत के सामने चाकू निकालता है? तुमने क्या समझा की हमारी संदली दीदी के माँ-बाप नहीं है तो वह लाचार और बेबस है? कल ही जानकी आंटी ने तुम सबके बारे में हमें बता दिया था। हम तो पुलिस कम्पलेंट ही करने जा रहे थे लेकिन जानकी आंटी ने तुम्हारे भविष्य की चिंता करते हुए हमें रोक लिया। लेकिन इसके बाद हम कुछ भी सोचेंगे नहीं। आइंदा हमारी बहन की तरफ आँख उठाकर भी देखा तो हम तुम्हारी आँखें नोच लेंगे। ग़लती से भी यह मत समझना की संदली बहन अकेली है क्योंकि इस बस्ती में रहनेवाला हर मर्द उसका भाई है... बाप है। चलो भागो यहाँ से....”

उन आवारा लड़कों को यूँ दुम दबाकर भागता देख संदली हँस पड़ी...

संदली को यूँ खिलखिलाते हुए हँसता देख जानकी आंटी बोली, “कई दिनों के बाद आज यूँ हँसती मुस्कुराती हुई मेरी बिटियाँ कितनी सुंदर दिख रही है। तुझे किसी की नजर न लग जाए।“ एसा बोल जानकी आंटी ने अपनी आँखों में ऊँगली फेर उसका काजल निकालकर संदली के गाल पर काला टिका लगाते हुए कहा, “देखा बिटिया? तुम खामखाँ इतने दिनों से परेशान हुए जा रही थी। बिटिया, ऐसे आवारा लोगो की आवारागीर्दी का हमने पलट कर जवाब नहीं दिया तो वे उसे हमारी बुजदिली समझ बैठते है और ऐसे में उनकी हिम्मत और बढ़ती है। फिर इन आवारा लोगो को हैवान बनते देर नहीं लगती! इसलिए किसी भी लड़की को अगर किसी के गलत इरादों के बारे में जरा सा भी संदेह हो तो फौरन अपने क़रीबी लोगो को या पुलिस को बता देना चाहिए। बिटिया हमेशा याद रख की छोटी से छोटी बीमारी का वक्त रहते इलाज न किया जाए तो वह नासूर बन जाती है और फिर उसका दर्द ताउम्र सहना पड़ता है।“

कुछ सोचकर संदली ने पूछा, “वैसे आंटी इन दरिंदो को आप इतनी आसानी से कैसे धूल चटा सकी?”

जानकी आंटी, “वह मैंने तुझे कहा था न की आजकल कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं।“

संदली बोली “हाँ पर वह नया क्या सिख रही हो वह तो बताया ही नहीं था!”

जानकी आंटी, “सेल्फ डीफेंस के लिए जुडो-कराटे के दाँव सिख रही हूँ।“

संदली, “जुडो-कराटे और वह भी इस उम्र में!!!”

जानकी आंटी हँस कर बोली, “बिटिया, सिखने की कोई उम्र नहीं होती और वैसे भी आजकल की हालत देखते हुए मेरा तो मानना है की हर औरत को सेल्फ डीफेंस के दाव सिखने ही चाहिए।“

पास खड़ा एक बंदा बोला, “बेटी, आगे से वह आवारा लड़के तुझे परेशान करेंगे तो हमें ज़रुर बताना। देखना फिर हम उनका क्या हाल करते है।“

दूसरा बोला, “दीदी, कभी भी अपने आप को अकेली महसूस मत करना" संदली हँस कर बोली, “अरे! मैं तो हमेशा से ही कहती हूँ की आप सबके साथ मैं अकेली कैसे हो सकती हूं। वैसे भी हमारे भारत के सभी नागरिक आप ही की तरह अपने देश की लड़की को अपनी माँ-बहन समझने लगेंगे तो कोई लड़की अपने आपको कभी भी... कही भी... महसूस नहीं करेगी अकेली!"



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