हौसलों की उड़ान
हौसलों की उड़ान
सभी खाना खा चुके थे, मालती रसोई साफ कर व्यवस्थित कर रही थी।
"मम्मा! हो गया सब?" विशू ने आकर पूछा।
"हाँ, बस पाँच मिनट," मालती गैस साफ करते-करते बोली। विशू वहीं खड़ी रही।
"क्यूँ खड़ी हो, जाओ।"
"मम्मा, आप आओ, मेरे कमरे में। आपसे बहुत अच्छी और बहुत जरूरी बात करनी है।"
"अच्छा, ऐसी कौन-सी बात है, ठीक है, आती हूँ।"
काम खत्म कर मालती तौलिये में हाथ पोछती... विशू के कमरे में बेड पर बैठ गई। हाँ, बता जल्दी। थक गई हूँ। ग्यारह बज चुके हैं,बोल।
"मम्मा, मैं...न...आरव से शादी करूँगी।" बिना भूमिका बनाये, किसी लाग-लपेट के बिना, एक सांस में, पूरे आत्मविश्वास से लबरेज विशू ने अपने मन की बात माँ से कह दी।
ठक से लगा, मालती को, क्षणिक असंयत हुई फिर सम्भाल लिया खुद को।
"अच्छा, ठीक तो है...।"
"मम्मा, आप तो ऐसे लग रहे हो, जैसे सब जानती हो," लिपटते हुए विशू ने कहा।
"बेटा, मैं वो सब पढ़ रही थी जो तुमने कहीं लिखा नहीं, वो सब सुन रही थी जो तुमने कभी कहा नहीं।"
"कैसे?" हँसते हुए विशू ने कहा।
"तुम बदलने लगी थी, तुम्हारी बातें, उठना, बैठना, चलना सब कुछ...बहुत कुछ था जिसे मैं चुपचाप पढ़ती थी, हाँ पूछा कभी नहीं, क्योंकि पता था एक न एक दिन तुम बताओगी ही," मुस्कुराते हुए मालती ने कहा।
"तुम्हें डर नहीं लगा मुझसे कहते?" मालती ने विशू की आँखों में देखते हुये फिर पूछा।
"नहीं...।"
"क्यूँ? इतना विश्वास कैसे?" मालती ने फिर प्रश्न किया।
"आप मेरा हौसला हो, फिर डरूँ क्यूँ?" विशू ने बड़े निश्चिंतता से जवाब दिया।
"सही कहा," ठंडी सांस भर मालती ने जवाब दिया।
थोड़ी देर खामोशी, फिर विशू चहक कर बोली, "मम्मा, एक बात पूछूँ... आपने भी क्या किसी से प्यार किया था?"
"हाँ," मालती के अप्रत्याशित जवाब से चौकने की बारी विशू की थी।
"फिर?" विशू बोली।
"फिर क्या, कभी जुबान ही नहीं खुली। हिम्मत कहाँ थी।"
"ओह्ह, तो आपने किसी से कहा ही नहीं, नानी से भी नहीं?"
"नहीं।"
"क्यूँ?" फिर विशू बोल पड़ी।
"न हिम्मत हुई, न हौसला था, हम बहुत दबे हुए रहते...। जुबान सिली हुई होती थी, जुबान खोलने की हिम्मत, कभी सोचा ही नहीं। हमारे होंठ सिले रहते, अपनी कोई भी पसंद-नापसंद कभी कहते ही नहीं थे। जो हो जाता उसे स्वीकार कर लेते। हाँ, लेकिन कभी भूले भी नहीं। वो कहाँ है नहीं पता पर आज भी हर पल हम साथ जीते हैं...। अब यादें तो कोई छीन नहीं सकता है न।"
मालती आज पूरे हौसले में थी।
"बेटा, हौसलों को कभी कमजोर मत पड़ने देना, हौसलों के संग उड़ो। ये जीवन की ताकत है।"
"ओह्ह माय गॉड, मम्मा," विशू ने भींच लिया था माँ को।