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Nikita Vishnoi

Drama

5.0  

Nikita Vishnoi

Drama

तराना

तराना

2 mins
541


क्या क्या क्याये सब है प्यार की परिभाषा नहीं शीतल ,तुम्हे वास्तविक अर्थो में प्यार की परिभाषा का कोई ख़्याल नहीं है तुम बस लोगो के, इस ज़माने के झूठे ढकोसलों पर जीती आयी हो ! तुम जिसे प्यार कह रही हो वो क्षणभंगुर,आकर्षण है जो कब दीप्त होकर विलुप्ति की कगार पर पहुँच जाए इसका ज़रा भी अंदेशा नहीं है ये ज्यादा टाइम के लिए सस्टेनेबल नहीं होते है मैडम तो तुम अपनी गलतफहमी को उचितफहमी में चेंज करो तब ज्यादा मुनासिब होगा मोहतरमा -विनिता ने विनीत चुटकी लेते हुए कहा।

अच्छा तो तुम्हारे हिसाब से प्यार क्या है अब ज़रा तुम भी अपनी डेफिनेशन सुना दो मैडम जिससे हम नादान परिंदों को भी सही अर्थों में सस्टेनेबल प्यार की कहानी मिले -शीतल ने टांट देते हुए विनीता से कहाँ।

हाँ तो सुनो विनीता ने कहा।

प्यार एक संवेदना है,

एक खुशी है ,एक अहसास है प्यार रेगिस्तान में भी खिलता हुआ गुलाब है ,प्यार गुमनाम खुशी का एक राज है प्यार दिल के समंदर में थोड़ा सा राग है ,प्यार अनुभूति है मौन है जो प्यार को नहीं समझे, आखिर वो कौन है प्यार था मीरा का श्याम से ,प्यार था गोपियों का घनश्याम से प्यार था राधा का सच्चे कान्हा के नाम से ,प्यार एक बच्चे का माँ से ,प्यार एक बेटी को पिता से, प्यार एक निक को उसकी दादी से जो न दिखे पर दिव्य गणेश से अनेको हाँ अनेको उदाहरण है प्यार के,क्योंकि प्यार एक निश्छल स्वरूप है।

प्यार एक हमदर्दी है जैसे एक बच्चे को अपने खिलौनों से होता है हाँ मुझे भी था मैं बचपन में अपनी गुड़िया को अपने साथ सुलाती थी उसे लौरी भी सुनाती थी रात में ठंड न लग जाए इसलिए बार बार ओढाती थी ये अपनापन ये खुशी ये मोह यही तो प्यार है जिसे जिस्मानी तौर पर दुनिया समझ रही है वो प्यार नहीं फ़रेब है और कलंक है इस सुंदर नाम के लिए,क्योंकि प्यार तो निश्छल है किसी भी स्वार्थ से परे है प्यार विधाता की मानव को सप्रेम भेट है तो सटीक प्यार को समझते हुए समस्त पर्यावरण वन्यजीव व मानव समुदाय की रक्षा व देखभाल करना चाहिए।


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