पीला स्वेटर
पीला स्वेटर
मैं अप्रैल की एक शाम छत पर टहल रही थी की अचानक देखा, सामने की छत पर मिस्टर शर्मा पीले रंग के स्वेटर में टहल रहे हैं। कोल्कता में दिसम्बर में ठण्ड नहीं पड़ती तो अप्रैल की शाम स्वेटर देख कर चौक गयी
और पूछ बैठी,
"भाई साहब सब ठीक है न? इतनी गर्मी में आपने स्वेटर पहना हुआ है?"
मिस्टर शर्मा ने तिरछी निगाहों से देखा और स्वेटर पर हाथ फेरते हुए कहा,
हाँ भाभी, आज सीमा का जन्मदिन है।"
मैं चौंक गयी, उनकी पत्नी को गुज़रे २ साल हो गए थे। मिस्टर शर्मा जैस खुद ही कहते चले गए
"आप तो जानती ही हैं भाभी उसे बुनाई का शौक था। और मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी।" फिर कहा
"उसके जीते जी मैंने उसके हाथ की बनी स्वेटर नहीं पहनी पर वो बुनती ज़रूर थी और कहती थी"जैसे कुछ याद कर रहें हों
, 'इन धागों में मैं भी हूँ।'
इस पीले स्वेटर को बुनते वक्त उसने मुझे चाव से दिखाया था और कहा था,
'इसे अलमारी के ऊपर वाले ताक पर रख देती हूँ। जब कभी मेरी याद आये पहन लेना।'"
और वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगे…।