कीमती पल
कीमती पल
जब से शादी हुई निम्मी ने पति को अस्वस्थ ही पाया । अब तो सब देखते देखते वह भी आदी हो चुकी है । पर फिर भी कभी कभी मन बहुत ही परेशान हो जाता है । वह भी खुश होना चाहती है पर लगता है कोई उसे खुश होते देखना नहीं चाहता ।कल की ही बात है मुन्नी का जन्मदिन आने वाला है तो उसने तय किया कि मैं बिटिया की खुशी को नहीं रोकूँगी कुछ ना कुछ जरूर करूँगी खाना तो रोज बनता ही है कुछ बढ़िया बना कर अपनों को खिलाऊँगी बस यह बात जब से उसने घर के बुज़ुर्गों को बताई है तभी से सुनने को मिल रहा है आदमी की तबियत ठीक रहती नहीं और ये जन्मदिन मनाने चलीं हैं ।सब अनसुना करते हुये निम्मी ने जब बिटिया को उसके जन्मदिन की बधाई दी और अपनो को बुला कर खाना खिलाया उस समय उसकी बिटिया और बीमार पति के लबों पर जो मुस्कान तैर रही थी ।वह पल उसके लिए बहुत क़ीमती था उसके दृढ़ निश्चय ने बिटिया के मन मे खुशी और और पति के अन्दर आत्मविश्वास जगा दिया था ।