लाल बत्ती
लाल बत्ती
मल्होत्रा जी का बेटा खेलते हुए अचानक छत से नीचे गिर पड़ा, बहुत गम्भीर चोटें आईं, मल्होत्रा जी ने अपनी बंगले के पास ही डॉक्टर को तुरन्त दिखाया पर उसने कहा दिया मैटर सीरियस है आप किसी बड़े अस्पताल ले जाएं।
मल्होत्रा जी हैरान, परेशान हैं, बिना कुछ मन में सोचे ड्राइवर को कहते हैं -"सिटी हॉस्पिटल लेकर चलो।"
पत्नी भी साथ है।
"ड्राइवर और तेज़ चलो और तेज़ " उनके मन की उलझन बढ़ती जा रही है।
ड्राइवर अस्सी की स्पीड मेंं गाड़ी भगा रहा है, अचानक स्पीड कम हो गई कार की।
"क्या हुआ रामसिंग गाड़ी की स्पीड कम क्यों की।
"पता नहीं सर जी लगता है कोई रैली है या जुलूस।"
"पागल है तू देख नहीं रहा, बच्चे की हालत कितनी गम्भीर है हमें जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुँचना बहुत जरूरी है।"
अचानक रामसिंग ने गाड़ी रोक ही दी।
मल्होत्रा लगभग चीखते हुए -"अब क्या हुआ "रामसिंग कुछ कहता इसके पहले ही मल्होत्रा ने देखा सामने से आते पुलिस वाले सबकी गाड़ी सड़क के इस पर ही रोक कर रखे हैं।
"कोई भी गाड़ी अभी क्रॉस नहीं होगी रोड से, मंत्री जी की लाल बत्ती गाड़ी आ गई है पास देखते नहीं, वह निकल जाए फिर सिग्नल मिलेगा जाने का।"
"सर मेरा बच्चा बहुत घायल है, तुरत हॉस्पिटल ले जाना जरूरी है, ट्रीटमेंंट के अभाव मेंं कहीं उसे कुछ हो ना जाये।"
"दस मिनट मेंं कुछ नहीं होगा।, मंत्री जी की गाड़ी निकल जाने दो उनकी भी सुरक्षा की ड्यूटी है हमारी।"
दस मिनट करते करते आधा घण्टा बीत गया, बच्चे की हालत बिगड़ती गई और उधर नेताजी की लाल बत्ती गाड़ी गुजरी और इधर मल्होत्रा का लड़का भी गुजर गया, हालत ज्यादा खराब हो गई थी उसकी, लगातार खून बह रहा था उसका, गाड़ी मेंं से मल्होत्रा की पत्नी की चीख़ें गूंजने लगी, ड्राइवर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया, लाल बत्ती गाड़ी जा चुकी थीं।