ये कैसा प्यार भाग-९
ये कैसा प्यार भाग-९
( आठवें भाग से आगे....)
[ सोनु धीरे से स्पोर्टस हॉल की तरफ जाता है और दरवाजे से छुपकर देखता है। अंजलि गुस्से में टेनिस कोर्ट में खेल रही है और बॉल को जोर जोर दीवार पर ठोक रही है। सामने वही लड़की अंजलि की फ्रैंड निकिता भी बैठी है। वह अंजलि को देख रही है और उससे कह रही है]
"..ऐ अंजलि ! ...तेरा मूड आज उखड़ा हुआ क्यों है ? ...मुझे लेकर सीधे यहाँ आ गई...और इस बॉल पर...इस पर तो ऐसे बरस पड़ी हो कि जैसे यह......... "
"....(बीच में टोककर) ..तू देखती रह...(लाल गुस्से वाले चेहरे में) ...अभी ये गुस्सा बॉल पर है..कोई और अब इसके निशाने पे आने वाला है।"
"..मतलब...? ....किसी को पीटने का इरादा है क्या...?"
"हाँ अभी यही समझ....समझता क्या है अपने आप को.....।"
(यह सुनकर सोनू और भी सहम जाता है इतने में उसकी नजर निकिता पर पड़ती है..निकिता भी उसे देख लेती है..दोनों एक दूसरे को देखते रहते हैं..वह उसे सहमे-सहमे देख रही है सोनू भी जैसे उसकी आँखों में कुछ खोज रह है पर अंजलि लगातार बड़बड़ा रही है।)
"..तुझे पता है निक्की तेरा फॉर्म कल जमा हो जाता..पर तेरा फॉर्म लेकर ही गायब हो गया...और परसों से आज आऐ हैं जनाब..बाहर दोस्तों के साथ खड़ा है...देखा न तूने...उसे फिकर होनी चाहिऐ थी कि मैं इन्तजार कर रही हूँगी...छोडूँगी नहीं उसे ( खेल छोड़कर) .... ऐ निक्की तू कुछ तो बोल...कहाँ खो गई..? (उस तरफ देखकर) .. कौन है वहाँ क्या हुआ? (सोनू को देखकर) .. हँ....आप हैंsssss...आइऐ आइऐ अन्दर आइऐ.. "
(पर जैसे सोनु ने कुछ सुना ही नहीं और निकिता की आँखों में ही खोया है अंजलि लगातार सोनू से कहे जा रही है पर वह टस से मस नहीं होता...थककर अंजलि चेयर पर बैठ पड़ती है...और रोने लगती है...अपने हाथ से रैकेट जोर से पटकती है जिसकी जोरदार आवाज से सोनू और निकिता का ध्यान उस तरफ जाता है। दोनों एक साथ कहते हैं)
"...अंजलि.... "
( सोनू उसकी तरफ दौड़ता है निकिता भी उसके पास पहुँचकर उसे संभालती है)
"...अंजलि क्या हुआ तुझे...खुद ही गुस्से में थी और खुद रो रही है।"
(इतने में सोनू अंजलि के पास आकर उसका हाथ पकड़ कर कहता है)
"अंजलि...सॉरी यार...आई एम वेरी सॉरी...म..मैं क्या करता मैं काम की वजह से नहीं आ पाया...औ..और...स..सॉरी यार... "
"...डॉन्ट टच मी ! .....लीव माई हैंड ! .....मैं तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती... "
"..ओह्हो अंजलि...प्लीज गुस्सा छोड़ो...फॉर्म मैंने भर दिया है..तू फोटो लाई होगी ...अभी जमा कर देंगे... "
( यह सुनकर निकिता सोनु की तरफ देखती है फिर अंजलि की तरफ..अंजलि गुस्से में कह रही है)
" कल मैंने पूरे तीन घंटे तुम्हारा इन्तजार किया..तुम्हारे फ्रैंड्स के साथ गपशप की..और तुमने एक फोन तक नहीं किया.... "
" अंजलि तुम मेरी सिचुऐशन जानती हो.....जानती हो मैं एक गरीब फैमिली से हूँ..रही बात फोन करने की....फुर्सत नहीं मिली...तुम तो जानती ही हो मैं यहाँ भैया-भाभी के साथ रहता हूँ...भैया को ऑफिस के काम से टाइम नहीं मिलता...भाभी को घर के कामों से फुर्सत नही...तो....मार्केट कुछ जरूरी सामान लेने गया था...मुझे देखना पड़ता है..अ...और तुम हो कि मेरी प्रॉब्लम नहीं समझ रही.....लगता है तुम मुझे अपना दोस्त नहीं समझती...( अंजलि को छोड़कर एक और जाते हुऐ, उसकी आवाज में भारीपन आ गया है).. जानती हो जब भी मेरे फ्रैंड्स पूछते हैं तो मैं हमेशा यही कहता हूँ कि अंजलि मेरी सबसे अच्छी दोस्त है मेरी हर प्रॉब्लम में मदद करती हैं ...मेरी किसी बात का बुरा नहीं मानती... "
( निकिता आश्चर्य से दोनों की बातें सुन रही है)
"...तो क्या मैं करती नहीं तुम्हारी मदद..? ....करती हूँ ना..? ....वो क्या है कि ( निकिता को पकड़ उसकी ओर इशारा करके) मेरी पक्की फ्रैंड है इसका एडमिशन छूट जाता इसलिऐ मुझे तुम पर गुस्सा आया... "
( निकिता फिर विस्मय से अंजलि की तरफ देखती है)
"....अच्छा सोनू बस इसी पे थोड़ा गुस्सा आ गया था....और तुम तो मेरा नेचर जानते हो...... रूठने की आदत है मुझे..... "
"...नहीं...अंजलि मुझे लगता है तुम मुझे समझती ही नहीं हो...! "
".....आई एम सॉरी यार...( उठकर उसके कंधे पे हाथ रखती है).. सॉरी अबसे मैं इस तरह की बातों पर नाराज नहीं होऊँगी...प्लीज माफ कर दो.. "
(अब सोनू उसकी तरफ देखता है और बनावटी गुस्से में कहता है)
"..मुझे अब तुमसे कोई बात नहीं करनी....भाड़ में जाए तुम्हारी दोस्ती....तुम्हें दोस्ती निभानी आती ही नहीं.....हूँह...(अपने कंधे से उसका हाथ हटाकर आगे बढ़ जाता है) "
"...प्लीज सोनू माफ कर दो प्लीज...(रोने लगती है) ... प्लीज दोस्ती मत तोड़ो मुझसे.... प्लीssssssssssज......... "
(सोनू जानबूझकर कर अनसुना करते हुऐ बाहर चला जाता है उसके जाने के बाद अंजलि अपना सिर पकड़ लेती है रोते रोते)
"मुझे भी जाने क्या हो जाता है...जरा जरा सी बात पे गुस्सा हो जाती हूँ...और उस पर भड़क जाती हूँ जबकि उसका कोई कसूर नहीं..बहुत गन्दी हूँ मैं....(रो पड़ती है) "
(निकिता उसके पास आकर उसे समझाती है)
"...अ..अंजलि ...मुझे लगता है वो नाराज नहीं है..वो शायद अभी लौटकर आ जाऐंगे।"
"नहीं निकिता...मैंने उसे बुरा भला कहा....वो दोस्ती तोड़ के गया है...मुझे माफ नहीं करेगा... "
"...मैं तो तुझे हमेशा से कहती हूँ....तेरी ये बात बात पर गुस्सा होने की आदत ठीक नहीं है पर तू मानती नहीं... "
"..हाँ तू ठीक कह रही है निक्की...कोई बात नहीं अब अगर सोनु ने मुझे माफ नहीं किया तो.....( अचानक खड़ी होती है और आँसू पोंछकर तेजी से बाहर निकलती है..निकिता उसे देखकर चौंक पड़ती है) "
"...अंजलि....?? ....( हैरानी में) ... कहाँ जा रही हो...इसे क्या हुआ..अंजलि...अंजलि....अंजलिssssss..... "
( निकिता भी उसके पीछे भागती है...अंजलि गुमसुम सी अपनी स्कूटी की तरफ बढ़ रही है..दोनों हॉल से बाहर है)
"...अंजलि रूक.......!!! "
( वह नहीं सुनती बढ़ी जा रही है...)
..............(क्रमश:)....................