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Shanti Prakash

Drama

4.8  

Shanti Prakash

Drama

अब आप ही बताओ

अब आप ही बताओ

3 mins
876


मैं और वो एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। वो बीएससी में थी और मैं बीए पास कोर्स में। यूनिवर्सिटी स्पेशल में जाया करते थे। कभी-कभी वो शाम को भी यू स्पेशल में मिल जाया करती थी। एक दिन मैं बस में खिड़की वाली सीट पर बैठा था। साथ में कोई फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट बैठा था। अचानक मैंने बायीं और देखा की वो, बाद में पता चला, उसे जबी कहते हैं, अपने बाएं हाथ में भारी ३-४ किताबे अपने सीने से लगा कर उठा रखी थी। दाएं कंधे पर एक लेडीज बैग भी था। मैं सोचने लगा सीट इन्हें दे दूँ या इनसे किताबे ले कर अपने पास रख लूँ ताकिं वो आराम से खड़ी हो जाएँ। फिर लगा भाई, आजकल बराबरी का ज़माना है, मैडम कहीं बुरा ना मान जाये, उसे तुम कमज़ोर समझते हो क्या ? इसी उधेड़बुन में मेरी और जबी की नज़रे मिली। मैं कुछ बोल पाता इससे पहले मेरे साथ बैठे लड़के ने कहा दीदी, आप यहाँ बैठ जाओ, और उठ गया अपने हाथ में एक रजिस्टर और दो किताबों के साथ। मैंने थोड़ा अपने को सिमटने की कोशिश की, कि वो आराम से बैठ सकें। मेरी इस हरकत का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ। बात बढ़ाने कि लिए मैंने ही शुरू किया आप भी यू स्पेशल में आती तभी वो बोली, मेरा नाम जबी है बीएससी फाइनल ईयर कर रहीं हूँ।

मैं भी फाइनल ईयर बीए पास कोर्स रहा हूँ। मैं सोच ही रहा था आप को सीट देने के लिए। सॉरी आप काफी देर तक खड़ी रहीं।

आप सॉरी क्यों कह रहे हो ?

मैंने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं।

क्या नाम है आपका मिस्टर, मैडम ने थोड़ी सख्त आवाज़ में पूछा-

मैंने कहा....सत्येन !

मैडम कह रही थी, मिस्टर, मेरा तो स्टैंड आने वाला है, मेरी बात को समझने की कोशिश करना, कभी एक पल में कोई दिल में उत्तर जाता है और कोई दिल से निकल जाता है। जिस लड़के ने मुझे सीट ऑफर की और मेरे बिना कुछ कहे दी, वो सिर्फ मेरे बारे में सोच रहा था।

मैंने कहा मैं भी आप कि बारे में ही सोच रहा था।

नहीं, मैडम जबी, मुझसे कह रही थी मिस्टर आप अपने बारे में सोच कर मुझे साधन की तरह देख रहे थे। मिस्टर ज़रा समन की उलझने अपनी बुद्धिमत्ता से सुलझाने लगो तो टाइम तो लग ही जाता है। क्यों ठीक है ना यह बात ?

अब आप ही बताओ आप मेरे लिए सोच रहे थे या आपने लिए ?

मैं उस दिन से सोच रहा हूँ, सच समझना कितना आसान है। मैं यह पहले क्यों नहीं समझ पाया ?


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