✍ "एक बेटी का दर्द" तेजकुश की कलम से ...?
✍ "एक बेटी का दर्द" तेजकुश की कलम से ...?
माँ बहुत दर्द सह कर ..बहुत दर्द दे कर .. तुझसे कुछ कहकर में जा रही हूँ?
आज मेरी विदाई में जब सखियाँ आयेगी सफेद जोड़े में देख सिसक-सिसक मर जायेंगी लड़की होने का ख़ुद पे फ़िर वो अफ़सोस जतायेंगी, माँ तू उनसे इतना कह देना दरिन्दों की दुनियाँ में सम्भल कर रहना..माँ राखी पर जब भईया की कलाई सूनी रह जायेगी याद मुझे कर-कर जब उनकी आँख भर जायेगी तिलक माथे पर करने को माँ रूह मेरी भी मचल जायेगी माँ तू भईया को रोने ना देना मैं साथ हूँ हर पल उनसे कह देना...माँ पापा भी छुप-छुप बहुत रोयेंगें मैं कुछ न कर पाया ये कह कर खुदको कोसेंगें... माँ दर्द उन्हें ये होने ना देना इल्ज़ाम कोई लेने ना देना...वो अभिमान है मेरा सम्मान हैं मेरा तू उनसे इतना कह देना...माँ तेरे लिये अब क्या कहूँ दर्द को तेरे शब्दों में कैसे बाँधूँ ...फिर से जीने का मौक़ा कैसे माँगूं ... माँ लोग तुझे सतायेंगें .... मुझे आज़ादी देने का तुझपे इल्ज़ाम लगायेंगें .. माँ सब सह लेना पर ये न कहना ....."अगले जनम मोह़े बिटिया ना देना"