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पासा पलट गया

पासा पलट गया

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अरे अंजू उठ जा सुबह के आठ बज रहे हैं कब तक सोती रहेगी नीता ने ऐसा कहकर अपनी बेटी को उठाने की कोशिश की। कई आवाज़ देने के बाद अंजू ने अपनी आँखें खोली तो नीता बोली अभी कर ले तू आराम, ससुराल जायेगी ना तब पता चलेगा जब सास सुबह ही पाँच बजे उठा देगी और अगर देर से उठी तो डंडा और तेरा सिर होगा। अंजू बोली ओ-हो माँ आप भी सुबह से ही शुरू हो जाती हो सास का किस्सा लेकर, मैं क्या अभी ससुराल जा रही हूँ?अभी तो पढ़ ही रही हूँ, दसियों साल पड़े हैं अभी ससुराल जाने के। अंजू की बात सुनकर नीता बोली ऐसी ज़बान ज़ोरी अपनी सास से करेगी ना तो ज़ुबान ही खींच लेगी वो तेरी, माँ पर ही ज़ोर चलता है तुम्हारा। 

अब अंजू झुंझलाकर उठ ही गई, उठते ही नीता से बोली मैं फ्रैश होकर आती हूँ आप इतने चाय-नाश्ता बना दो। नीता रसोई में चाय-नाश्ता बनाने चली गई।थोड़ी सी देर में अंजू भी तैयार होकर आ गई, अंजू को देखते ही नीता बोली क्या हुआ ऐसे ही मुँह चुपड़ आयी और तैयार हो गई। अंजू बोली हाँ आज मेरा नहाने का मन नहीं था पर अब इसे इतना बड़ा इशु ना बना लेना, अब ये मत कहना कि ससुराल में बिना नहाये-धोये रहोगी तो सास सौ नाम धरेगी, कहेगी तुम्हारे घर में त्यौहार के त्यौहार ही नहाने का रिवाज़ है क्या? नीता बोली डायलॉग तो बड़े रट लिए मेरे इन पर कभी ध्यान भी दिया कर। चल अच्छा आ जा नाश्ता कर ले। परांठे और टिंडे की सब्ज़ी बनाई है, टिंडे का नाम सुनते ही अंजू किलस गयी और बोली मुझे नहीं करना टिंडे से नाश्ता इससे तो भूखी भली।नीता बोली चल तेरे लिए मैगी बना देती हूँ लेकिन ससुराल में सास नखरे नहीं उठायेगी तेरे। जो बना होगा वो ही चुपचाप खाना पड़ेगा, अंजू बोली तब की तब देखी जायेगी अब आप तो बना दो। मैगी खाकर अंजू अपने स्टडी में चली गई, तीन-एक घंटे बाद जब अंजू स्टडी से उठकर आयी तो अपनी पसंद के गाने स्पीकर लगाकर सुनने लगी। 

अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि नीता शोर मचाती हुई आ गई अरे आवाज़ कम कर क्या पान की दुकान की तरह फुल वाल्यूम पर गाने सुन रही है। आस-पड़ोस वाले भी क्या सोचते होंगे। अंजू बोली इस समय सास कहाँ चली गई जो आस-पड़ोस वालों की आड़ ले रही हो, नीता बोली अच्छा अब बात मत बना रसोई में आकर मेरा हाथ बँटा। घर का काम भी सीख ले वरना तेरी सास मुझे ही कोसेगी कि लड़की को बिना कुछ सिखाये ही चलता कर दिया। अंजू बोली ऐसा है पढ़ाई-लिखाई छोड़कर कुकिंग क्लास एवं सिलाई-बुनाई की क्लास ज्वाइन कर लेती हूँ, और हाँ दो-चार थान भी मँगवा दो मेरे लिए उन्हें ही लपेटकर जाया करूँगी क्योंकि आपके अनुसार मेरी सास तो आधुनिक पोशाक पहनने नहीं देगी। अच्छा है अभी से प्रैक्टिस कर लूँ, आपने तो सास को हौव्वा बनाकर रख दिया है मेरे लिए। मुझे तो ससुराल के नाम से ही डर लगने लगता है। 

अंजू बोली मैं सही बता रही हूँ मैं बिल्कुल भी शादी नहीं करुँगी और अगर मजबूरी में करनी भी पड़ी तो ऐसे लड़के से करूँगी जो अपने माँ-बाप से बहुत दूर रहता हो ताकि सास के साथ रहना ही ना पड़े। नीता अंजू की बात सुनकर दंग रह गई और सोचने लगी कि मेरी कही बातों का तो इस पर ग़लत ही असर हो रहा है। इसने तो ग़लत ही धारणा बना ली है। नीता को चुप देखकर अंजू बोली कल को आप भी सास बनोगी तो क्या अपनी बहू के साथ ऐसा खराब व्यवहार ही रखोगी फिर वो तुम्हें छोड़कर दूर ही चली जायेगी। इतने अधिक तानों और टोकाटाकी के साथ कोई भी खुशी से साथ नहीं रह पायेगी।नीता मन ही मन में अपनी ग़लती स्वीकारती हुई बोली सास कोई जल्लाद नहीं होती उसके पास भी मानवीय संवेदनाओं से भरा दिल होता है। अब ललिता पंवार वाला ज़माना तो रह नहीं गया, अब तो सास, बहू से ज़्यादा एडजस्ट करती है। ऐसी भी सास हैं जो बहू को बिल्कुल बेटी जैसा ही प्यार करती हैं। अंजू को यकीन ही नहीं आ रहा था कि उसकी कही बात से पासा ही पलट जायेगा पर अब वो मन ही मन बहुत खुश थी क्योंकि अब सास के नाम पर उसका मानसिक शोषण बंद हो जायेगा। 



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