एक अविस्मरणीय यात्रा
एक अविस्मरणीय यात्रा
ये 6 महीने पहले की बात है, जब मैं उड़ीसा से चेन्नई आने वाली थी। पापा और माँ मुझे स्टेशन छोड़ने आये थे। मैं अपने दोनो बच्चों को ले कर रात के 12 बजे हावड़ा मेल में चढ़ गई। मेरे पति हमारे साथ नहीं थे इसीलिए हम लोगों की सुविधा के लिए वो प्रथम श्रेणी एसी बोगी में टिकट कर दिये थे । हम तीन लोग अपने ऊपर के बर्थ में चले गये। नीचे की दो बर्थ में पति पत्नि सोये हुए थे। अंधेरे की कारण उनके उम्र का अंदाज़ा मैं लगा नहीं पा रही थी। वो लोग शायद हावड़ा से ही चढ़े थे।
रात काफी हो गई थी, सोने का वक़्त हो गया था तो मैं ये सब में ज्यादा ध्यान नही देना चाह रही थी। मैंने अपने केबिन का दरवाज़ा अंदर से कुंडी लगा के बंद कर दिया। केबिन में बस हम पाँच लोग थे,मेरे दो बच्चे, मैं और वो दो पति,पत्नी ।
हम लोग ऊपर बर्थ में सो गये और नीचे वाले बर्थ में दोनों पहले ही मुँह ढक के सो गये थे। हम तीन भी बहुत जल्दी सो गये ?
अचानक दो घंटे बाद करीब रात को 2 बजे मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी तो मैंने कम्बल के अंदर से झाँकने की कोशिश की, देखा तो एक आदमी,नीचे की बर्थ पर सोई हुई महिला के पास बैठा था, लेकिन आवाज़ बस महिला की सुनाई दे रही थी कि "मुझे कभी भी छोड़ के नहीं जाना प्लीज़"। मैं दरवाज़े की तरफ देखी तो दरवाज़ा अन्दर से बंद था। तब लगा कि हो सकता है नवविवाहित जोड़ा है, मुझे उनको परेशान नहीं करना चाहिए, फिर देखी तो दूसरे बर्थ पर उसका पति सोया हुआ था। अब तो डर लगने लगा कि कहीं चोर तो नहीं, सोच के चुप चाप सो गई।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा नीचे वाले दोनों लोग काफी बुजुर्ग थे उस महिला की उम्र 62 साल और उसका पति 70 साल के रहे होगें।
मेरे मन में कई सारे सवाल थे? लेकिन पूछने की हिम्मत नही हो रही थी। फिर अचानक वो नीचे वाली महिला ने मेरी बेटी को एक चॉकलेट दिया और बहुत बातें की तो मैं उनके साथ थोड़ा सहज महसूस की। बार बार वो किसी को फ़ोन करके पूछ रहे थे कि बेटा हम को लेने चेन्नई स्टेशन आओगे ना ? तब मैं उनको पूछी क्या आप का बेटा चेन्नई में जॉब करता है ? उनकी आँखें नम हो गइ ,और अपने मोबाइल से 29 साल के लड़के का एक फ़ोटो दिखा के बोली ये है मेरा बेटा, जो MBBS कर रहा था। आज से 4 साल पहले चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में मेरी ही गोद में stomach cancer से अपना दम तोड़ दिया। उसकी शादी भी तय हो गई थी, बोल के अपनी होने वाली बहु की भी फ़ोटो दिखाई और बोलती रही कि अपने हाथों से बेटे को डॉक्टर बनाया था और कुछ दिन बाद घर में बहु भी आने वाली थी पर अफसोस भगवान को शायद ये मंज़ूर नहीं था। मैं बहुत दुखी हो गई और बोली आंटी आप मत रोईये नहीं तो आप को रोते हुए देख कर आपके बेटे की आत्मा को बहुत कष्ट होगा। वो बोली मैं दुखी नहीं हूँ, आज भी मेरा बेटा मुझे मिलने हर दिन, हर रात को आता है और कुछ वक्त मेरे साथ बातें करता है और चला जाता है
ये सुनते ही मेरे पैरों तले की ज़मीन खिसक गई और मैं सोचने लगी कि पिछले रात मैने जिस आदमी को देखा था वो और कोई नहीं बल्कि उनका मृत बेटा था। तब उनके पति बोले हमारे सोसाइटी में मेरे बेटे के उम्र के जितने भी लड़के हैं मेरी पत्नी सबको बेटा बुलाती है और उनका जन्मदिन भी मनाती है
मैं आंटी को समझाने की कोशिश की, कि आंटी आप के प्यार से मत बांध के रखिये आपने बेटे को, उसको मुक्ति चाहिए। अभी भी उसकी आत्मा भटक रही है आप के पास। वो मुझे आँसू भरी नज़रों से देख के बोली, वो दस मिनट मेरे लिए अनमोल हैं जब वो मुझसे मिलने आता है ।
बात करते करते हम सब कब चेन्नई सेन्ट्रल पहुँच गये, पता ही नही चला। फिर मैने आख़िरी बार उनकी तरफ देखा और बोली प्लीज आंटी एक बार कोशिश कीजिए। उनहोंने मेरी तरफ देखा वो मुस्कुरा रहीं थी। मैं ट्रेन से उतर गई। उतरते समय आंटी जी की मुस्कान मुझे बार बार परेशान कर रही थी और यही कह रही थी कि मिताली, तुम भी एक माँ हो, तुम ही बताओ "माँ बेटे का प्यार क्या इतनी आसानी से भुलाया जा सकता है ⁉