Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

डांस अकैडमी

डांस अकैडमी

8 mins
14.5K


फ्लैटनंबर ६०५ में श्री मोहनजी वर्ष २००८ में आये थे। कमलनयनी, चतुर, पतली कमर वाली नीताजी व् पुत्रों ५ वर्षीय अचल व् ३ वर्षीय कमल के साथ, नीताजी का कद ५ फिट ३ इंच, वजन ५३ किलो १० वर्ष गुजर गए। नीताजी का कद तो नहीं बढ़ा, लेकिन कमर कमरा हो गयी, वजन ७३ किलो। डाक्टर कहते एक्सरसाइज करो, एरोबिक्स–अंग्रेजी धुन पर, जैसे की वन टू चा चा चा।


हाल ही में निकट रिश्तेदारी से मोहनजी के परिवार को शादी का न्योता आया। रिश्तेदारों के आग्रह पर तय हुआ कि उसमें नीताजी को भी डांस करना है, दो गानों पर, पहला फिल्म पाकीज़ा के ‘सरे राह चलते चलते, यूँही कोई मिल गया था’ और दूसरा उमराव जान के ‘दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये’ पर। दोनों ही गाने तवायफ़ के मुज़रे पर फिल्माएँ गए हैं, फिर भी अपने बोलों की नज़ाकत और अपने जमाने की नामी हीरोइनों मीना कुमारी व् रेखा की अदाकारी की वजह से समाज के रईस वर्ग में स्टैटस सिंबल हैं। कोई भी फिल्म जॉनी मेरा नाम में आइटम डांसर पदमा खन्ना द्वारा प्रेम नाथ के सामने किये गए कैबरे ‘हुस्न के लाखों रंग, कौन सा अंग देखोगे’ को रिश्तेदार स्त्रियों से शादी में नहीं करवाना चाहता। बड़ी हीरोइनों द्वारा किये गए मुजरे और आइटम डांसर द्वारा कियर गए कैबरे में यही फरख है, जबकि पदमा खन्ना का वह कैबरे मील का पत्थर है, श्रेष्ठतम । ऐसे कैबरे डांसो के लिए अलग से ‘काँटा लगा (शैफाली छाया)’ टाइप की प्रौफशनल डांसर्स को बुलाया जाता है, जिससे की शादी में आये पुरुष मेहमान, प्रेम नाथ की तरह जीभ लपलपा सकें।


अब नीताजी को डांस सीखने के लिए एक डांस मास्टर की तलाश थी। लिखने वाले एक पैन का विज्ञापन आता है ‘लिखते लिखते लव हो जाए’। अतः डांस मास्टर ऐसा होना चाहिए की सीखने सिखाने में किसी को भी लव न हो जाए, अपनी अस्मिता सुरक्षित रहे। महाभारत काल में पांडवों के एक साल के अज्ञातवास में अर्जुन को किन्नर / जनखा बृहन्नला बनकर विराट नगर की राजकुमारी उत्तरा को नृत्य सिखाना पड़ा था। नीताजी को ऐसे ही डांस मास्टर की तलाश में एक नवजवान डांस मास्टर पंकज सिक्सर मिले। मास्टर जी एरोबिक्स व् डांस सिखाना दोनों जानते थे. उन्होंने १५ दिन रोज एक घंटे की २,०००/- रूपये फीस बताई, इतवार छोड़ कर. फीस एडवांस देनी होगी।


नीताजी ने अपनी चतुराई दिखाते हुए पूछा की अगर सिखने वाले कैंडिडेट एक से ज्यादा हों तो? मास्टरजी ने बताया की तब कुल २,५००/- रुपया लगेगा, ५ कैंडिडेट तक, और उससे ज्यादा होनें पर ५००/- रूपये प्रति कैंडिडेट और उन्हें लगभग १४ फिट X १२ फिट का एक खाली कमरा चाहिएगा व् एक लैपटॉप, जिसमें डीवीडी प्ले किया जा सके. एरोबिक्स स्लीवलैस टॉप व् हाफ पैंट में सिखाया जाएगा. नीताजी ने उन्हें एक दो दिन बाद कन्फर्म करने के लिए कहा. नीताजी ने सोच लिया कि रोज २० – २० मिनट एक एक गाना सिखने के लिए ठीक रहेगा और बाकी २० मिनट में एरोबिक्स।


नीताजी के फ्लैट के किसी कमरे में तो खाली जगह है नहीं, अतः अब चतुर नीताजी को अपनी कॉलोनी में ही एक सीधी की तलाश थी, जिसके यहाँ डांस सीखने के लिए एक कमरा मिल जाए, जो लगभग खाली हो. चहुँ ओर निगाह दौड़ाई। पास के फ्लैट ७४० में अभी एक नया परिवार आया है, नाम है श्री परिवर्तन जी. सभी की तरह छोटा परिवार, पत्नी रमा, पुत्रों ५ वर्षीय वैभव व् २ वर्षीय कीर्ति. उनका ड्राइंगरूम २६ X १४ का है, जिसमे नई गृहस्थी होने की वजह से सामान बहुत कम है।नीताजी वजन को कण्ट्रोल में रखने का वास्ता दे कर सीधी रमा को साधने में कामयाब हो गई कि डांस व् एरोबिक्स रमा के ड्राइंगरूम में सीखा जाएगा, रोज ११ से १२ बजे तक, उस समय सबके पति ऑफिस में और बच्चे स्कूल में होते हैं। अब नीताजी को कम से कम तीन सीधीयों की और तलाश थी, जिससे कि पूरा २,५००/- रूपये का खर्चा स्वयं व् रमा को न वहन करना पड़े. कॉलोनी की स्त्रियों की शाम की लगाईं बुझाई पार्क कॉन्फ्रेंस में और काम करने वाली बाइयों व् बच्चों के मार्फ़त कॉलोनी में डुग्गी पीटी गई की ७४० नंबर फ्लैट में डांस अकैडमी खुल रही है, जिसकी फीस ५०० रूपये है।


अगले दिन सुबह पतियों के ऑफिस जाते ही, तीन सीधीयों रूपा, किरण व् मेघना जी ने ५०० – ५०० रूपये नीता जी के पास जमा करा दिए. सभी शर्मिला मारतोड़कर बनना चाह रही थी। बाद में आने वाली स्त्रियों को यह कह कर टाल दिया गया की पहले डांस मास्टरजी का ट्रायल ले लें। नीताजी ने डांस मास्टर को फ़ोन कर के कन्फर्म कर दिया और इस तरह १० जुलाई २०१८, दिन के ११ बजे, रमाजी के ड्राइंगरूम में १५ दिनी अल्प कालीन डांस अकैडमी का शुभारंभ हो गया। नीताजी ने अपने ५०० व् रमा के ५०० रूपये मिला कर, २,५०० रूपये डांस मास्टर जी को को दे दिए। सभी प्रतिभागी सलवार सूट में आये थे. जिसके नीचे स्लीवलैस टॉप व् हाफ पैंट पहन रखी थी. सभी ने सलवार सूट उतार दिए और स्लीवलैस टॉप व् हाफ पैंट में ही डांस व् एरोबिक्स सिखने के लिए तैयार हो गए।


डांस मास्टर पंकजजी ने रमा के लैपटॉप में डीवीडी लगाया, जिसमें उन दोनों गानों, सिखाने वाले स्टेप्स व् एरोबिक्स का वीडियो था. डीवीडी को लैपटॉप में कॉपी भी कर दिया। उसे दिखाने के बाद, पंकजजी ने धीरे धीरे स्टेप्स सिखाने शुरू किये।

२ वर्षीय कीर्ति को संभालने वाला कोई ना था। कीर्ति ज्यादातर समय रोता रहा. रमा या तो डांस सीख सकती थी या कीर्ति को संभाल सकती थी. एक घंटे में ही रमा को समझ में आ गया की गलत बयाना ले लिया है. लेकिन अब ना उगलते बन रहा था ना निगलते। शाम को परिवर्तनजी जब ऑफिस से आये तब रमा ने उन्हें दिन भर का लेखा जोखा बताया, दो वजह से डांट खाई कि एक तो यह कि डांस अकैडमी शुरू करने से पहले क्यों नहीं पूछा और दूसरा कीर्ति के रोने पर। उन्होंने फरमान जारी कर दिया कि उनके ड्राइंगरूम में डांस अकैडमी नहीं चलेगी। रमा ने परिवर्तनजी से एक दो दिन का समय माँगा। अगले दिन सभी सीखने वाली स्त्रियों से थोड़ी थोड़ी देर कीर्ति को सँभालने के लिए कहा, लेकिन सभी ने मना कर दिया। रमा ने अपनी सीधाई छोड़ते हुए घोषित कर दिया कि डांस अकैडमी यहाँ नहीं चलेगी, कहीं अन्यत्र शिफ्ट कर लें. नीताजी को मज़बूरन अपने ड्राइंगरूम में जगह बनानी पड़ी। सीखते समय चारों सभ्रांत महिलायें अपने अपने मोबाइल वीडीयों रिकॉर्डिंग के लिए जगह जगह लगा देती। रमा ने पहले दिन के बाद डांस नहीं सीखा। उसे कीर्ति ज्यादा प्यारा था। ५०० रूपये जाने का उसे कोई गम नहीं था।


कहावत है ना कि हरेक का बाप होता है। नीताजी चतुर थी, तो फ्लैट नंबर ६८७ में रहने वाली लीनाजी महाचतुर। उनकी रमा से खूब छनती थी। लेकिन डांस अकैडमी शुरू करने से पहले रमाजी ने लीनाजी से भी विचार विमर्श नहीं किया था। खैर अब लीनाजी ने सुझाया की वो डीवीडी जो लैपटॉप में कॉपी है, उससे ही वो लोग सीख लेंगे। इसमें लीनाजी की ना हींग लगेगी ना फिटकरी। अतः तय अनुसार, जब कीर्ति सो जाए, तब रमाजी लीनाजी को बुला लें और उस वीडीयो रिकॉर्डिंग से मतलब भर का डांस व् एरोबिक्स सीख लिया। रमाजी अब सीधी नहीं हैं, अपनी गुरु लीनाजी से धीरे धीरे दुनियादारी व् चतुराई सीख रही हैं। उधर नीताजी ने भी १५ दिनों में अपने दोनों डांस सीख लिये। उनका मकसद पूरा हो गया। मास्टर जी की छुट्टी कर दी गयी। डांस अकैडमी भंग कर दी गयी। किसी की भी न कमर का कमरा कम हुआ और नाहीं वजन।


हॉं, उन चारों की रोज की वीडियो रिकॉर्डिंग एक दूसरे को फौरवर्ड करने के चक्कर में पूरी कॉलोनी में १५ दिनों तक वायरल होती रही। कॉलोनी की स्त्रियों ने रिकॉर्डिंग कम देखी, जबकि हर पुरुष ऑफिस से लौटने के बाद वही रिकॉर्डिंग देखता और मन ही मन बैकग्राउंड में कभी ऋषि कपूर तो कभी जितेन्द्र बन डुएट डांस करता।


डुएट, मतलब युगल – एक स्त्री और एक पुरुष की जोड़ी। अलाउद्दीन खिलजी की तरह मन में लड्डू फूट रहे होते कि ‘लैला ओ लैला, हर कोई चाहे मिलना अकेला’। लेकिन पत्नी को ऐसा दर्शायें की डांस बिलकुल बेकार है। अब से लगभग २० वर्ष पूर्व विभिन्न टीवी चैनलों पर रोज प्रातः ७ बजे से कई लड़कियों को स्लीवलैस टॉप व् हाफ पैंट में एरोबिक्स करते हुए दिखाया जाता था और घर के सभी पुरुष पूरे मनोयोग से उसको एक टक देखते थे और दिल गाता रहता था ‘वन टू चा चा चा’ और अब सुबह सुबह उन वीडियो रिकॉर्डिंगों को चला कर उन्हें लग रहा था की वो दिन लौट आये हैं।


छलका-छलका रे ओ कलसी का पानी, छलका-छलका रे, ओ आँख ना मानी।


छलक छलक छलकता जाए रे, उसकी एक झलक मिल जाए रे .


कुछ दिनों के लिए तो कम से कम पेट अंदर बहार देखने से पिंड छूटा।


अतुल कुमार अग्रवाल


Rate this content
Log in