बेज़ुबान
बेज़ुबान
हम अक्सर मोहल्ले मेंं घुमने वाले आवारा कुत्ते या जानवरों को हिकारत से देखते हैं, वहीं गले में पटा बंधा है चैन के साथ घूमने वाले कुत्तों से कोई भी बड़े प्यार से बात करते हैं, हाय कितना स्वीट है ...। क्या नाम है आदि।
सड़क पर घूमने वाले ये बेज़ुबान भी वैसे ही स्वीट होते हैं। कभी देखें तो इन्हें दुलार कर।
मैं आपको एक सच्ची घटना सुनाती हूँ, हमारे मोहल्ले में एक काला कुत्ता है वो हमारे दरवाज़े पर बैठा रहता है, मेरे पति अक्सर आते-जाते उससे बातें करते रहते हैं....जैसे: और कालू कैसे हो, कालू कुछ खाया तूने, कालू भी नाम उन्हीं ने दिया है।
मैं हँसती और कहती- क्या बातें करते रहते हो उससे, बड़ी जोर-ज़ोर बातें होती हैं। अरे बैठा रहता तो मैं हालचाल पूछता रहता हूँ।
वाकई बेज़ुबान भी आपका प्यार, दुलार, दुत्कार सब जानता है, अभी पिछली बारिश में अगस्त के महीने में मूसलाधार बारिश हुई, हमारे मोहल्ले में आस-पास पानी भरा गया। उस रोज रात को कालू पानी में बुरी तरह पीट गया। हमने आवाज़ सुनी कालू रो रहा है, दरवाज़ा खोला तो मेनगेट पर लातेंं मारकर दरवाज़ा खोलने की कोशिश कर रहा था, मेरे पति ने इतनी रात को लॉक खोला और कालू बदहवास सा अंदर घुसा और डोरमैट पर दुबकर बैठ गया, हमें बड़ी कातर निगाहों से देखकर थरथर काँप रहा था, मेरे पति ने जब ही मुझ से कहा एक दो पुरानी चादर लाओ एक दो डोरमैट भी लाकर दो ये पानी में भीग गाया है।
हमने उसे उढ़ा दिया फिर रात भर रोया नहीं, आराम से सोता रहा। उस दिन मुझे लगा इनका बातें करना ,वाकई वो समझता था, कालू ने किसी घर में मुश्किल में दरवाज़ा नहीं बजाया। सिर्फ हमारे घर के बाकी सब को एतराज़ रहता था उससे, हम से शिकायत भी की थी, आप लोग इसे यहाँ मत बैठने दो, भगा दिया करो।
उस दिन से हम दोनों ने पूरी बारिश उसे अपने घर में सोने की जगह दी। रात को जब हम लॉक करने को होते ये आवाज़ देते- कालू-कालू तो कालू हाज़िर। झट से अंदर आकर डोरमैट पर सो जाता और सुबह जैसे ही लॉक खुलता अपने चला जाता...।
बस आप सब से यही रिक्वेस्ट है ज़रूरी नहीं पालतू को ही प्यार, दुलार दें इन सड़क पर घूमने वाले बेज़ुबान की भी देखभाल करें। ये दुलार के हक़दार हैं इन्हें हिकारत से ना देखें दुत्कारे नहीं.....।