Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

माय लिटिल अफ्रीकन स्टोरी

माय लिटिल अफ्रीकन स्टोरी

4 mins
8.0K


26 जुलाई 2014

मैं रोहित से पटना के एक कैफेटेरिया में मिला था । हालाँकि, मैं काउंटर के दूसरी तरफ़ था और वो दूसरी तरफ़..

मैं उसके लिये उसका क्लाईंट था, और वो मेरे लिये मेरा कॉफ़ी विश-मास्टर

सामान्य शब्दों में कैफेटेरिया का एक सामान्य एम्प्लॉइई ।

5' 8" लंबा, शक्ल - सूरत से काला,

मोटे होंठ, और कानों में लटकता हुआ कुण्डल;

शायद यही वजह रही होगी जो बाक़िं के दूसरे स्टाफ़ उसे "अफ़्रीकन" बुलाते थे।

मेरे सामने के टेबल पर वो कॉफ़ी रखता हुआ बोला

सर,

वुड यू लाइक टू हैव एनीथिंग एल्स ?

चुकि,

मैंने उसकी आवाज़ नहीं सुनी तो मैंने कोई रिस्पॉन्ड नहि किया ।

उसने वापस थोड़ी तेज़ आवाज़ में मुझसे कहा

सर, आर यू लिसनिंग ?

वुड यू लाइक टू हैव एनीथिंग एल्स ?

अगेन आई डिड नॉट लिसन टू हिज़ वॉइस, रीज़न वाज़,

मैं हाथ में एक क़लम पकड़े अपनी छोटी सी पॉकेट डायरी में कुछ लिखने की कोशिश कर रहा था|

मैंने सर ऊपर किया तो वो मेरे सामने मेरे चेहरे पर खड़ा मुझे हीं घुर रहा था

मैं अकचकाता हुआ बोला

अफ़्रीकन....तुम !!

वह : जी ! ( उसके चेहरे के सिलवटो को देखकर ये साफ़ समझ आ रहा था कि उसे उसके, नाम से काफ़ी असहजता महसूस हुईं )

ख़ुद के लहजे को सम्भालते हुए मैंने उससे माफ़ी माँगा ।

मैं : सॉरी फ़ॉर दैट, आई डोंट हैव यूअर नेम ?

वह : डोंट फील बोदर, द नेम इज़ क्वाइट्स सूट्स ऑन मी सर ! ( इस बार वो थोड़ा संकुचित दिखा )

वह : लुक...आई वाज़ डूइंग समथिंग एन्ड यू जस्ट नॉक्ड....

वो मेरी बात को बीच में हीं काटता हुआ बोला ;

सर, आर यू राइटिंग समथिंग ? इज़ इट पोएट्री ओर इज़ इट वर्स ?

मैं : यह... बट माय लाइन्स आर नॉट ग्रेट एन्ड वर्डिंग्स आर प्योर फिक्शन, थॉट्स आर अनब्रेकेबल, सो माय हार्ट इज़ !

इतने में वो मेरी डायरी उठाकर पढ़ने लगा,

आफ्टर फ्यू सेकेंड्स ही स्माइल्ड,

और मेरी तरफ़ देखता हुआ बोला;

सर, यूअर लाइंस आर ऑसम बट नॉट इन सिंक...

मैं : स्प्राइज़इंग्लि हाँ बट इच एन्ड एवरी लाइन्स राइम टू इच अदर इज़ नॉट इम्पोर्टेन्ट फ़ॉर श्योर !

वह : लेट मी रीड यूअर लाइन्स सर !

बची - ख़ूची खुराक़

जस्न शोख़ शबाब पर,

मोह मुख़ तलब - तलक..

सुर्ख़ - सौम्य दूर फ़लक....

पढ़ने के बाद वो लम्बी साँस लेता हुआ बोला;

व्हाट इज़ दिस फ़ॉर सर !

मैं : मैं राजनीतिक चर्चा-विशेष पर लिख रहा हुँ, उसी के संदर्भ में कुछ पंक्तियों को संभोदित कर वाक्यों में विभेदन कर के राजनीतिक पार्टियों को बिहार कि दैनिक हालात से रू-ब-रू करवाना चाहता हूँ ।

पर शब्दों में पार्टियों के लिये

दंडनीय-स्वरूप नही है

शब्दों को निखार नहीं पा रहा |

वह : शब्द उत्तेजक हैं, पर इन पंक्तियों में जो कमी दिखायी देती है,

वो है आपकी चेतना।

आपके दूरदर्शिता कि कल्पना...

माफ़ कीजियेगा सर,

पर वाक्यों में अल्फ़ाज़ की अबोधता साफ़-साफ़ प्रदर्शित हो रही है ।

ये कुछ इस तरह अंकित होगा..

बची - ख़ूची खुराक़ से

लोभ - लालसा की ऊँची दुकान पर |

सिरमौर शौख़ शबाब तक़,

तलब - तलक -फ़लक पर...

हर और मुर्ख़-मवेश तक़ ||

और ये लाइन्स इसी तरह क्रमबद्ध किसी सभा को मुख़ातिब होते रहेंगे ।

आई वाज़ स्टक बैडली...

अब मेरी बारी थी उसे घूरने की |

शायद वो समझ चुका था की मैं काफ़ी हतप्रभ हूँ ।

अगेन, ही लुक्स इंटू माय आईज़,

सर,

आपकी कॉफ़ी ठंड़ी हो गयी |

इन अ फ्यू मिनट्स एन्ड आई विल गेट अनदर कॉफी फ़ॉर यू !

मैं : तुम्हारा नाम ??

वह : रोहित, सर !

इससे पहले कि वो दूसरी कॉफ़ी मेरे लिये लेकर आता.. मैं कैफेटेरिया से बाहर निकल आया ।।

२ दिन बाद मैंने राष्ट्रीय दल के एक सेमिनार (कृष्ण मेमोरीयल हॉल, पटना) में हिस्सा लिया ..

प्रांगण में मैंने तेज़-तर्रार तथा तिख़ि प्रतिक्रिया का भाव रखा..

मानियेय प्रदेश-अध्यक्ष

डॉ० पूर्वे द्वारा मुझे प्रदेश युवा मोर्चा अध्यक्ष का पद नियुक्त किया गया।

अगले २ महीने तक मैं अपनी पढ़ाई और राजनीतिज्ञ विषय-वस्तु पर लेखन करता रहा । पर अंतरआत्मा के किसी गहरे चित्रपट पर मेरी लेखन मुझे अब भी अधूरी लग रही थी..

२८ सितम्बर, २०१४

सुबह के समय १०:३० AM में मैं वापस उसी कैफेटेरिया पहुँचा..

मैंने सामने के काउंटर पर पूछा

रोहित कहा है...

दैट मैन रिप्लाइड,

अच्छा वो अफ़्रीकन...

मैं : नो, इट्स रोहित !

तभी पीछे से आवाज़ आयी..

आज भी पोयट्री अधूरी है सर आपकी ?

आई फोल्डेड बैक एट हिम, ही वाज़ इन फ्रंट ऑफ मी,

मैं : हाँ अधूरा रह गया है, विल यू हेल्प मी टू चूज़ द राइट पाथ फ़ॉर मी ? (उसकी आँखों में झाँकते हुए मैंने पूछा)

वह : टेल मी सर...

कॉल मी आदि, इट्स माय नेम ! एन्ड आई बिलीव यू आर मोर दैन दिस कैफेटेरिया, इवन, आई हैव सम प्लान्स फ़ॉर यू दैट आई वॉन्ट टू वर्क ऑन

मैंने लम्बी साँस ली, उसकी आँखों में भरोसे से देखकर बोला:

क्या तुम मेरे साथ काम करोगे ?

ही सिम्पली रिप्लाइड, नो !

(उसने ना कहने में ज़्यादा समय नही लिया)

...पर

मुझे समझ नहीं आया की उसने इतनी जल्दी ना क्यूँ कहा..

ख़ैर

आज इस बात को ४ साल बीत गये..

वो आज मेरे साथ है। टुडे ही इज़ माय बिज़नेस पार्टनर एन्ड ही इज़ टेक्निकल सुपरवाइजर इन माय फैक्ट्री।

आज भी कभी-कभार मैं उसे अफ़्रीकन बोल देता हूँ,

और वो हँस कर कह्ता है, नेक इज़ क्वाइट सूट्स ऑन मी सर !

यू नो आदि, व्हाट आई एम थिंकिंग राइट नाउ, परमानेंट रख लेता हूँ...

सच अ फनी - फंकी - लॉयल - रियल - लीगल फ्रेंड !

थैंक्यू, रोहित !

लव फ्रॉम आदि !


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama