Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बेघर

बेघर

2 mins
7.4K


घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी आदमी और औरतों के चिल्लाने की आवाजें आ रही थी। वहीं घर के बाहर बनी सीढ़ियों पर एक लगभग साठ सत्तर साल की वृद्ध सत्यवती सिर पकड़े आँसू बहा रही थी।

"मैंने कह दई कै अम्मा कौ अब मैं अपने घर और न रख सकत।"मुरारी सत्यवती का बड़ा बेटा ज़ोर से चिल्लाया।

"और मैं रखंगो ?वाह भई वाह !"छोटा बेटा हाथ नचाते हुए बोला।

"अरे भाई तुम दोनों आपस में क्यों लड़ रहे हौ ?अम्मा कौ खेत पै बनी झौंपड़ी में रख देयो ?"गाँव के एक सज्जन ने समस्या का समाधान करते हुए कहा। 

सब खुश हो गए। बहुओं के चेहरों की रौनक तो देखने लायक थी। बेटे भी किसी विजेता से कम महसूस नहीं कर रहे थे।

सत्यवती का ह्रदय भर आया। बूढ़ी आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली। कमरे में भीतर गयी एक झोला उठाया और आ गयी बाहर।

मुड़ मुड़ कर घर को देखती जा रही थी। कदम आगे बढ़ रहे थे पर मन अतीत के गहरे सागर में डूब गया।

जब वह विवाह कर आई थी तो घर के नाम पर एक घास फूस की झोंपड़ी ही तो थी। पति की खेती किसानी में मदद ही नहीं की अपितु मजदूरी तक की।

चार बेटियों और बेटों को पाला पोसा उनका विवाह किया। पति के गुज़र जाने के बाद बेटों से ही उम्मीद थी मगर यह क्या वह तो उनको बोझ लगने लगी।

बड़ी मुश्किलों से घर बनाया था। उसी से आज उसके अपने जिगर के टुकड़ों ने निकाल दिया। 

अचानक ठोकर लगी और गश खाकर गिर पड़ी । झोंपड़ी के दरवाज़े पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy