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कश्मकश [ भाग 14 ]

कश्मकश [ भाग 14 ]

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रिया को जब होश आया तो उसे यह एहसास हुआ कि वह रोहित के शिकंजे मे फँस चुकी थी। वह सोच मे पड़ गयी कि आखिर रोहित उसे कहाँ ले जा रहा था?

"कही वो फिर से रिया के शरीर से अपनी काम वासना को तृप्त तो नही करना चाहता था ?"

यह विचार मन में आते ही रिया की रूह काँप गयी। उसके सामने वर्षो पहले घटे वो भयानक दृश्य एक बार फिर तांडव करने लगे। वासना मे अन्धा होकर बड़ी निर्दयता से उसकी लज्जा का हरण करता हुआ रोहित, उसका वो अनचाहा स्पर्श जो रिया को अथाह पीड़ा दे रहा था। अपनी नग्नता को ढकने का हर वो प्रयास जो रोहित विफल कर देता, उस विवशता और पीड़ा से निकले उसके आँसू और चीखें और फिर जब अत्याचार असहनीय हो जाते धीरे धीरे आत्मसमर्पण कर बेहोशी की आगोश मे पनाह ले लेना जो उसे कुछ क्षणों तक के लिए पीड़ा से बेसुध कर देता।

"नही....!" रिया चीख पड़ी।

उसकी चीख सुन कर रोहित उसके कमरे मे दौड़ा चला आया। उसे देखते ही रिया ने शीशे का फूलदान उठा लिया।

"आगे मत बढना रोहित !"

"मै तुम्हे कोई नुकसान नही पँहुचाना चाहता। हम पुरानी बाते भूलकर एक नया जीवन शुरू नही कर सकते ?"

"क्या भूल जाऊ रोहित...कि तुमने मुझे अपनी हवस का शिकार बनाया था। कैसे भूल जाऊ कि तुमने सिर्फ सत्रह साल की नाबालिग लड़की के साथ बड़ी बेरहमी से पूरे दो दिन तक बलात्कार किया और उसे बदनामी के अँधेरे मे धकेल दिया। कैसे भूल जाऊ उस हादसे की उन दर्कनाक यादे जो मुझे सदा घेरे रहती थी। और मैं पागलो की तरह रात दिन चीखती चिल्लाती रहती थी। फिर एक दिन मुझे पता चला कि तुम्हारी हवस ने मुझे बिन ब्याही माँ बनने पर मजबूर कर दिया है। माफी गलती की दी जाती है। तुमने मेरे साथ गुनाह किया है...आह!"

रिया को चक्कर आने लगे और रोहित ने उसे थाम लिया।

"मै तुम्हे तुम्हारा खोया हुआ जीवन वापस देना चाहता हूँ।"

"तुम मुझे सिवाय दुख के कुछ नही दे सकते। छोड़ दो...जाने दो मुझे।"

रिया ने हाथ छुड़ा कर भागने की कोशिश की पर रोहित ने उसे ज़ोर से कर अपनी बाँहो की गिरफ्त मे ले लिया। रिया अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने आप को छुड़ाने के लिए छटपटाने लगी। इतने मे सागर मे बड़ी सी लहर उठी और याॅट ड़ोलने लगी। दोनो फर्श पर गिर पड़े। रिया ने उठना चाहा किन्तु रोहित ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया। रिया ने रोहित की आँखो मे देखा। उसने रिया को फिर से फर्श पर लिटा दिया और कस कर उसके होठो को चुम्बित किया। रिया का जैसे अपने आप पर कोई वश न रहा। उसके हाथ पैर मानो सुन्न हो गये थे। रिया ने एक बार याॅट की बत्तियो को देखा जो धुँधलाई सी प्रतीत हुई और फिर अपनी आँखे बन्द कर ली।


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