Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 3

दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 3

18 mins
939


फ़ौजी भाई अशिन बोला, बहुत जल्द मेरे भाई। अशिन ने बताया,सावधान रहना दो आतंकी देश में घुस आये हैं जो अभी पकड़े नहीं जा सके हैं और पता नहीं मुझे भी दो दिन से अजनबी लोगों के फोन आ रहे हैं और मेल भी। दिवस ने कहा," भैया आप अपना ख़्याल रखिये और जो भी हो अपने चीफ़ को ज़रूर बताना। वह बोले अभी फोन रखता हूँ दिवस फिर बात करूँगा । दिवस कुछ सोचते हुये सीढ़ियों से नीचे उतरा और पास की ही कॉफी शॉप में जाकर बैठ गया। उसने अपने पीछे से कुछ जानी पहिचानी आवाज़ सुनी तो उसने पलट के देखा वहां ब्लैक ड्रैस में अपनी सहेलियों के साथ जैनीफर बैठी थी । उसे देख कर दिवस वहाँ से उठा तो जैनीफर ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली," फ्रेण्ड तो बन सकती हूँ ना प्लीज़।पीछे खड़ी सभी सहेलियाँ एक साथ बोली,प्लीज़..प्लीज। दिवस ने कहा, अच्छा.. अच्छा ठी

इतना सुनकर सभी एक साथ कहती हैं आज कॉफी आपकी तरफ से। सभी मुस्कुराते हुये कॉफी पी रहे थे और जैनीफर साइकिल रेस का वह वीडियो सभी को दिखा रही थी,जितने लोग वहाँ कॉफी पी रहे थे सभी दिवस से हाँथ मिलाने लगे कि तभी अचानक कॉफी शॉप की खिडकियों के शीशों के टूटने की आवाज़ आयी और धड़ाधड़ गोलियाँ चलने लगीं। चारों तरफ भगदड़ मच गयी थी। हर तरफ चीख़ पुकार और खून से लथपथ लोग ही दिखाई दे रहे थे। कुछ देर बाद वहां जब सब शांत हुआ तो देखा गया चंद मिनटों में वहां तकरीबन पचास लाशें चारों तरफ बिखरी पड़ीं थी। वह चारों तरफ देखते हुये बोला जैनी!.... जैनीफर!.... तभी उसकी खून से लथपथ सहेली ने दूर से इशारा करते हुए कहा वह वहाँ.......! वह कुछ सोच पता कि तभी पुलिस के लाउडस्पीकर से आम जनता को कुछ बताने की आवाज़ सुनायी दी। जिसमे बोला जा रहा था कि पुलिस आपके साथ है बाहर निकलो क्या पता शॉप में कोई बम भी प्लांट हो सकता हैं। ये सुनकर सभी भयभीत लोग जो बच गये थे और भय की वज़ह से छिपे हुए थे, वह सब तेज़ी से दौड़ते हुऐ बाहर की ओर भागने लगे।दिवस एक बुज़ुर्ग महिला को अपने हाथों में उठाये हुये पुलिस से कहता है कि प्लीज़ ऐम्बूलेंस मंगवा दीजिये। पुलिस वाले बोले वो आ रही है देखो! आप चिन्ता न करिये। तभी दिवस ने जल्दी ही उस बुज़ुर्ग महिला को ऐम्बुलेंस में लिटाया फिर जैनी को देखने के लिए अंदर की ओर भागा। तो वहाँ उसे बेहोश पाया, आनन-फानन में उठाकर उसे भी उसी ऐम्बुलेंस में ले जाकर लिटा दिया। यह सब देख पुलिस ने पूछा, क्या तुमने आंतकियों को देखा? दिवस ने कहा," नही..इस से पहले के हम लोग संभल पाते या उन्हें पहचान पाते, वह सब निकल गये। पुलिस वाले ने कहा," अपना फोन दो। दिवस ने जैसे ही अपने पॉकेट में हाथ रखा तो फोन भी उसके पास नहीं था। वह कॉफी शॉप में अंदर फोन लेने के लिये भागा कि शायद वहीं कहीं गिर गया होगा। वह फोन उठाने के लिय जैसे ही झुका कि उसी मेज के नीचे दबा बच्चा कराहते हुये बोला मुझे निकाल लो प्लीज!! दिवस ने तुरन्त मेज उठाकर फेंकी और बड़ी मुश्किल से उस बच्चे को ऐम्बुलेंस तक पहुँचाया| पीछे से पुलिस वाले ने कहा, ये ले तेरा फोन बज रहा हैं। दिवस ने फोन उठाकर पूछा ,हाँ जी आप कौन? तो फोन करने वाले ने कहा, इस फोन को दूर फेंक दो इसमें बम है। दिवस बोला," तुम कौन हो ? कोई जवाब न मिलने पर दिवस ने तुरन्त उस फोन को दूर फेंक दिया तभी पुलिस वालों ने सब भीड़ को दूर कर दिया और पाँच मिनट बाद मोबाइल बहुत तेज आवाज़ के साथ फट गया। धमाका ऐसा था मानो कान के पर्दे फट जायें। दिवस ने पुलिस स्टेशन जाकर अपना फोन नम्बर अन्य जानकारी सब पुलिस को दे दी। वह हैरान था सोच कर कि मेरा मोबाइल ऐसे फटेगा और फिर वो सोचने लगा वह किसका कॉल था आख़िर ! वह आवाज़ पहिचानने की मन ही मन कोशिश कर रहा था तभी एक बड़ी सी गाड़ी आकर रूकी उसमें एक रसूखदार व्यक्ति दिवस की तरफ आगें बढ़ा और हाँथ जोड़कर बोला," आपने मेरी बृद्ध माँ और बेटे को बचाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है। मैं यहाँ का सांसद हूँ। दिवस ने कहा, ऐसा मत कहिये प्लीज। मैंने तो अपना कर्तव्य निभाया है बस। तभी पुलिस ने कहा," इस जगह को जल्दी खाली करो जाओ यहाँ से। हम लोगों को अपना काम करने दीजिये प्लीज़। दिवस कुछ बोल पाता कि सांसद ने कहा," चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ गाड़ी में बैठो मना मत करना प्लीज़। दिवस रास्ते में बातचीत करता रहा। यह सब सुनकर सांसद ने कहा, दिवस मैं तुम्हें बड़े मंच पर सम्मानित करूँगा और राष्ट्रपति जी से सम्मानित करवाने की पूरी कोशिश करूँगा। सचमुच तुममें प्रतिभा के साथ-साथ बहुत सच्चे मानवीय गुण हैं। दिवस ने कहा, मेरे मोबाईल के फटने की जानकारी जिसने दी उसने मेरे साथ कई पुलिसवालों को भी बचा लिया सम्मान तो उसे मिलना चाहिये। सांसद बोले तुम बहुत अच्छे इंसान हो कहाँ रहते हो। वह बोला," शहर की मलिन बस्ती के पीछे किन्नरों के मोहल्ले में। सासंद ने कहा," हम भी चलेगेंदिवस ने कहा," आपको अस्पताल में अपने बेटे और माँ के साथ होना चाहिये। " सासंद ने दिवस की तरफ अपनत्व की भावना से देखते हुये कहा बेटे के ही साथ बैठा हूँ इस समय।'' चलो बेटा अपना मोहल्ला घुमाओ। दिवस ने पूरी मलिन बस्ती की दयनीय हालत व किन्नर बस्ती की बुरी हालत दिखाई तो सांसद मदन सिंह जी की आँख भर आयी। वह बोले, दस दिन के अंदर आपकी समस्याओं का समाधान करने का वचन देता हूँ। उनके साथ के लोगों ने वहाँ का पूरा वीडियो बनाया और कहा,हम जल्द ही शुरूवात करेंगे | फिर सांसद ने सरोज किन्नर के हाथ की चाय पी और सब वहाँ से चले गये

सरोज किन्नर ने दिवस से कहा," तुम सही सलामत हो यही काफ़ी है। " सरोज किन्नर ने अख़बार पढ़ते हुये कहा, सुप्रीम कोर्ट में किन्नरों को पिछड़ी जाति में रखते हुये थर्ड जेण्डर घोषित किया है और समानता व आरक्षण का भरोसा जताया है। दिवस ने कहा," क्या हम सभी किन्नर पिछड़ी जाति के ही लोगों की संताने हैं ?" हम पिछड़े में क्यों उच्च में क्यों नहीं? आख़िर! हमारा तो कोई कसूर नहीं। समाज के शोषण और दीन- हीन मानसिकता के कारण हमारा यह हाल है कि हम काबिल होते हुये भी किसी बड़े पोस्ट तक नहीं पहुँच पाते और पहुँच भी जायें तो लोग हमें टिकने नहीं देते। हमें आरक्षण पर नहीं बल्कि खुद पर यकीन है। हमें आरक्षण नहीं सम्मान चाहिये और जब प्रधानमंत्री जी हर किसी को शौचालय की सुविधा दे रहे थे तो हम लोगों को अलग शौचालयों की सुविधा क्यों नहीं। हर जगह महिला और पुरूष,अरे! हम भी तो इंसान है। हमारा ख़्याल क्यों नहीं हम सब भी तो वोट देते हैं सरकारी टैक्स भी देते हैं। सरोज ने यह सब रिकॉर्ड कर लिया और व्हाट्सएप पर पूरी रिकार्डिंग शेयर कर दी। दिवस ने किन्नर सरोज से कहा,"माँई! आप ब्लॉक प्रमुख का चुनाव या विधायकी का चुनाव लड़िये इस बार। कम से कम अपने समाज का कुछ तो भला होगा

सरोज बोली, पूरा प्रयास करूँगी कि चुनाव जीतूँ ।

वह बोली, दिवस मैंने तुमसे एक बात छिपाई है वह यह कि तुम्हारे पिताजी ने एक दिन मुझे पुराने शिव मंदिर में बुलाकर कहा कि तुम इस इलाके के किन्नरों की हेड हो देखना! दिवस कहीं भटक न जाये और उसके साथ कोई अनहोनी न घट जाये। तुम उसे अपने संरक्षण में ले लो बेटी और यह कुछ रूप़ये और यह सड़क की दुकान तुम रख लो। इसमें टैण्ट का पुराना सामान भरा है बेटी मना न करना । दिवस! तुम्हारे पिताजी बहुत धार्मिक जनप्रिय इंसान हैं। जब उन्होंने मुझे बेटी कहा तो मैं मना न कर सकी और उन्हीं के मना करने के कारण मैंने तुम्हें कुछ नहीं बताया। दिवस ने कहा, अच्छा किया बता दिया पर पिताजी का विश्वास क्यूँ तोड़ा ?

वह बोली, मैं तुम्हारी नज़रों का सामना नहीं कर पा रही थी और हर समय बचती फिर रही हूँ। इसलिए आज तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दिया बस।यह सुन कर दिवस कुछ सोचते हुये अख़बार पलटने लगा तो देखा कि यह तो अस्पताल में एडमिट जैनी की तस्वीर है। वह उस तस्वीर को देखकर परेशान हो उठा।सोचने लगा पास में अब फोन भी नही कि उस से बात हो।उसने फैसला लिया कल सुबह ही शहर जाकर उससे मिल आऊँ।अभी यही सब सोच ही रहा था कि चार-पाँच किन्नर आकर बोले,भैया वॅाव क्या लग रहे हो।यह ब्लू जीन्स ब्लैक शर्ट..सच एक दम झकास।दिवस हँस पड़ा और बोला, तुम लोग भी न , तुमको पसंद है तो तुम लोग ही पहन लो यह शर्ट और मुझे अपनी दे दो। वह बोले,आप ही पहनो आप पर जम रहा है।

उनमें से एक ने कहा, बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ दिवस?

हाँ पूछो ? वह बोला कि कभी लेडीज ड्रेस पहनी आपने ? दिवस ने कहा, मर जाऊँ पर कभी न पहनूँ । और बोलो.....।

उनमें से किन्नर रूद्र बोला, दिवस भैया हम लोग किन्नर होने से परेशान है पर पास के गाँव में पूरी दस नवजात बेटी पैदा होते ही मार दीं लोगों ने।उस गाँव के लोग अपने घरों में बेटी का जन्म होते ही उसे ज़िंदा दफन कर देते हैं कारण उन्हें लगता है वह अपनी बेटियों की शादी के लिए एक भारी दहेज़ की रकम कहाँ से लाएंगे? दिवस ने कहा, पुलिस पकड़ती नहीं ऐसे लोगों को? तो किन्नर रूद्र ने कहा,पकड़ भी जाते तो छूट जाते हैं । दिवस ने कहा, उस गाँव में कोई स्कूल, इंटर कॉलेज है क्या ? रुद्र बोला,स्कूल क्या कॉलेज भी है पर उसमें एक भी लड़की पढ़ने नहीं जाती । बहुत बुरा हाल है दिवस भैया कुछ गाँव आज भी बहुत पिछड़े हैं। पहले इन गाँवों में डकैतों का राज्य था अब डकैत नहीं रहे पर दहशत अभी भी कायम है। डरे सहमें गांव वाले आज भी बेटियों को कहीं पढ़ने नही भेजते और कम उम्र में अपनी बेटियों की शादी करना उनका स्वभाव बन चुका है। दिवस ने कहा, रूद्र मैं उस गाँव में चलना चाहूँगा चलो चलते हैं| दूसरे दिन रूद्र और दिवस उस गाँव की ओर रवाना हो गए | बहुत ही पेचीदे रास्तों से जूझते हुये वह दोनों उस गाँव में पहुंचे तो पहले कालेज की तरफ देखा तो टीचर लोग कॉलेज की छुट्टी करके बाहर आ रहे थे। दिवस ने उन्हें रोक कर उनसे कहा," हम कल इस गाँव में आप सभी के सहयोग से एक प्रोग्राम करना चाहते है जो बेटियों की शिक्षा पर आधारित है क्या आप सब सहयोग करेंगे ? वह बोले, आज इस गाँव में बारात आ रही है काफी हो हल्ला मचता है यहाँ, हम लोग कल बात करें। दिवस ने कहा, ठीक है। दिवस अन्दर गाँव में पहुंचा तो गाँव की गरीबी बीमार लोगों की लाचारी को देखकर वह बहुत दुखी हुआ । उसने देखा छोटी-छोटी बच्चियाँ मुँह ढांके खड़ी थीं जो दिवस को देखकर तेजी से अंदर चली गयीं। बड़ी मुश्किल से एक महिला ने बताया कि इस गाँव में लड़कियों की संख्या इतनी कम है कि अब लड़के वाले उल्टा दहेज़ देने की बात करते हैं और मना करने पर जबरन लड़की ले जाते हैं. दिवस ने कुछ सोचा फिर रूद्र से कहा, चलो चलते हैं । वह दोनों वापस बस्ती आ गये तो सरोज ने कहा," यह लो दिवस बेटा । दिवस ने कहा, इतना मंहगा फोन ? सरोज ने कहा, ज़रा कम बोलो! तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा। दिवस ऐसा मत बोलो आप। दिवस ने एकांत में बैठकर नेट से ढ़ेर सारी जानकारी निकाली और उसका पूरा वीडियो बनाया और फिर उसे पेनड्राइव में सेव किया। फिर जिस प्राईवेट स्कूल में दिवस ने पढ़ाया था। उस स्कूल के प्रधानाध्यापक के घर जाकर प्रोजेक्टर लेकर वापस लौट आता है तो रूद्र कहता है भैया यह क्या है ? दिवस कहता है इसे प्रोजेक्टर कहते हैं अब चलो उसी गाँव में । वहाँ खड़े अन्य चार पाँच किन्नर लोग बोले उस गाँव में तुम अकेले नहीं जाओगे हम सब चलते हैं। दिवस के हज़ार मना करने पर कोई न माना सभी उस गाँव में एक साथ दाखिल हुये। गाँव में गाने बज रहे थे शायद बारात आयी थी| दिवस ने कहा," चलो सब वहीं चलो। " देखा कि सब लोग नाच गा रहे दावत चल रही थीं। सभी आश्चर्य से एक साथ बोल पड़ते," अरे! हिजड़े और इस वक्त ?" लड़के वालों से एक व्यक्ति आकर बोला आप लोग सुबह आना। दिवस ने कहा, हम लोग नाचने गाने नेग मांगने नहीं आये हम आपको कुछ बताना चाहते हैं। यह जो जय माला का मंच बनाया है यहीं पर कुछ दिखाना है। आप पढ़े लिखे लगते हो मुझे एक फ़िल्म दिखानी है। फिर दिवस ने उन्हें काफी देर तक समझाया बताया तब कहीं जाकर वह मंच पर चढ़कर बोले," आप सभी लोग शांति से बैठ जायें और यह फ़िल्म देखें और शांति बनाये रखें। बात दूल्हे पक्ष ने कही थी तो सब चुप हो गये। चारों तरफ अंधेरा कर दिया गया और फिर दिवस ने पूरा सिस्टम लगाया और फ़िल्म शुरू हुई तो भारत माँ की फोटो दिखाई गयी फिर सीता माँ की राधा माँ की माता पार्वती की माँ काली की और फिर दिवस ने एक जय कारा लगवाया जय माता की सभी एक साथ बोले जय माता की और फिर फ़िल्म शुरू हुई एक बेटी हुई वह माँ बनी उसके एक बेटा हुआ बेटा माँ माँ कहते - कहते माँ की गोद में सो गया वर्षों बाद उसी बेटे के एक बेटी हुई तो उसने उस बेटी को पढ़ाया लिखाया तो वह देश की राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,डॉक्टर इंजीनियर वकील बनीं,पायलट,खिलाड़ी पुलिस अधिकारी बनीं और गाँव शहर,अपने माता पिता देश का नाम रोशन किया। और बाद में उस गाँव का नाम लिखकर आया कि ग्राम रजौरा की बेटियाँ भी इनमें से एक हो सकती हैं फिर उस वीडियों में एक छोटी बच्ची रोते हु़ये कहती है बाबू हमको भी पढ़ाओ । बड़ी होकर मैं भी सबका अच्छा ख्याल रखूंगी और दहेज़ मांगने वाले होंगे जेल के अंदर। दहेज के डर से मुझे न मारिये। बाबा अम्मा नमस्ते।

फ़िल्म ख़त्म हो जाती है पर चारों तरफ शांति छा जाती है। चारों तरफ बल्ब जल जाते हैं तो दिवस कहता है। गाँव रजौरा की बेटियाँ पढ़ेगीं तो यकीनन एक दिन यह 'शहर रजौरा' होगा यहाँ इतनी ही चकाचौंध होगी । तभी एक आदमी उठकर बोला," बेटी तो कर लूँ..पर खर्चा क्या तुम दोगे करोगे मदद? दिवस ने कहा," मैं एक स्वंयसेवी संस्था रजिस्टर्ड करवाऊगां जिसमें आये दान से आप सभी की बेटियों की मदद की जायेगी और बीमार बुज़ुर्गों की। पर कल से गाँव की सब बेटियाँ स्कूल जायेंगी और उनके प्रति भी समानता रखी जायेगी। तभी रूद्र ने कहा, हम आपके गाँव में जल्द ही गौशाला बनायेगें। आप सभी बस मेरा साथ देना क्योंकि आज अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में गौमूत्र की भी अच्छी-खासी मांग है और गौशाला से बहुत से लोगों को रोज़गार के अवसर भी मिलेंगे। इन सब बातों को सुनकर गाँव के लोग तालियाँ बजाने लगे। तभी उस बेटी के पिता ने कहा," आप भी दावत का खाना खा लो.तब दिवस ने कहा," हां बिलकुल खायेंगे। दिवस ने रूद्र से कहा,’बेटी की शादी है हमें उसे कुछ गिफ्ट देना चाहिये तभी रूद्र ने जेब से कुछ रूपये निकाल कर बेटी के पिता को देकर कहा,’यह हमारी तरफ से| भोलेनाथ उसे सदा सुखी रखें। इतना कहकर रूद्र कुछ कदम चला और मुड़कर देखा तो लहंगा पहने छोटी-छोटी लड़कियाँ मुस्कुराते हुये हाथ हिला कर उनका अभिवादन कर रही थीं। तो यह देख दिवस ने भी मुस्कुराते हुये हाथ हिलाया , सभी वापस लौटने लगे। रास्ते में सभी बोले, दिवस भैया आपने कमाल कर दिया अगर आप बड़े अफसर बन जाओ तो ढ़ेरों लोगों की किस्मत बदल जाये।

तभी रूद्र ने अपने सभी किन्नर साथियों से कहा की तुम सब गाड़ियों से निकल जाओ हम और दिवस भैया थोड़ा रुक कर आयेंगें। यह बात सुन सभी एक साथ बोल पड़े रुक कर क्यूँ ? तो रूद्र ने कहा की अरे! भाई "एक नंबर" आई है,यह बात सुनते ही। सभी हँसते हुये गाड़ियों मे बैठ कर आगें निकल गये। रूद्र ने गाड़ी एक किनारे लगा दी और लघु शंका के लिए सामने झाड़ियों की तरफ बढ़ गया. वहां चारों तरफ घुप अंधेरा और बड़ी बड़ी कगारें और सांपो की बामी बनी हुयीं थी,कुछ देर बाद वह चारों ओर इन्हीं सापों की बामियों को देखता हुआ वहां से लौट रहा था कि उसने मोबाइल की रोशनी में सामने जो देखा उसे देख उसका हलक सूख गया। वह दबे पाँव पास पहुंचा तो देखता है कि ब्लेक कोबरा ने दिवस को डस लिया है और दिवस बेहोश पड रूद्र ने दिवस को बाइक पर बिठाया और तेज़ी से बाइक लेकर अस्पताल की ओर निकल गया,जब वह अस्पताल जाने वाले रास्ते की ओर मुड़ा तो सामने से आ रहे उसके एक दोस्त ने इशारे से पुछा रूद्र क्या हुआ? तो रूद्र ने उसे अनसुना कर दिया और सीधे अस्पताल में जाकर दिवस को एडमिट करा दिया। कुछ देर बाद डाक्टर ने चैकअप किया तो बताया कि काटा तो कोबरा ने ही है पर यह हादसा हुआ कहाँ? रूद्र ने कहा, डॉक्टर साहब हम ग्राम रजौरा से लौट रहे थे। डॉक्टर ने कहा,वह इलाका कोबरा के लिये ही जाना जाता है पर हैरत है कि इतने घातक ज़हर का इनपर कोई असर नहीं है। फर्स्ट एड के बाद दिवस चुपचाप अस्पताल से बाहर आया तो रूद्र पीछे से आकर बोला," यह कैसे हो सकता है? आप तो देश दुनिया में अनोखे इंसान के नाम से फेमस हो सकते हैं। दिवस ने कहा , फेमस होना हो तो अपने अच्छे कर्मों से होना चाहिये, यूँ तो नहीं। और हाँ रूद्र यह बात किसी और से कभी कहना मत। रूद्र ने कहा, ठीक है भाई। तभी सामने से किन्नर उसमान, किन्नर जगत, किन्नर सरोज, किन्नर प्रीत सभी ऑटो से उतर कर भागते हुये आये और बोले," क्या हुआ तुम दोनों को ? रूद्र बोला," वो मेरा पेट थोड़ा खराब था सो चेकअप कराने आया था। यह सुनकर किन्नर उसमान ने कहा, हाँ अभी रजौरा में भी इसे "एक नम्बर" आयी थी अब शायद गया दो नम्बर होगा। यह सुन सभी हंस पड़े।

सभी बस्ती पहुंचे तो किन्नर झैलम भागते हुये आयी और बोली सरोज माई ," बुढ़वा गया ऊपर -अभी। " इतना सुनते ही सभी लोग बस्ती के अंतिम छोर पर बनी एक कच्ची मडैया यानि कच्ची झोपड़ी में टूटी खटिया पर पड़े एक जीर्ण-शीर्ण शव के पास जाकर एकत्र हुये। दिवस उस घर की हालत देख रो पड़ा कि मैं कई बार इसी घर से निकला पर कभी न सोचा था कि इसमें कोई इस हालत में तन्हा और बीमार व्यक्ति भी रहता होगा। दिवस उस बुज़ुर्ग को छूने चला कि तभी सरोज चिल्ला पड़ती है उसके पास मत जाओ और अपने आसूँ भी पोछ लो। हम लोग अपने किसी भी साथी के मरने पर इस तरह रोते नहीं समझे। यह सुनकर सभी जोर से हंस पड़े। दिवस ने देखा की वहाँ पूरी बस्ती के किन्नर इकट्ठा हैं। ताज्जुब है कि कोई रो नहीं रहा उल्टा सभी खुश हैं कि भोलेनाथ तूने खूब सुनी। दिवस पढ़ा- लिखा व्यक्ति था जो किन्नरों की रिवाजों से पूरी तरह से अनजान था | वह बोला, शर्म नहीं आती आपको कोई बुज़ुर्ग यूँ अकेला भूख प्यास से तड़पकर मर गया और आप सब हँस रहे हो। कम से कम उस मृत व्यक्ति के अंतिम दर्शन तो मुझे कर लेने दो। दिवस की यह बात सुनकर सरोज ने गुस्से से भर कर कहा, रूद्र तू इसे यहाँ से ले जा वरना अंतिम विधि में यह शोर मचायेगा। तभी एक दो उम्रदराज धाकड़ किन्नर आयीं और बोली, ऐ हैड़ी! सरोज तू इस नये नवेले से कुछ न बोल. चलो इसे में ही बता देती हूँ। सरोज ने हाथ जोड़कर कहा , मैं उसे सब समझा दूंगी आप उसे कुछ मत कहो जीजी ,वह पान थूंकते हुयें बोली," तू दलाल है इसके बाप की पर मैं नहीं, समझी।इस तरह क्या देख रही हो. मुझे सब ख़बर रहती है और फिर दिवस की ओर देखते हुई बोली अरे! नये नवेले तू मेरी बात ध्यान से सुन की तू एक हिजड़ा है और यही है तेरी असली पहचान। बाहर की दुनिया सिर्फ धंधा मात्र है ,जहाँ से हम लोग इस पापी पेट के लिए दो रोटी कमाते हैं.पैसा ही अपनी माँ और पैसा ही बाप.. सुन रहा है तू। हम लोगों में मुर्दे पर रोनाधोना नहीं होता,यह बात अपनी अक्ल में डाल ले तू| दिवस बोला, पर क्यों? क्या हमारे सीने में दिल नहीं ?तो वह दिवस का कॉलर पकड़ कर बोली, हाँ नहीं होता दिल, जानना चाहता है कि हिजड़ा किसे कहते हैं तो सुनो! जिसे किसी की मोहब्बत नसीब नहीं, उसे हिजड़ा कहते हैं और जिनका रसूखदार वासना के अंधे लोग हम लोगों का जबरन शारीरिक और मानसिक शोषण करते हैं, उसे हिजड़ा कहते हैं.तू इसी भाषा में समझ ले तो अच्छा दूसरी भाषा में तू फिर सह नहीं पायेगा। यह सुनकर दिवस ने कहा कि इन सब बातों का रोने से क्या तात्पर्य तो उसने कहा हम छटपटाते फिरते हैं कि कैसे मन पर काबू रखें|.हम भी इंसान है और हमारी भी इच्छायें है जो घुट रही हैं. कभी कुछ जलता है मन मे कभी कुछ बुझता है, न प्यार न इज्ज़त तो इस घुटनभरी जिंदगी से हम लोग हर पल मुक्ति पाना चाहते हैं और इसीलिये मरने पर खुश होते हैं कि कम से कम इस श्रापित जीवन से मुक्ति तो मिली.इसलिए तुम भी रोते हुये उसे मत छुओ ताकि वो अगले जन्म में हिजड़े के रूप में जन्म न ले। जब रात गहरा जायेगी तब शवयात्रा निकालेगें और मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ कि अब तू सिर्फ देखेगा, बोलेगा नहीं समझे। तभी दूसरी धाकड़ किन्नर बोली," इस नये नवेला चिकने का कौनूँ भरोसा नहीं अच्छा तो यही होगा कि इसके मुंह पर टेप लगाओ रे ! तभी किन्नर बिजली, बिजली की रफ़्तार से आयी और तुरन्त उसने दिवस के मुँह पर टेप लगा दिया| फिर शव के साथ अंतिम संस्कार के रिवाजों को देखकर वह दंग रह गया| रात में अन्य नये किन्नरों के द्वारा उसके साथ जो दुर्व्यवहार किया गया और इस भंयकर काली रात में उसने किन्नर होने के भयंकर सच को सामने देखा और महसूस कर लिया था। सारी वास्तविकता जानकर वह शांत हो गया पर उसका दिमाग चकरा रहा है।

क्रमशः ......


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama