दिले - नादान
दिले - नादान
नादान दिल
जब से ईशा यहााँ आयी थी उसने जी भर चिनार के पेड़ देख लिए थे, उनके साये में बैठी थी, उनकी खुशबू को करीब से महसूस किया था उसने | उसे बहुत भाते थे चिनार के पत्ते, जहााँ भी जाती एक न एक बटोर लाती अपनी डायरी में रखने के लिए | बहुत दिलकश वादियाँ थी, आाँखों ही आाँखों में कुदरत की मनमोहक ठंडक उसने अपने अन्दर समेट लेनी चाही |