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छलावा भाग 6

छलावा भाग 6

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छलावा    

भाग 6

                    अगले दिन कमिश्नर सुबोध कुमार के ऑफिस में  मीटिंग चल रही थी। बख़्शी और मोहिते कल की घटना के बारे में सुबोध कुमार से बातचीत कर रहे थे। पुलिस स्टेशन में घुसकर हत्या करने के बाद भी छलावे के पकड़ में न आने के कारण पुलिस विभाग की भारी किरकिरी हो रही थी।  बातचीत के दौरान ही बख़्शी चौकन्ना हो गया और दबे पाँव दरवाजे की ओर बढ़ा। कमिश्नर ने कुछ बोलना चाहा तो बख़्शी ने ओठों पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया और जाकर झटके से दरवाजा खोल दिया। अरब महासागर की तेज हवा जोरों से कमरे में घुस आई पर बाहर उसके अलावा कोई नहीं था। बख़्शी ने दरवाजा बंद किया और आकर चुपचाप अपनी कुर्सी पर बैठ गया।                                                  

 कमिश्नर और मोहिते प्रश्नवाचक दृष्टि से उसे देख रहे थे। 

"कोई दरवाजे पर था! हो सकता है छलावा हो" बख्शी ने मानो बम फोड़ा! फिर रुमाल से मुंह पोंछता हुआ आगे बोला, यह बात मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि छलावा हमारे बीच का ही कोई शख्स है। हम उसे नहीं जानते पर वो हम सबके साथ है। सबको जानता पहचानता है और मौका मिलते ही वार करता है। मैं फिर कहता हूँ कि यहाँ न मैं सुरक्षित हूँ न मोहिते और न ही आप! इतना कहते हुए बख़्शी ने उंगली तलवार की तरह कमिश्नर की दिशा में उठाई तो वे हड़बड़ा से गए और मोहिते तो बाकायदा रुमाल निकाल कर पसीना पोंछने लगा। 

          फिर दोनों कमिश्नर के ऑफिस से निकले और बख़्शी अपनी कार में बैठ कर रवाना हो गया। मोहिते अपनी ऑफिस में कुर्सी पर बैठा सोचता रहा कि अगर छलावा इसी परिसर में है तो हो सकता है विलास के कमरे के ग्राइंडर का उपयोग वह भी सुआ घिसने के लिए करता हो। आखिर वहाँ तो कोई भी पहुँच सकता था।  विलास भले ही अवैध हथियार के मामले में लिप्त था पर उसकी मौत का मोहिते को सख्त अफ़सोस था। छलावे के लिए उसके मन में सख्त प्रतिशोध के भाव पैदा हुए।

         अचानक तभी परिसर में फिर बख़्शी की कार का आगमन हुआ। उत्सुकतावश मोहिते बाहर निकल आया। उसने देखा कि बख़्शी एक हाथ से कार चला रहा था और उसने दूसरा हाथ अपने गाल पर दबा रखा था जिसमे उसने सफ़ेद रुमाल पकड़ रखा था जो कुछ-कुछ लाल होता जा रहा था। कार से उतरते ही बख़्शी ने कहा डॉक्टर बुलाओ! फौरन पुलिस डॉक्टर हाजिर हुआ उसने बख़्शी के गाल पर लगी चोट का मुआयना किया और घबराने की बात नहीं है ऐसा कहकर मरहमपट्टी कर दी। उसके चले जाने के बाद बख़्शी ने एक सुआ निकाल कर मोहिते की मेज पर टन्न से रख दिया और बोला, "यह छलावे का सुआ है।"

मोहिते हैरान होकर उसे देखने लगा। 

बख़्शी बोला "अगले सिग्नल पर उसने मुझपर वार किया था पर संयोग से मैं बच गया और उसका सुआ भी ले आया। 

     मोहिते मुंह बाए सुन रहा था। बख़्शी ने कहा, अगले सिग्नल पर मैंने जैसे ही कार खड़ी की मेरे पीछे से एक मोटरसाइकिल सवार आया और उसने मेरे दरवाजे पर ठक-ठक की। जैसे ही मैंने कांच उतारा उसने बिजली की तेजी से सुआ मेरी आँख में भोंकने की कोशिश की पर मैंने झटके से सिर हटा लिया तो वार ओछा पड़ा और गाल पर खरोंच आ गई साथ ही मेरे हाथ के झटके से उसका सुआ मेरी गोद में गिर पड़ा। पर जब तक मैं उतर सकूँ वो तेजी से बाइक घुमा कर भाग निकला। अब तुम इस सूए से फिंगर प्रिंट्स उठवा लो। अंगूठे का तो मिलेगा नहीं शायद उँगलियों का मिल जाए। 

  मोहिते ने पूछा, "आप कैसे कह सकते हैं कि अंगूठे का नहीं मिल सकता?

इसपर बख़्शी मुस्कुराया और बोला सुए को मजबूती से हथेली में पकड़कर देखोगे मोहिते! अंगूठा बाहर ही रहता है। पर अभी इसे मत पकड़ना। पहले निशान उठवाओ।

     मोहिते ने सहमति में सिर हिलाया। वाकई सुए पर चार उँगलियों के ही निशान मिले। अब उन निशानों को मिलाने के लिए लाखों निशानों को खंगालने का काम करना था जो भूसे की ढेरी में से सूई ढूँढने जैसा काम था। हाँ! अगर कोई निशान पहले से उपलब्ध होते तो काम आसान होता।

बख़्शी ने कहा कि पहले चौकी में और आसपास मौजूद हर किसी के निशान मैच करवाओ। कोई नतीजा जरूर निकलेगा। फिर बख़्शी ने पूछा कि कौन-कौन हवलदार इस समय चौकी से बाहर है और किस-किस के पास बाइक है उनकी लिस्ट लाओ। कुल 14 हवलदारों के नाम आए। बख़्शी ने मोहिते से कहा कि हड़बड़ी में वह छलावे के कद काठ का कोई अंदाजा नहीं लगा सका फिर भी कल इन सबको बुलाना मैं शिनाख्त करने की कोशिश करूँगा। 

        मोहिते के हाँ कहने पर बख़्शी रवाना हो गया और मोहिते फिर अपनी कुर्सी पर बैठकर गहन सोच में डूब गया। थोड़ी देर बाद उसने अपने सामने पड़े कागज पर कुछ उलटे सीधे स्केच बनाने शुरू किए फिर उन्हें लेकर वो सीधा कमिश्नर साहब के पास गया और वे दोनों किसी गहन वार्तालाप में डूब गए। उनकी खुसुर-फुसुर और कोई नहीं सुन पाया पर जब मोहिते वहाँ से निकला तो उसकी आँखें चमक रही थीं और उसके चेहरे पर दृढ निश्चय के भाव थे।  

      

कहानी अभी जारी है ......

आखिर कौन सा रास्ता सूझ गया था मोहिते को?

क्या था रहस्य

पढ़िए भाग 7 


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