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ब्लैक ब्यूटी (भाग-2)

ब्लैक ब्यूटी (भाग-2)

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शिक्षा


लेखिका : अ‍ॅना स्युअल

अनुवाद : आ. चारुमति रामदास



मैं बड़ा और ताकतवर हो रहा था। मेरे बाल बढ़िया दिखाई देने लगे थे। वे काले और चमकीले थे, मेरा एक पाँव सफ़ेद था, मेरे माथे पर एक सफ़ेद सितारा था और पीठ पर एक छोटा-सा सफ़ेद निशान था, मगर बाकी पूरा जिस्म कालाजब मैं पूरी तरह बड़ा हो गया तो ज़मीन्दार गॉर्डन मुझे देखने के लिए आए। उन्होंने मेरी आँखों को, मुँह को और मेरी टाँगों को देखा।

“बहुत अच्छे !” उन्होंने कहा।

"यह बहुत ख़ूबसूरत है, अब इसे सीखना चाहिए, तब यह बहुत बढ़िया घोड़ा बनेगा।”

एक घोड़े को क्या सीखना चाहिए ?

घोड़े को यह सीखना होता है कि जब कोई आदमी उस पर ज़ीन कस रहा हो तो वह धीरज के साथ, शांतिपूर्वक, बिना हिले-डुले खड़ा रहे।

ज़ीन का सबसे दुखदायी हिस्सा है– लगाम की मुखरी, अगर आपने कभी मुखरी पहनी नहीं हो तो आप अंदाज़ नहीं लगा सकते कि वह कितनी बुरी होती है। यह एक ठण्डी, लोहे की सख़्त चीज़ होती है, और आदमी इसे आपके मुँह में घुसा देता है। पहले तो इससे बड़ी तकलीफ़ होती है, मगर यदि इसे अच्छी तरह से फिट किया जाए तो आपको उसकी आदत हो जाती है। आप इसे सरका भी नहीं सकते क्योंकि आपके सिर के ऊपर, मुँह के नीचे, नाक की सीध में पहनाया गया साज़ इसे मुँह में ही जमाए रखता है। कुछ-कुछ मुखरियाँ तो पुराने तारों की, या कुछ ऐसी चीज़ों की बनी होती हैं जो बहुत बुरी होती हैं और आपके मुँह को चीर देती हैं।

पहले तो मुझे मुँह में मुखरी लगाने से बड़ा गुस्सा आया, मगर किसान ग्रे और बातों में काफ़ी मेहेरबान था। मैं काटता नहीं था और लात भी नहीं मारता था। जब मेरी माँ काम करती तो उसके भी मुँह में हमेशा मुखरी रहती थी। दूसरे घोड़े भी मुखरियाँ पहनते हैं. मुझे यह मालूम था, इसीलिए जब वे उसे अन्दर डाल रहे थे तो मैं चुपचाप बिना हिले डुले खड़ा था. कुछ समय बाद उसने मुझे ज़्यादा तकलीफ़ नहीं दी और मुझे उसकी काफ़ी आदत हो गई।

काठी उतनी बुरी नहीं थी। एक घोड़े को पीठ पर काठी पहनना और किसी आदमी, औरत या बच्चे को अपनी पीठ की गद्दी पर ले जाना सीखना होता है। सवार जहाँ ले जाना चाहे, वहीं उसे जाना चाहिए, और उसे धीरे-धीरे चलना, या दुलकी चाल से चलना, या चौकड़ी भरना आना चाहिए। अगर ज़ीन अच्छी तरह से कसी हुई हो, और चमड़ी से घिस न रही हो, तो उससे कोई तकलीफ़ नहीं होती। वे हर रोज़ मेरे मुँह में मुखरी डालते और पीठ पर काठी कसते, और मुझे इसकी भी आदत हो गई। तब ख़ुद किसान ग्रे ने मेरे साथ उस बड़े खेत के चारों ओर गोल-गोल चक्कर लगाए। इसके बाद उसने मुझे कुछ अच्छा-अच्छा खाना खिलाया, मुझे थपथपाया और मुझसे बातें कीं। मुझे वो खाना और थपथपाना और वे भली बातें अच्छी लगीं और थोड़े समय के बाद मेरा मुखरी और ज़ीन से डरना बंद हो गया। वह रोज़ाना ऐसा किया करता और मुझे उसके आदेशों की और हिदायतों की भी आदत हो गई।

एक दिन किसान ग्रे मेरी पीठ पर चढ़ा और गद्दी में बैठ गया।

दूसरे दिन उसने मेरी पीठ पर बैठकर मुझसे धीमी चाल से खेत का एक चक्कर लगवाया। अपनी पीठ पर काठी में किसी आदमी को साथ लिए घूमना कोई ज़्यादा ख़ुशगवार नहीं था, मगर अपने भले मालिक को अपनी पीठ पर बिठाना मुझे अच्छा लगा। वह हर रोज़ कुछ देर तक मुझे खेत में चलवाता, और चूँकि मैं तन्दुरुस्त और मज़बूत था, मुझे इसमें मज़ा आने लगा – यह एक साझेदारी करने जैसा था, एक साथ काम करने जैसा।

दूसरा कठिन काम था मेरे पैरों में लोहे की नालें ठोंकना। मेरी माँ ने मुझे बताया कि ऐसा कड़ी ज़मीन और रास्तों पर काम करते समय मेरे पैरों को ज़ख़्मी होने से बचाने के लिए किया जाता है। किसान ग्रे मेरे साथ आया, मगर फिर भी मैं डर रहा था। उस आदमी ने एक के बाद एक करके मेरे पैरों को अपने हाथों में लिया। फिर उसने कुछ कड़ा हिस्सा काटा। मुझे दर्द नहीं हुआ, इसलिए जब तक वह मेरे हर पैर के साथ ऐसा करता रहा, मैं बाकी के तीन पैरों पर चुपचाप खड़ा रहा। फिर उसने उन पर लोहे की नाल बैठाई। उनके रखने में मुझे दर्द नहीं हुआ, मगर अब मैं अपना पाँव पहले की तरह नहीं हिला सकता था। कुछ दिनों बाद मुझे नाल अच्छी लगने लगी। उन्होंने मेरे पैरों का नुकसान होने से बचाया था, मगर मैंने अक्सर यह भी देखा है कि कई घोड़ों को यह बुरी तरह लगाई गई थी।

अगली चीज़ जो मैंने सीखी वह थी गाड़ी में जोते जाना। इसमें एक बहुत छोटी काठी थी, मगर एक बड़ा पट्टा था, और मेरे चेहरे के दोनों ओर अँखोड़ा था। अँखोड़े के कारण मुझे सिर्फ सामने की चीज़ें ही दिखाई देती थीं, अगल-बगल कुछ दिखाई नहीं देता था। यह मुझे भीड़-भाड़ में चौंकाने से बचाता था। किसान ग्रे ने पहले मुझे माँ के साथ बग्घी में जोता।

“मैंने काफ़ी कुछ सीखा, उसने मुझे सिखाया कि कैसे हरकत करनी चाहिए और कैसे यह जानना चाहिए कि कोचवान क्या चाहता है।

“मगर कुछ कोचवान अच्छे होते हैं और कुछ बुरे,” वह बोली. “और मालिक भी अच्छे और बुरे दोनों तरह के होते हैं. किसान ग्रे एक अच्छा मालिक है – बहुत अच्छा मालिक, वह भला है और अपने घोड़ों का ख़्याल रखता है, मगर दूसरे आदमी ऐसे भी होते हैं, जो बुरे होते हैं और ज़ालिम होते हैं या सख़्त, या फिर एकदम बेवकूफ़। तुम्हें हमेशा अच्छा बनना चाहिए, और यह कोशिश करना चाहिए कि लोग तुमसे प्यार करें। कभी भी आलसीपन मत करना, चाहे लोग तुम्हारे साथ बुराई करें, या वे बेवकूफ़ हों। एक वफ़ादार और मेहनती नौकर की तरह रहो और यह उम्मीद करो कि इस वजह से लोग तुम्हारे साथ अच्छा बर्ताव करें।

तुम उससे बहुत कुछ सीखोगे,” मुझ पर ज़ीन कसते हुए वह बोला।

था।


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