"दर्द फूट पड़ा"
"दर्द फूट पड़ा"
"पिताजी मैं अब आपको और नहीं रख सकता,न ही इस महँगाई में आपके रोटी-पानी का खर्चा उठा सकता।आप कहीं भी जाएँ , मुझे पता नहीं ।"
इकलौते बेटे से बहस न करते हुए मुड़े ही थे कि घर के सामने लगे पेड़ की ओट में एक बिल्ली के बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। तभी एक कुतिया आई और उसके लिए कुछ रोटी के टुकड़े छोड़कर चली गई।
बिल्ली का बच्चा टुकड़ों के पास आया और उन्हें खाने लगा।
अभागा पिता यह सब देख फूट-फूटकर रोने लगा और बोला , " इन्सान से तो अच्छे ये जानवर हैं,जो दूसरों की तकलीफ़ समझते हैं "