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मायका शीतल बयार ससुराल धूपछाँव

मायका शीतल बयार ससुराल धूपछाँव

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नायरा..का आज कालेज का आखिरी दिन था। वो डाक्टर बन गयी थी, जो उसके पिता का सपना था आज वह गर्व से कह सकते थे कि, ''मैं एक डॉक्टर बेटी का पिता हूं।''

खुशी की खबर सुनकर, सब लोगों ने बाहर डिनर पर जाने का प्रोग्राम बनाया। रात को सब तैयार होकर नायरा के मनपसंद होटल में पहुंचे, जैसे ही खाना खाकर उठे।तभी सामने देखा ..नायरा के पापा के बचपन के दोस्त और उनका परिवार वहां आया हुआ था। जाते समय सोचा कि थोड़ा सा मिलते हुए जाए। पापा और मम्मी दोनों उनकी टेबल की तरफ गए और बच्चों को वहीं रुकने को कह दिया। नायरा के पापा को देखते ही राजेश अंकल खड़े हो गए और बहुत जोर से बोले,

''अरे भाई वाह! आज तो मेरा जिगरी दोस्त मिल गया।''

दोनों गले मिले और नायरा के पापा ने बताया कि, ''अभी हम जल्दी में हैं और मेरा परिवार वहां बाहर है।' कल आप आओ घर पर बात करते है। राजेश जी को अगले दिन चाय पर बुला कर आ गए।

अगले दिन सुबह सब उनके आने के लिए नाश्ते का प्रबंध कर रहे थे। नायरा की मम्मी ने नई-नई चीजें बनाई थी जो उन्हें बहुत पसंद थी।


शाम को राजेश अपनी पत्नी और अपने बेटे राहुल और बेटी तान्या के साथ नायरा के घर आए और पुरानी बातें एक दूसरे को सुना सुना कर टाइम का पता ही नहीं चला। फिर नायरा के पापा ने कह दिया कि खाना खा कर ही जाएंगे। सब बनाने में लग गए ,उनके बच्चों से भी नायरा की और उसके भाई की अच्छी दोस्ती हो गई। नायरा का एक भाई था विभु... अंताक्षरी खेल कर सब रात को खाना खा कर विदा हो गए।

दो-तीन दिन के बाद राजेश जी का फोन आया कि हमें नायरा पसंद है, अगर आपको राहुल पसंद है तो आप हमारे घर शगुन लेकर आ सकते हैं। यह अचानक बहुत बड़ा सरप्राइज़ था। सब को उनका परिवार बहुत पसंद आया था। घर बैठे रिश्ता मिला था। चुलबुली नायरा को समझने के लिए समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें ? वह भी एम०डी० करना चाहती थी। पापा ने राजेश को फोन करके कहा,

''अभी इतनी जल्दी हम डिसाइड नहीं कर सकते।'' आजकल बच्चे समझदार हैं राहुल और नायरा आपस में मिल ले,अगले संडे राहुल और नायरा का मिलने का प्रोग्राम तय हो गया।


राहुल बहुत स्मार्ट था और अपने पापा का बिजनेस संभालता था। बिजनेस बड़ा था। उनकी गिनती शहर के अमीरों में होती थी। नायरा से मिलने के बाद नायरा ने अपने बारे में अपनी इच्छा बता दी थी कि वह एम ० डी० करना चाहती है। राहुल को कोई परेशानी नहीं थी। उसने कहा वह शादी के बाद भी जो करना चाहे वह कर सकती है।


बस फिर धीरे-धीरे सारी रस्में धूमधाम से हो गयी हो गई और शादी नजदीक आ गई ।चुलबुली नेहा अभी वह हँसी मजाक और दिन भर चहल-पहल करती, घर रौनक से भरा रहता, उसके मम्मी पापा भी उससे दूर जाने की सोच नहीं पा रहे थे। वह कैसे संभालेगी ? अभी उसमें कुछ भी गंभीरता नहीं थी। नायरा के पिता ने राजेश और उनकी पत्नी को अच्छे से बता दिया था, ''कि नायरा अभी बच्ची है और उस वह अभी घर गृहस्थी के बारे में कुछ नहीं जानती।''

राजेश जी और उनकी पत्नी को कोई आपत्ति नहीं थी।

उन्होंने कहा यह तान्या जैसी है और धीरे-धीरे सीख जाएगी। शादी वाले दिन शादी बहुत धूमधाम से हुई। खूब हँसी मजाक के साथ शादी हुई। दोनों की ससुराल की रस्में हुई और अगले दिन दोनों की फ्लाइट थी पेरिस। दस दिन में खुशी से दोनों वापस आ गये। सबके लिये उपहार लिये। सबको दिये। सब बहुत खुश थे। नायरा की पढ़ाई शुरू हो गयी ,और राहुल भी अपने बिजनेस में लग गया।


माँ ने नायरा को अच्छे से समझा दिया था कि रसोई मे कुछ मीठा बनाना। माँ के सिखाये मुताबिक नायरा ने शाही टोस्ट और खीर बनायी थी। सब खुश हो गये।

वाह ! नायरा क्या बना है ? नायरा शरमा गयी और हँसते हुये बता दिया कि,''उसे कुछ नहीं आता ये मम्मी ने नेग के लिये सिखाया।'' सब उसकी मासुमियत पर हँसने लगे। सबने नेग दिया। राहुल ने नायरा को हीरेे का ब्रेसलेट दिया। नायरा राहुल को एक दोस्त के रूप पाकर खुुुश थी।



एक दिन नायरा पढाई करने मे व्यस्थ थी तभी राहुल की मम्मी कॉफी लेकर आई। ये लो दोनों गरम-गरम कॉफी पी लो। अरे मम्मी आप क्यूँ लायी ? नायरा को बुला लिया होता। नायरा घबराकर बोली ,''मम्मी जी मुझे नही मालुम था कि कॉफी बनेगी।'' नहीं नायरा ...मैं तान्या के लिये बनाने गयी थी सोचा तुम दोनों को भी दे दूँ। नायरा को लगा... माँँ जैसी सासू माँ मिल गयी।


मम्मी के जाते ही राहुल ने कहा, नायरा घ्यान रखा करो मम्मी को ना आना पडे। नायरा सुनकर मायूस हो गयी।उसे लगा जैसे राहुल ने उसे समझा नहीं...क्या मै जानकर नहीं गयी? शाम तक नायरा का मूड खराब रहा पर उसने दिखाया नहीं।

शाम को राहुल ने कहा,''नायरा चलो तैयार हो जाओ , तुम्हें तुम्हारे घर घूमा लाता हूँ। शाम को डिनर बाहर करते हुये आयेंगे। नायरा मन मैं मुस्कुरायी। राहुल को पता ही नहीं कि मै सारा दिन नाराज थी। शाम को घर पहुँची। सब बहुत खुश। राहुल की खूब खातिर की। राहुल मना करते हुये भी सब ये लिजिये टेस्ट तो करिये..खुशी से खिला रहे थे।


नायरा ने रसोई मे मम्मी को नाराजगी की बात बता दी। मम्मी ने समझाया कि राहुल ने सही कहा, तुम ध्यान रखा करो क्या जरूरतें है घर की?

अगले दिन कुछ मेहमान आने वाले थे। राहुल की मम्मी ने भारी साडी पहनने को नायरा को कहा। नायरा का मन नहीं था, इतना साडी,जेवर पहनने का। राहुल मेरा बिल्कुल मन नहीं है इतना कुछ पहनने का। तुम मम्मीजी से कह दो, सूट पहन लूँ ?

नहीं...नायरा जो कहा है वो पहन लो , मैं नहीं पूछुँगा ,मम्मी से...। और सब शादी के शुरू में पहनते ही है ...जो मम्मी कहेंगी करना होगा। मासी ,बुआ आई है पहन लो उन्हे अच्छा लगेगा।


नायरा का फिर गुस्से मे मुँह बन गया। सारा दिन उसने राहुल से बात नहीं की। राहुल मनाता रहा। रात को नायरा कमरे मे गयी, उसने राहुल की तरफ देखा ही नहीं। क्या नायरा इतना गुस्सा, अगर मम्मी ने कह भी दिया था तो क्या ? अच्छा तुम्हें थोडी इतना कुछ पहन ना था जैसे जेल हो। नायरा प्लीज बात को मत बढ़ाओ ?


नायरा उधर मुहँ करके सो गयी। सुबह उठकर वो मम्मी जी से बोल ने आई, ''मम्मी जी मैं घर जा रही हूँ। कुछ काम है। राहुल कि मम्मी ने कहा,''हाँ हाँ क्यूँ नहीं जरुर जाओ।

घर अचानक आया देख नायरा, मम्मी को देखकर रोने लगी ।मैं नहीं जाऊँगी ...नायरा को मम्मी की गोद एक शीतल बयार (पवन) जैसे लग रही थी तब तो उसकी मम्मी ने कुछ नहीं कहा, बस बालों में उँगलियाँ घुमाते ना जाने नायरा कब सो गयी। उठ कर उसे अपना घर में एक सुकून लग रहा था। कैसै भी सोऊँ ,कैसे भी कितने बजे ऊठूँ ? यहाँ कोई नहीं कहने वाला। राहुल का फोन आया। नायरा ने फोन नहीं उठाया। वो दिखाना चाहती थी कि गुस्सा हुँ। नायरा की मम्मी ने सब बातें पूछी।


नायरा ने कहा, राहुल मेरी नहीं सुनते। पूरी बात सुन कर नायरा की मम्मी ने कहा, ''देख नायरा, माना तेरा मायका पास है पर ये नहीं कि तू गुस्से मे मायके आ जाए बार बार ...तुझे यहाँ सुकून मिलता है पर वो घर भी तेरा है। थोडा समय दे, सबको समझने में समय लगता है। हमें भी लगा था, जब पहली बार ससुराल गयी थी, गुस्से में नायरा बोली, तो मुझे ही समझाओ बस।

...राहुल शाम को लेने आ गया। नायरा को समझा कर पापा, मम्मी ने भेज दिया। नायरा के पापा ने राहुल इसकी गलती है ऐसे इसे नहीं आना चाहिये था। ना जाने कब बचपना जायेगा। कार कॉफी शॉप पर रोक कर आओ राहुल ने कहा, नायरा तुम्हारा मुड फ्रेश करा दूँ।


राहुुुल ने नायरा को मना लिया था। राहुल भी छोटी-छोटी बातों पर नायरा को टोक देता...देखो नायरा मम्मी रसोई मे है जाकर देखो..। नहीं राहुल, मै बहुत जरुरी नोटस पढ़ रही हूँ, पूरा कर लूँ , फिर जाती हूँ। नहीं ऐसा क्या पढना, बाद में भी तो पढ़ सकती हो?

राहुल गुस्से में बोल जाता। नायरा बीच में पढ़ाई छोड़ के उठ जाती पर आँँखों में पानी लिये, काम में लग गयी।रात भर पढ़ती रही।

राहुल का छोटी-छोटी बातों पर नायरा को टोकना, अंदर ही अंदर तोड रहा था। मन मे सोचती पढ़ते समय तान्या को तो कोई नहीं कहता, मेरी पढ़ाई जरुरी नहीं। यहाँ रस्में ही खत्म होती। आज मामीजी आई है, तैयार हो जाओ। आज किसी के घर खाने पर जाना है। तंग आ गयी थी, नायरा उसका सारा ध्यान पढ़ाई में था। वो इसी साल एम० डी० करना चाहती थी।

अगले दिन राहुल ने नायरा को किसी शादी मे चलने को कहा, नायरा मम्मी जी के पास गयी मेरा चलना क्या जरूरी है मम्मी जी, मुझे तैयारी करनी है, मेरा शादी के वजह से काफी नुकसान हो गया। राहुल की मम्मी ले जाना तो चाहती थी पर मन मार कर नायरा को बोली- कोई नहीं तुम रूक जाओ। राहुल का मूड ऑफ हो गया। वो बोला नहीं।


नायरा ने बहुत समझाया पर राहुल गुस्से में नही बोला। मम्मीजी को रूकने को कहा पर नायरा ने साड़ी पहनीऔर आ गयी। राहुल खुश था, नायरा को सबसे मिला रहा था। नायरा भी सबसे मिली अच्छे से बातें की पर उसका ध्यान अपनी पढाई पर था। तान्या को नायरा की उदासी झलकी दिखायी दी ..भाभी कुछ परेशान हो ?


नहीं..आँखे आँसुओं से भर गयी। क्या हुआ भाभी ? बताओ मुझे। नायरा ने कहा,'' तान्या मेरी परीक्षा को दो महीने ही बचे हैं, पढ़ाई नहीं हो रही, रस्मों में काफी समय निकल गया। अब भी कुछ ना कुछ...राहुल नहीं समझते। मैं साल नहीं खराब करना चाहती। तान्या ने हिम्मत दी। रात तक सब घर आ गये।


सुबह सब नाश्ते के लिये बैठे ही थे कि नायरा का भाई विभु आया था। अरे अचानक सुबह-सुबह विभु। नायरा के चेहरे पर चमक आ गयी। तान्या...मुस्कुराई अपनी मम्मी को देखकर। नायरा तुम सामान पैक करो, मायके रहो जब तक परीक्षा हो.. राहुल ने एकदम, क्यूँ मम्मी ? यहाँ क्या परेशानी है। बस उसकी पढ़ाई वही रहकर ही होगी अच्छी तरह से। राहुल की मम्मी ने कहा।

नायरा समझ गयी ये तान्या ने ही किया। नायरा, तान्या के गले लग गयी। कानों में धीरे से थैंक यू तान्या। और मम्मीजी, पापाजी के पैर छूये और राहुल को देखा और बोली मै जाऊँ।


राहुल भी गुस्से में बोला.... जब मन बना ही लिया है तो क्यूँ पूछ रही हो ?

नायरा ने विभु को नाश्ता कराया और मायके उसके साथ आ गयी। वाह अब आराम से पढ़ूँगी..सबसे खूब बातें की और पढाई मे लग गयी। दो दिन के बाद ही उसे ससुराल की बातें याद आने लगी। कभी तान्या की बातें सुनाती कभी मम्मी जी, पापा जी की,कभी राहुल की। उधर राहुल को भी कमरे मे नायरा साथ रहने की आदत हो गयी थी।


अब कमरा सूना-सूना हो गया था। राहुल का मन था

सुबह मिल आऊँ पर राहुल की मम्मी ने परीक्षा तक जाने को मना कर दिया था। नायरा का मन भी राहुल से मिलने का था पर ..वहाँ पढ़ाई नहीं हो पा रही थी।

अगले दिन नायरा ने फोन किया राहुल को ,दोनों ने एक-दुसरे से क्या परेशानी थी बतायी। नायरा ने कहा, मैं चुलबुली आदत की थी, ये तुम जानते थे, बचपना था।


फिर कुछ ही दिन मै मुझसे पूरा घर संभालने की उम्मीद क्यूँ ? मेरी पढायी मेरे लिये क्या मायने रखती है तुम जानते हो ,फिर मुझे पढ़ने के लिये समय क्यूँ नहीं दिया। जब मै पढ़ना चाह रही थी।

राहुल ने भी शिकायत सुना दी। जो भी लड़ाई है हम दोनों के बीच में रखनी चाहिये। दोनों परिवार में यूँ बताना। हम आपस में ही सुलझायेगें। बार-बार अपने घर जाना चाहो तो जाओ खुशी से पर नाराज होकर नहीं। दोनों ने ना लड़ने का वादा किया और अपनी अपनी गलती भी मानी।

दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह पा रहे थे पर दोनों दूर रहकर एक-दूसरे को समझ रहे थे। दो महीने हो गये।परीक्षा हो गयी। दोनों को लगा एक-दूसरे से दूर रहकर दोनों ने एक जीवन की नयी परीक्षा पास कर ली थी।

नायरा को लेने राहुल आ गया था। खुशी-खुशी नायरा सामान लेकर आ गयी थी अपनी ससुराल। एक महीने में एम ० डी० का रिजल्ट आ गया नायरा ने टॉप किया था।

आज वो डॉक्टर बन गयी। राहुल की बाँँहों में सोच रही थी कि मायका शीतल बयार और ससुराल धूप छाँव....सच ही तो है हम दोनों में से किसी के बिना नहीं रह सकते....जहाँ बचपन बीता वो एक सुकून शीतल बयार (हवा) सा...और खट्टी, मीठी, नोक झोंक, प्यार, अपनेपन के साथ ससुराल धूप छाँँव जैसै...

मौलिक रचना

अंशु शर्मा


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