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जश्न का दिन

जश्न का दिन

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आज मेरे मित्र के तलाक का फैसला होना था ।

कब से मैं इंतज़ार कर रही थी कि वह ऑनलाइन आये तो उससे बात करूं कि क्या हुआ ? शाम पांच बजे मैंने उसको मैसेज किया -- " हाय हीरो, कैसे हो ? क्या रहा फैसला ? ''

मैं अपने लिए चाय बनाकर लाई । कप टेबल पर टिकाया फिर मोबाइल उठा लिया। देखा कि मैसेज पढ़ा जा चुका है । लेकिन जबाब कोई नहीं । वह अब भी ऑनलाइन नहीं दिख रहा था । मैंने फिर मैसेज किया --" क्या हुआ , कोई जबाब नहीं ?" मेरी उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी । जब पिछली तारीख पर उसे आज की डेट मिली थी उसी दिन से हम रोज दिन गिनते थे कि अब कितने दिन बाकी हैं फैसला आने में । उसको पूरा यकीन था कि उसकी पत्नी उसको आराम से तलाक दे देगी । यूँ तो सालो से उनके बीच कोई रिश्ता नहीं था । उसकी पत्नी सालों से ही उनसे दूर रहती थी । मित्र का अच्छा बिजनेस है । रुपयों पैसों की कोई कमी नहीं , वह अपने गुजारे के लिए जो भी मांगेगी मेरे मित्र उन्हें सहज ही दे देंगे । ये बात वह मुझे कई बार बता चुके थे । उन दोनों के बीच की कड़ी उनकी बेटी जो कि लगभग तीस वर्ष की हो चुकी है वह अपनी माँ के साथ ही रहती है । उसने अपना बिजनेस अच्छा जमा लिया है और वह शादी भी नहीं करना चाहती ।

मित्र के बारे में सोचते सोचते मैं इतना खो गई थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे कप में चाय खत्म हो चुकी थी । फोन में मैसेज की टिक की आवाज के मेरी तंद्रा टूटी । मैंने झपटकर मोबाइल उठाया ।फेसबुक पर कोई नोटिफिकेशन था । इस बार भी निराशा ही हाथ लगी । मैसेज पढा जा चुका था लेकिन जबाब कोई नहीं ।

मैंने फिर मैसेज भेजा "अरे भई , मत देना कोई पार्टी-वार्टी खुश-खबरी तो सुना दो ।"

इस बार मैसेज जाते ही वह ऑनलाइन दिखा । मैसेज लिख रहा है मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी ।

"मेरा दिमाग खराब मत कर ।" उसका जबाब पढ़कर मैं सन्न रह गई ।

"क्या हुआ , कुछ बताओगे भी या ..." कुछ ना समझते हुए मैंने जानबूझकर लाईन अधूरी छोड़ दी ।

"कहा ना , मुझे किसी से कोई बात नहीं करनी । दिमाग खराब कर रखा है तुम सबने मिलकर मेरा ।"

मुझे उससे ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी । जब से मैं उसे जानती हूं वह बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं । उनकी अपनी पत्नी से क्यों नहीं बनी ये उनका आपसी मामला है । इस बारे में मैंने एक बार उनसे पूछा था तो उन्होंने साफ साफ कह दिया था कि मैं इस बारे में उनसे कोई बात नहीं करूँ । मुझे उसकी दोस्ती प्यारी है इसलिए मैं ऐसी कोई बात फिर कभी नहीं की जो उसको ठेस पहुंचाए ।

इसके बाद मैं फिर थोड़ी देर मोबाइल में नेट पर समय बिताने के बाद रसोई में जाकर रात के खाने की तैयारी में लग गई । फिर एक एक करके मेरे बच्चे और पति सब घर आ गए । मैं उनकी दिनभर की बातें सुनने खाना खाने खिलाने में व्यस्त हो गई । कोई ग्यारह बजे के बाद मोबाईल फिर मेरे हाथ में था । मैसेज फिर चेक किये । वह ऑनलाइन दिखा । मैं कुछ लिखने ही लगी थी कि वह ऑफलाइन हो गया । इस बार मुझे भी गुस्सा आया । मैंने मोबाईल एक तरफ रखा और एक किताब लेकर पढ़ने लगी । किताब पढ़ते पढ़ते मुझे नींद आने लगी तो मैं बिस्तर पर जाकर लेट गई । लेटने से पहले मैंने फिर मैसेज चेक किये । दिल को चैन तो नहीं पड़ रहा था । आखिर क्या हुआ है ? आज वह क्यों इतना परेशान है ? सोचते सोचते मेरी आँख लग गई ।

टिक टिक की आवाज से आंख खुली ।

मोबाईल उठाकर टाइम देखा दो बजकर चालीस मिनट हो रहे थे । दोस्त का मैसेज था ।

"सॉरी , मुझे माफ़ नहीं करोगी ?"

मैं चुपके से उठकर बॉलकोनी में आ गई । कहीं पति की आँख ना खुल जाए ।

मैंने फिर उसको लिखा "बताओगे नहीं क्या-कुछ हुआ ?" "यार .... उसने तलाक देने से मना कर दिया ।"

"क्या , क्या कह रहे हो ?" मुझे यकीन नहीं आ रहा था ।

"यार , उसने तलाक देने से मना कर दिया तो मैं बहुत डिस्टर्ब था ।"

ओह ! तो पहले बताना था ना , या इस लायक भी नहीं समझते ?" मैंने शिकायत की ।

क्या बताता तुम्हें ? यही कि उसने तलाक देने से मना कर दिया और शालिनी ने इस वजह से बखेड़ा कर दिया ।"

यहाँ मैं आपको बता दूँ कि शालिनी मेरे मित्र के साथ आजकल रिलेशनशिप में है और ये बात मेरे मित्र की पत्नी और बेटी को मालूम है ।

हम्म ... समझ सकती हूँ मैं । वो भी तो कब से इंतज़ार कर रही है तुम्हारे तलाक होने का ।

आज मैंने रात को खाना भी नहीं खाया गुस्से में बस पेग पर पेग .. पीता ही रहा । जाने कब नशे में यहीं पड़ा पड़ा सो गया । शालिनी अपने कमरे में सोई हुई है । तुम कहो तो वीडियो कॉल करुं ? देखो तो जरा आज अपने बेबड़े दोस्त का हाल ।"

अरे ! नहीं- नहीं , रहने दो । अब इस समय नहीं। मैंने जल्दी से उसको मैसेज भेजा । कहीं वह सच में वीडियो कॉल ना कर दे । पति जाग गए तो गुस्सा हो जाएंगे कि सुबह बात नहीं हो सकती क्या ? नींद पूरी नहीं होती फिर बीपी लौ का रोना रोती हो ।" उसने हँसने वाली कई स्माइली एक साथ भेज दी । मैंने भी जबाब में मुस्काने वाली ।

पता है जब उसने मना किया कि वो तलाक नहीं चाहती मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था । लेकिन अब मैं बिल्कुल नॉर्मल हूँ और एक सकून भी है दिल में ।" उसका ये मैसेज मुझे उलझा रहा था ।

"तुम्हारी ही तरह शालिनी ने भी मैसेज किया था । मैं क्या जबाब देता । फिर उसने फोन करके पूछा तो मैंने बताया कि नहीं मिला अभी अगली तारीख मिल गई है । उसने कारण पूछा कि अब क्या देरी रह गई तो मैंने बताया कि पत्नी ने तलाक देने से मना कर दिया । बस इतना सुनना बाकी था । उसने कहा मुझे मालूम था यही होगा और गुस्से उसने फोन काट दिया था। फिर जब मैं घर पहुंचा तो उसने मुझे बहुत सुनाया । मेरी पत्नी के बारे में भी बहुत कुछ उल्टा सीधा बोला ।"

"ये तो होना ही था । आखिर उम्मीद टूटी है उसकी ।" मैंने जबाब में लिखा ।

उम्मीद तो तुम्हे मालूम ही है क्या क्या है उसकी । वह बच्चा चाहती है मुझसे । अब तुम ही सोचो अठावन वर्ष का हो गया हूँ अब फिर से इन सब झमेलों में पड़ने की हिम्मत नहीं मेरी । फिर से शादी फिर से बच्चा । फिर से बच्चे को स्कूल लेकर जाना , उसकी पेरेंट्स मीटिंग ।" जैसे मित्र ख्यालो में खो गए थे। जैसे मित्र ख्यालो में खो गए थे, मैं भी उन्ही ख्यालो में खो गई थी ।

"अब देखो वो अभी जवान है । अभी पैंतीस वर्ष की ही तो हुई है । उसके तो सपने होंगे ही । वह भी चाहेगी हर स्त्री की तरह वह भी माँ बने ।" मित्र का मैसेज फिर से आ गया था ।

"ये तो सच कहा आपने ।" मैं मित्र के मन को समझना चाह रही थी कि आखिर वे चाहते क्या हैं ?

चलो भई , ये भी बढ़िया रहा । शालिनी बेशक अभी मुझसे नाराज है लेकिन ज्यादा देर नाराज नहीं रहेगी मैं अच्छी तरह जानता हूँ उसको और मैं उसकी निगाह में गिरूंगा भी नहीं ।" जब तक पत्नी तलाक नहीं देगी शालिनी भी शादी की जिद नहीं करेगी । वरना आज तलाक हो जाता और कल शालिनी शादी की बात रखती और कुछ ही दिनों में बच्चे की । मैं तो भला बचा यार ।"

"अच्छा , अभी सोती हूँ । बहुत जोर से नींद आ रही है । गुड नाईट ।" मैंने मित्र से विदा लेनी चाही ।

"अरे ! जश्न का दिन है जश्न का । जश्न में नींद किसको आती है ।" उसका मैसेज चमका और मैंने फोन बंद करके रख दिया ।


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