ख़ूनी गुड़िया भाग 8
ख़ूनी गुड़िया भाग 8
ख़ूनी गुड़िया
भाग 8
स्नेहा जब मंगेश के पास आई तब रो रोकर उसके पपोटे सूज चुके थे। मंगेश ने उससे पूछा, तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि कोई प्लास्टिक की निर्जीव गुड़िया किसी इंसान का क़त्ल कर सकती है?
सर! मैं भगवान की कसम खाकर कहती हूँ कि उसी गुड़िया ने शर्मा आंटी को मारा है, स्नेहा बोली और फिर जोर-जोर से रो पड़ी।
मंगेश ने उसे चुप कराकर पीने के लिए पानी दिया। जब वह थोड़ा संयत हुई तो उसने पूछा, आप क्या करती हैं?
मैं मसाबा इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ सर! स्नेहा बोली।
इतनी पढ़ी लिखी होकर आप ऐसी बेतुकी बात कर रही हैं मंगेश ने पूछा, क्या आपको यह अजीब नहीं लगता?
सर! अजीब तो है लेकिन कल रात से ही जो घटनाएं मेरे साथ हो रही हैं वह आपके साथ होती तो आप भी चकरा जाते, स्नेहा सुबकते हुए बोली।
मुझे शुरू से अंत तक सारी बातें बताइये मंगेश बोला।
सर! कल मेरा जन्मदिन था। मेरे कई मित्र आये थे। आधी रात तक खूब मौज मस्ती हुई सबने मुझे कुछ गिफ्ट दिए थे उन्हें खोलते समय मुझे एक अजीब-सा पैकेट मिला जिसे खोलने पर मुझे वही प्लास्टिक की गुड़िया मिली। उस प्लास्टिक की गुड़िया में बैटरी न होते हुए भी वह हरकत कर रही थी और रात में उसने मुझे तरह तरह से डराया। सुबह भी इसने दूध की थैली लाकर फ्रिज में रखी और रमेश यादव को चाक़ू मार दिया था।
रमेश यादव कौन? मंगेश ने पूछा
मुझे दूध पहुंचाता है सर, स्नेहा बोली
अच्छा! तो गुड़िया ने उसे चाक़ू मार दिया, फिर? मंगेश बोला, उसे क्या हुआ फिर?
सर! यह गुड़िया बड़ी फसादी है, स्नेहा रोती हुई बोली, बाद में मैंने रमेश को फोन किया तो पता चला कि वो सकुशल है
मंगेश यूँ स्नेहा को देखने लगा मानो उसके सिर पर सींग उग आए हों लेकिन उसने धैर्य पूर्वक कहा, अच्छा! फिर?
स्नेहा आगे बोली, मैं जब रमेश की लाश देखकर बेहोश हो गई तब शर्मा आंटी ने मुझे संभाला, फिर मैंने कातिल गुड़िया शर्मा आंटी को दे दी क्यों कि मुझे उससे बहुत डर लग रहा था। शर्मा आंटी ने उसे ले जाकर फूलदान के पास रख दिया और काम में मशगूल हो गई तब इसने मौक़ा पाते ही वजनी फूलदान पटक कर उन्हें मार दिया होगा, इतना कहकर स्नेहा जोर जोर से रो पड़ी।
मंगेश ने जाकर गुड़िया का सूक्ष्म निरीक्षण किया। यह एक मामूली प्लास्टिक की गुड़िया थी। उसमें कोई विशेष बात दृष्टिगोचर नहीं हुई। स्नेहा की बातों पर विश्वास करना मुश्किल था। तब तक फोरेंसिक विभाग वाले आ गए। उन्होंने कई एंगल से मिसेज शर्मा की लाश के फोटो लिए और फूलदान पर से उँगलियों के निशान उतारने लगे। फिर उन्होंने वहाँ मौजूद हर व्यक्ति की उँगलियों के निशान लिए। फिर मंगेश ने स्नेहा से कातिल गुड़िया को आगे की जांच के लिए अपने साथ ले जाने के लिए अनुमति मांगी। अंधा क्या चाहे दो आँखे! स्नेहा खुद उससे छुटकारा चाहती थी। उसने सहर्ष हामी भर दी। मंगेश ने उन सभी की अपने मोबाइल में तस्वीर ली और सभी को जांच ख़त्म होने तक उपलब्ध रहने को कहा और गुड़िया हाथ में लटकाए विदा हो गया। स्नेहा ने देखा कि गुड़िया जाते समय बड़ी अजीब मुद्रा में आँखे नचा रही थी और उसने मुस्कुरा कर स्नेहा को आँख मार दी। स्नेहा के मुंह से सिसकारी निकल पड़ी लेकिन जब तक वह मंगेश को सावधान करती वह जा चुका था।