Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

हम नही सुधरेंगे !

हम नही सुधरेंगे !

3 mins
550


आज शाम 6 बजे में धनारे कॉलोनी की तरफ जा रहा था चाणक्य स्कूल के बाजू वाली रोड से ,वहीं गली में नगरपालिका के नल का पानी वह रहा था मेरी नजर उसपे गयी और उसे देखते ही देखते में आगे बढ़ गया क्योंकि में लेट हो रहा था. थोड़ी ही दूर पहुचा था कि मन हुआ कि वापस जाऊं उस नल को बंद कर दूँ तो वापस गाड़ी घुमाई और उस जगह दस्तक दी वहां सामने करीब तीन चार माताएं रोज़ाना वाली महत्वपूर्ण चर्चाओ में लीन थी ,उन बातों में जिनका उनकी रोज़मर्रा ज़िन्दगी से कोई लेना देना ही नही होता, में उस नल के पास जाकर खड़ा हो गया और माताओ से बोला कि माताजी ये पानी ऐसा वह रहा है इसमें कुछ कपड़ा या टुंडी या लकड़ी कुछ फसा दिया करिये तो वहां से जवाब आया कि " भैया जोन को आये वा से बोलो हम नही भड़े वा में से पानी काये राजू की मम्मी " ,तो मैंने पूछा कोन भरता है तो उन्होंने बताया "जिनके सामने नल है बेई भरत है हम तो छूते भी नही है दूर से भरकर लात है हम तो पानी" मन मे उन माताओ को मैंने धन्यवाद दिया और उस घर के दरवाजे को खटखटाया तो वहां से एक सज्जन बाहर आया मैने उनको बताया कि भैया "ये पानी ब्यर्थ में वह रहा है और चुकी ये नगरपालिका का नल है और आपके घर के सामने है और ये माताए इसे छुति भी नही और इसका पानी भी नही भर्ती तो ये तो आपकी ज़िमेदारी हुई इसे बंद करने की ,

तो वह सज्जन कहने लगे कि भैया "दो तीन बार टुंडी लगवाई मगर रात में यहां के लोग उधमती है निकाल कर चले जाते है " तो मैंने कहा कि "टुंडी ना सही तो लकड़ी छेद में लगा दे ताकि पानी व्यर्थ न हो तो वह सज्जन कहने लगे कि भैया "कितना बहेगा यरर एक घंटे की ही तो बात है " तो मैंने उन्हें कहा कि "भैया कल को आप ही गर्मी में कहोगे की नगरपालिका वाले कितने कम टाइम के लिए नल चला रहे है क्योंकि पानी उतना रहेगा नही जितना आप अभी बर्बाद कर रहे हो " तब बह सज्जन थोड़ा समझे और कहने लगे कि "आपके जैसे जागरूक व्यक्ति आजकल कहाँ है " मैने कहाँ भैया "ब्यक्ति न बोलो उम्र ज्यादा लगती है हम तो इस देश के युवा है " तो बह हंस पड़े और अंदर से एक ठोस सी लकड़ी लाये और उस नल का छेद बंद कर दिया और मैंने उनसे नमस्कार करके विदा ली तो यहां उन माताओं की चर्चा यहां पहुच गयी थी कि "जो नाली पे पानी बहुत भर गाओ है नगरपालिक वाले ढंग से काम नई करे ये सुन कर मुस्कुराते हुए में चला गया "धन्य हो माता जी की" कुछ संदेश मिले तो अपनायेगा जरूर।


Rate this content
Log in