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किनारे वाले ब्रैड पीस

किनारे वाले ब्रैड पीस

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राजू मेरा मित्र इस साल अक्टूबर में ५९ वर्ष का हो गया. जब लगभग २ साल का था, तब से ही ब्रैड खा रहा है. उस समय उसकी माँ दमयंती अपनी ब्रैड के बीच में से नोच नोच के छोटे छोटे निवाले मुँह में डालती थी. ब्रैड की किनारियाँ कभी नहीं खिलाती थी, खुद खा लेती थी, ना जाने क्यों किनारियाँ नहीं खिलाती थी, आज ५७ साल बाद भी यह प्रश्न अनुतरित है।

२० पीस की ब्रैड आती थी, मैदे की, केवल ब्रिटानिया, बहुत बाद में माडर्न आने लगी और फिर धीरे धीरे बहुत सी कंपनियों की और फिर तरफ तरफ की, जैसे कि ब्राऊन ब्रैड, आटा ब्रेड, आदि आदि, सभी में किनारे वाले दो पीस होते है।

फिर राजू बड़ा होता गया, ब्रैड टोस्ट खाने लगा, फ्राइड व आमलेट अंडे के नीचे लगा कर खाने लगा. इसमें ब्रैड की किनारियाँ भी खाने लगा. टोमेटो, चीज़ व् वैज सैन्डविच भी खाने लगा. घर पर तो किनारियों वाली ब्रैड के ही सैन्डविच बनते थे. लेकिन होटल या ऊँची सोसाइटी में सैन्डविच ब्रैड में सैन्डविच मिलते. सैन्डविच ब्रैड यानी कि चारों तरफ की किनारियाँ कटी हुई।

लेकिन परिवार में माँ को छोड़ कर कभी भी ब्रैड के किनारे वाले पीस किसी ने भी नहीं खाए।

राजू की नौकरी लग गई और वो दूसरे शहर चला गया, फिर २५ साल की उम्र में राजू की शादी हो गयी. उसके बाद भी उसे कभी किनारे वाली ब्रैड खाने को नहीं मिली. तब से अब तक किनारे वाले ब्रैड पीसों पर उसकी पत्नी का एकाधिकार है ।

मैने बहुत खोजा, पर एक भी ऐसा राजू नहीं मिला जिसने माँ या पत्नी के होते किनारे वाली ब्रैड खायी हो।


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