वो पल जो हमारे थे
वो पल जो हमारे थे
आज भी मुझे याद हैं वो पल जब मैं तुमसे दूसरी बार मिला था।हाँ, दूसरी बार की बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि पहली बार हम दोनों की मुलाकात उतनी खास नहीं थी। और दूसरे दिन की वो शाम भी क्या हसीन थी।
मैं तो ज़रा - सा बेचैन था क्योंकि तुमसे मिलने को दिल कुछ ज़्यादा ही बेताब था।
अब तक वो भी बात याद है मुझे, जो हमारी मिलने से पहली वाली रात को हुई थी। उस रात की पहली शाम को भी हम मिले थे, फिर भी वो बातें हम दोनो उस पल में ना कर पाये। लेकिन जब हम दोनो अपने घर के लिए निकले तो कुछ ऐसा एहसास भी जुदा हो रहा था जो दिल को मंज़ूर ना था। दिल उस पल भर के एहसास को जुदा नहीं होने देना चाहता था।
पर उस समय तक हम दोनो को भी नहीं पता था कि हमारा दिल एक - दूसरे के एहसास से इतना जुड़ गए है।
दोनो दिल के एहसास में उतना प्यार तब तक नहीं था जब तक रूह उनके साथ ना थी। यही वजह थी कि दोनो दिल चाह कर भी एक दूसरे को रोक ना पाये।
लेकिन जैसे - जैसे रात और भी अंधेरी होती गयी और उस अंधेरी रात के साये में चमकती हुई चाँद की एक - एक रौशनी जो मेरे घर की खिड़की से मुझ पर आ रही थी, वो सब तुम्हारे साथ बिताए हुए एक - एक पल की याद दिला रही थी। मैं चाँद की उसी रौशनी से अपने जज़्बात साझा करना चाहता था। लेकिन यह बस मेरा एक ख्याल था, जिसके सहारे मैं तुम्हे दो पल याद कर सकूं।
मेरा दिल बेचैन - सा हो रहा था तुमसे मिल कर अपने जज़्बात को तुमसे साझा करने को। पर रात का पल मेरे लिए मजबूरी - सी बन गई थी। और दिल इजाज़त नही दे रहा था तुमको फोन कर, दिल की बात साझा करने को। दिल को डर - सा हो गया था कि कहीं प्यार की बात की वजह से वो तुम्हारी दोस्ती से भी दूर ना हो जाए।
इसीलिए दिल ने तुमसे कल मिलकर अपनी बात कहना ठीक समझा। पर उस समय तक मुझे थोड़ा - भी एहसास नहीं था कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए वही प्यार उत्पन्न हो रहा है जो मेरे दिल में तुम्हारे लिए हो रहा था।
मैं यह बात सोच ही रहा था कि तब तक मुझे फोन की घंटी सुनाई दी। उस समय बस तुम्हारा ख्याल मेरे दिल में चल रहा था। मुझे पता भी नहीं था कि वो तुम्हारा फोन था क्योंकि वो नम्बर मेरे लिए अपरिचित था। जब फोन पर तुम्हारी आवाज़ मुझे सुनायी दी तो मैं ज़रा - सा हैरान हुआ और दिल ने कुछ बेचैन - सा महसूस किया। लेकिन यह जानकर मुझे सुकून मिला कि जो एहसास मेरे दिल में तुम्हारे लिए थे वही एहसास तुम्हारे दिल में मेरे लिए हैं। मेरा दिल कुछ पल के लिए स्तब्ध हो गया, क्योंकि उसे दो पल के लिए यकीन ना हुआ कि तुम उससे और उसकी रूह, दोनो से हमेशा के लिए जुड़ गयी हो।
मैं शुक्रगुज़ार हूँ उस चाँद का जिसकी रौशनी के सहारे मैं दुआ कर रहा था अपनी मोहब्बत के लिए।
कहीं ना कहीं वो रौशनी जो मेरे शरीर से मेरी मोहब्बत की दुआओं को परिवर्तित कर उसके दिल में मेरी मोहब्बत का एहसास दिला रही थी...।