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Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Others

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Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

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डायरी डे वन

डायरी डे वन

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233


25.3.2020

कोरोना का भय से व्याप्त मन प्रातः उठने को तैयार ही न था। मन में एक बात और थी, उठ कर करना क्या है, न टहलने जाना है और न बाजार से कुछ लेना है तो जल्दी क्यों उठें। पर थोड़े ही देर में अपने कैदी होने का आभास हुआ। फिर लगा कैदी जीवन में अपना कुछ नहीं झट-पट उठ बैठी। उठकर अपने कमरे को फिर अपने को देख मन में कुछ विचार आया। मन ने कुछ कहा और मैं झट बिस्तर छोड़ दी, नित्य क्रिया से निवृत हो खिड़की पर खड़ी हुई तो सड़क पर कुछ आते-जाते लोगों को देख मन कुफ़्त हो गया। लगा रात में प्रधानमंत्री का हाथ जोड़ कर विनती करना, अपने को प्रधानमंत्री नहीं हमारे परिवार का सदस्य कहना सब बेकार। ये लोग क्या कर रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री ने अपने फायदे के लिए देशवासियों से घर में रहने का अनुरोध किया  इस कोरोना वायरस से आज कौन परिचित नहीं। बच्चा बच्चा समझ चुका है कि यह एक खतरनाक वायरस है जो महामारी का रुप ले लिया है। पर ये लोग मानने को तैयार नहीं।

फिर मुझे अपने नींद से नहीं उठने और अपनी नकारात्मक सोच पर अफसोस हुआ कि नींद के आगोश में भी में ऐसा गलत कैसे सोच सकती हूँ।

बाई को नहीं आना था अतः हम पति-पत्नी मिलकर घर के सारे काम किए। समय-समय पर टी वी न्यूज़ से अपने को अपडेट करती रही। आज टी वी न्यूज से बहुत सारी जानकारी प्रप्त हुई। सर्वप्रथम कोरोना हमारे देश में कब आया। 31 जनवरी को यह भयानक वायरस हमारे देश को तबाह करने अपना पहला कदम रखा। अन्य देशों के तुलनात्मक रिपोर्ट देख हमारे देश की कोरोना रोको व्यवस्था पर विश्वास जमा। अब आगे की व्यवस्था अच्छी बनी रहे इसके लिए हम देशवासियों को साथ निभाने होगा। न्यूज़ से जहाँ एक तरफ लोगों के बाहर निकलने से मन कुफ़्त हो रहा था वहीं दूसरी तरफ कुछ की मजबूरी सुन लगा कि आज़ादी के 73 साल बाद भी हम अभी इतने पिछड़े हैं कि अपने सभी देशवासियों को एक छत और दो शाम की रोटी उसके शहर के निकट नहीं दे सकते, जब कि वो मजदूरी करने को तैयार है। बहुत अफसोस की बात है कि बिहार, बंगाल, झारखण्ड आदि जगहों के मज़दूर रोजी रोटी की तलाश में अपने जन्मभूमि से दूर दिल्ली, पंजाब, जम्मू तक चले जाते हैं। आज उन्हीं दूर देशी मज़दूरों को घर नहीं पहुँच पाने के कारण तकलीफ़ का सामना करना पर रहा है। 

इस न्यूज़ को सुन मन बहुत दुःखित है। सोने जा रही हूँ पर नींद में भी ध्यान में वे मजबूर भाई रहेंगे।   


नोट - लॉक डाउन के बाद प्रथम दिन का अनुभव।


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