अधूरी खुशी
अधूरी खुशी
खामोश खड़ी बालकनी से नीचे निहार रही थी। पास वाली आंटी बच्चे को गोद में लिए गार्डन में बैठी से बात कर रही थी। वह भी केवल 3 महीने की थी जो केवल रोना और हंसना ही जानती है, उसे देखकर मन खुश हो रहा था। मगर कुछ ही पल की खुशी के बाद मुझे अपना कल याद आ गया। केवल 3 महीने तो हुए थे, अगर आज मेरा बच्चा होता तो वह भी 3 महीने का हो जाता। एक मां अपने बच्चे को कभी नहीं भूलती। चाहे उसका बच्चा हो या ना हो। दरवाजे की आवाज़ आई और मैं दौड़े कर नीचे दरवाजा खोलने शायद अजय होगा। हां, अजय था कुछ देर की बातों के बाद फिर उस बच्ची को देखने का मन करने लगा। मगर काम करते-करते भूल ही गई, लेकिन हम अपना कल नहीं भूलते। जब पहली बार अपने बच्चे को सोनोग्राफी के समय देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस तरह हाथ से हिला रहा था। मानो किसी खिलौनों में चाबी भर दी है। और वह हिल रहा है कई दिनों तक हम उस दिन को याद करके खुश होते रहे। और इंतजार करने लगे अपने बच्चे के आने का मगर कभी-कभी ईश्वर भी सच्ची प्रार्थना कबूल नहीं करते। इसलिए तो मासूम बच्चे को इस दुनिया में आने नहीं दिया। अजय तुम हमेशा यही कहते हो कि भगवान जो करता है, अच्छा करता है। मगर बच्चे को इस दुनिया में नहीं आने दिया क्या अच्छा किया भगवान ने ? सब कुछ तो ठीक था। फिर अचानक मेरे बच्चे को क्या हो गया ? कितना कुछ सोचा था ? हमने कितने खिलौने, कपड़े लाए थे ? तुम्हें याद है कि मैं रोज फोन करती थी। नारियल का पानी लाने को कहती थी। जिससे बच्चे के बाल अच्छे होते हैं, कैसे थे बाल ? हमारे बच्चे के बाल बहुत काले लंबे बहुत अच्छे थे। हम अपने बच्चे से कितनी बातें करते थे। पता है मैं कभी-कभी तुम्हारी बुराई भी करती थी। और वो सुनता था।
तुम्हें याद है ना, जब हमने दूसरी बार सोनोग्राफी कराई थी। तब बच्चा 6 महीने का हो गया था। सोनोग्राफी तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसलिए उसका एक एक हिस्सा दिख रहा था। डॉक्टर ने कहा था मूवमेंट, ग्रोथ सब सही था हम कितने खुश थे ना। कुछ खा लो जानू फिर से ड्राई फ्रूट खिला रहे हो। अब तो मत कहो तुमने इतने अखरोट बदाम खिलाएं, अब देखकर ही मन नहीं करता। तुम बार-बार यही कहते थे, 6 महीने के बाद बच्चे का दिमाग विकसित होता है ! रोज अखरोट खाओ, बादाम से बच्चे को सब पोषक तत्व मिलेंगे। इतना ध्यान से सब खाती थी वह प्यार कैसे भूल जाऊंं अजय ? बच्चा तुम्हारी तरह ही था। हां, मेरी फोटो कॉपी था। दोनों हंसने लगे, मतलब हमारी फोटो कॉपी खराब हो गई ! जानू, डरती क्यों हो ? एक और फोटो कॉपी आ जाएगी।
हम कितने ओवर एक्साइटेड थे। नाम रखने के लिए तुम हमेशा कहते थे लड़का होगा। मैं कहती लड़की होगी, दोनों ही प्यारे होते लेकिन तुम जीत गए। अजय लड़का ही था। जब हमने लास्ट सोनोग्राफी कराई थी। तभी सब ठीक था। 9 महीने भी पूरे हो चुके थे। अचानक कुछ बातों को याद करके खुशी होती है, मगर अधूरी खुशी अजय हमेशा हौसला देता है। हमेशा कहता है दुनिया में हम से ज्यादा दुखी और परेशान लोग है। अगर बच्चा होता और उसे कोई फिजिकल प्रॉब्लम होती तो तुम सह पाती, भगवान ने हमारे लिए कुछ अच्छा सोचा होगा। इसलिए नाराज नहीं हो। भगवान ! एक तरफ अजय जैसा पति को पाकर खुशी होती है, जितना मजबूत और प्यार करने वाला इंसान है वही दूसरी तरफ बच्चे को खोने का गम।