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क़त्ल का राज़ भाग 10

क़त्ल का राज़ भाग 10

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क़त्ल का राज 

भाग  10

मीलॉर्ड! मेरा कहना ये है कि सम्यक के बयान के अनुसार सारी बातें हुई होंगी। जूनून में आकर सम्यक ने ऐश ट्रे उठाकर जोर से मंगतानी के सर पर पटकी होगी पर इससे उतना ही जोर लगा होगा जिसके कारण उसके सर पर गूमड़ बन गया होगा। ये मंगतानी के कुर्सी पर गिरते ही भाग खड़ा हुआ पर इसे यह पता नहीं चला कि इसके जाते ही मंगतानी होश में आ गया होगा।

आप भूल रही हैं मैडम कि मंगतानी मर चुका है प्रीतम जोर से बोला अगर आपकी थ्योरी सही होती तो मंगतानी मरा ही न होता! लेकिन मंगतानी मरा है तो किसी ने मारा ही होगा। और वहां इन दोनों के अलावा कौन था?

यही बात मैं कहना चाहती हूँ मीलॉर्ड! वहां इन दोनों के अलावा भी कोई था। जिसके बारे में सम्यक और मंगतानी नहीं जानते थे। उसने छुपे रहकर सब मामला देखा। जब सम्यक मंगतानी पर वार करके फरार हुआ और मंगतानी को कुछ ख़ास चोट नहीं पहुंची तो असली कातिल हरकत में आया। उसने दबे पाँव आकर वही ऐश ट्रे मंगतानी की खोपड़ी पर इतने जोर से पटकी कि उसका दम निकल गया फिर कातिल वहां पड़े लाख रूपये लेकर रवाना हो गया। अगले दिन मीडिया के माध्यम से खबर मिलने पर सम्यक ने सोचा कि उसके ही वार से मंगतानी मरा है और उसने पुलिस में आत्मसमर्पण कर दिया। और पुलिस ने भी प्लेट में सजा हुआ कातिल मिलते ही आगे तफ्तीश बंद कर दी अन्यथा आलाए क़त्ल पर बाकी की उँगलियों के निशान भी मिलाए जाते तो हो सकता है असली कातिल की ऊँगली की छाप भी मिल जाती।

जज ने आग उगलती नजर सब इंस्पेक्टर पर डाली तो वो हड़बड़ा गया

जज ने इस ऐंगल से जांच करने का आदेश देकर आठ दिन बाद नई तारीख मुक़र्रर कर दी। पर सम्यक को बेल पर रिहा करने की ज्योति की मांग खारिज कर दी पर ज्योति खुश थी कि उसने अभियोजन के सुदृढ़ किले में एक सेंध तो लगा ही दी थी।

              अगले आठ दिनों में पुलिस ने ज्योति द्वारा सुझाए गए एंगल पर काम किया। ऐश ट्रे पर से उठाए गए सभी निशानों का ऑफिस में आने-जाने वाले संभावित लोगों के निशान लेकर मिलान किया गया। उस ट्रे पर चंद्राबाई के निशान मिले। कान्ता सोनू और चौधरी के फिंगर प्रिंट्स उस ट्रे पर नहीं थे। पर एक अनजान व्यक्ति की ऊँगली का निशान उसपर पाया गया। उस निशान के बारे यह मान लिया गया कि मंगतानी के किसी क्लाइंट ने बेध्यानी में ट्रे को छुआ होगा। हत्या की रात तीसरे व्यक्ति की मौजूदगी का कोई सबूत पुलिस को नहीं मिला। दिन बीतते रहे। 

         ज्योति पिछले दो दिनों से एक शख्स का पीछा कर रही थी। जैसे-जैसे उसकी जांच आगे बढ़ रही थी उसका शक बढ़ता चला जा रहा था। यह एक मझोले कद की महिला थी जिसे यह पता नहीं था कि कोई उसके क्रिया कलाप पर नजर रखे हुए है। ज्योति एक दिन एक बड़ी इलेक्ट्रॉनिक आइटम की शॉप में पहुँच गई जहां से उस महिला ने कुछ खरीदी की थी। ज्योति ने उस शॉप के मैनेजर से मुलाक़ात की और संदेहास्पद महिला के बारे में पूछा। मैनेजर ने बताया कि उस महिला ने सामान खरीद कर कैश में पेमेंट किया था। कैश का कोई रिकॉर्ड तो रहता नहीं सिर्फ कैश मेमो की डुप्लीकेट प्रति थी लेकिन तब ज्योति के सुखद आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब कैशियर ने बताया कि उसने महिला द्वारा हजार के नए नोटों में किये गए पेमेंट का सीरियल नंबर सावधानी वश लिख लिया था। ज्योति ने तुरंत उस रिकार्ड की जेरोक्स कॉपी करवा कर ले ली। एक बार ज्योति उस महिला का पीछा करते हुए एक मॉल में पहुंची और थोड़ी बेध्यानी से वो मॉल की भीड़ में गुम हो गई। ज्योति उसे तलाश ही रही थी तब तक उसके कंधे पर एक हाथ पड़ा। ज्योति किसी और ही ध्यान में थी जैसे ही चौंक कर घूमी तो कान्ता को देखकर सकपका गई। कान्ता ने पूछा और कैसी हो ज्योति मैडम? किसी को ढूंढ रही हो क्या?

नहीं नहीं। मैं तो कुछ शॉपिंग करने आई थी अब निकल रही हूँ। कहकर जल्दी से ज्योति वहाँ से चली गई। कुछ दूर जाकर उसने मुड़कर देखा तो कान्ता बहुत विचित्र मुद्रा बनाए उसे घूर रही थी।

 

कहानी अभी जारी है...

क्या ज्योति किसी रहस्य की तह तक पहुँच सकी?

पढ़िए आगे भाग 11 


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