दुर्गा पूजा
दुर्गा पूजा
माँ ये देवी दुर्गा की पूजा क्यों होती है? चौदह वर्षीय सलोनी ने जब भोलेपन से पूछा तो, दुर्गा माँ की पूजा की तैयारी कर रही प्रभा थोड़ा ठिठक गई और फिर बड़े प्यार से समझाते हुए बोली माँ दुर्गा सबकी माँ है, बुराई का अंत करती है ,इसीलिए सब उनकी पूजा करते हैं, ये लो पूजा का सामान ज़रा देख लो कुछ छूटा तो नहीं...कहते हुए प्रकाश ने थैला टेबल पर रखा। और आगे बोला प्रभा मार्केट में सुनील भाई साहब मिले थे, कह रहे थे उनका बेटा रेलवे में अच्छी नौकरी पा गया है, अपनी सलोनी के बारे में भी पूछ रहे थे आज शाम वो अपने परिवार के साथ यहाँ आने वाले हैं।
प्रभा ने पानी का ग्लास प्रकाश को देते हुए कहा उनका परिवार आता है तो स्वागत है परन्तु कह देती हूँ सलोनी के बिना बाईस - तेईस के हुए और बिना कुछ पढ़ाई पुरी किए बगैर उसके रिश्ते की बात किसी से नहीं होगी, सलोनी अपनी दादी के साथ बैठकखाने में आ चुकी है, प्रभा की बात पर दादी के मुख से भगवती का उच्चारण होता है और दादी प्यार से सलोनी पर हाथ फेरती हैं। तभी गली से दुर्गा माई की जय की आवाज़ आती है, मोहल्ले के दुर्गा समिति वाले लड़के दुर्गा प्रतिमा ले कर जा रहे हैं, माँ दुर्गा के मुख से लगा अखबार का टुकड़ा थोड़ा हट सा गया है और प्रतिमा के मुख मंडल पर दिव्य आभा दिखाई पड़ रही है। सलोनी ने यह बात अपनी माँ को बताने के लिए जैसे ही प्रभा की तरफ देखा तो देखा कि वही दिव्य आभा प्रभा के चेहरे को प्रकाशित कर रहा है।