पहचान
पहचान
वह ऑफिस में पंहुच कर दंग रह गया जो इंसान उसके आधीनस्थ था ।वह बडे ओहदे पर बैठा है। जो उसके लायक भी नही "वह सोचने लगा इससे तो पहले वाला ऑफिस ज्वााइन करता ,तो ठीक रहता वहाँ पर सैेलरी कम थी, पर सुकून तो था। मन हल्का करने नदी के तट पर आकर बैठ गया"अरे यह क्या यहाँ तो कोई नहीं है मैं अकेला हूँ ,'हाँ तो क्या हुआ ?थोड़ी शांति तो मिली जमाने भरकी परेशानियो से बहुत थक गया हूँ जहाँ देखो दिखावा ही तो है क्या करूँ मुझे इस ऑफिस में भी यह नौकरी बिना किसी लाग लरगाओ के सरलता से मिल गई मेरा स्किल भी नहीं देखा अरे ऐसा क्या ?था जो नौकरी देदीे हाई टेक जॉब है कहीं मेरा दुरूपयोग तो नहीं होगा, पैसा ही पैसा है ।यह गलत तो नही"| ़़ वह क्या चाहता है ?वह भी नहीं जानता पर आज इतने बडेऑफिस मे उसका मन घबरा गया था जो टाई शान बढा़ रही थी वही टाई की नॉट कसती जा रही थीै , उसने टाई की नॉट ढीली की। तभी वहाँ पर
एक वृद्ध को बैठे देखा वह मछली पकडने का कांटा
लगाये ,मछली पकड़ रहे थै पर वे एक मछली पकड़ते फिर उसे पुचकारते सहलाते और पानी में छोड़ देते । उनको ऐसा करते देखकर उसने पूछ ही लिया "बाबा आप इतने जतन से मछली पकड़रहे है, फिर छोड़ देते है
ऐसा क्यो, ? वृद्ध ने जवाब दिया "बेटा मै पूरी तरह निवृत व्यक्ति हूँ जीवन मे ऐसा कुछ नही है जो मैने नही भोगा हो पर फिर, अच्छे और बुरे का फर्क समझना चाहता हूँ , जब मै मछली को पकड़ता हूँ तब वह मछली मुझे बुरा इंसान समझती है पर जब मै इसे पुचकारकर पानी में छोड़ देता हूँ तब वह मुझे नेक समझकर मुझे बहुत अच्छा
इंसान बनने का मौका देती है । इससे मै धन्य हो जाता हूँ बच्चे " जब तक दुनिया मे बुरे लोग नही होगें , तब तक अच्छे लोगो की पहचान नही होगी बुरे लोग भी होना जरूरी है। ऩेक इन्सान बनने के लिये ।कहकर वह वृद्ध अपने रास्ते जाने लगे ।वह पुराने ऑफिस का जॉब ज्वाइन करने के लिये चल पड़ा