Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dheerja Sharma

Inspirational

4.5  

Dheerja Sharma

Inspirational

मैं हूँ न

मैं हूँ न

5 mins
369


मैं हूँ न "मैं कर पाया, तो आप भी कर पाएंगे। सांकेतिक भाषा इतनी भी मुश्किल नहीं है। कोशिश तो कीजिये। ×××××××××× ये मेरा मोबाइल नंबर है। कोई भी परेशानी आए, तो मैं हूँ न !"

इन पंक्तियों के साथ लेक्चर खत्म होते ही 150 अध्यापकों से भरा हॉल तालियों से गूंज उठा। बहुत से लोग सम्मान में खड़े भी हो गए।

मेरी आँखों के सामने वह पूरा लेक्चर एक फ़िल्म की रील की भांति घूम गया। मेरा भावुक कवि मन उद्वेलित था। हॉल खाली हो चुका था। 1 घंटे की लंच ब्रेक थी। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित 'निष्ठा ट्रेनिंग'के अंतर्गत चंडीगढ़ के विभिन्न स्कूलों से अध्यापकगण यहाँ एकत्रित हुए थे।

ट्रेनिंग के दूसरे दिन एक रिसोर्स पर्सन के रूप में वह हमारे सामने उपस्थित था। मोहम्मद इंतज़ार, प्राथमिक शिक्षक ! हमसे उम्र और अनुभव में बहुत छोटा। लेक्चर शुरू होने से पहले सब के मन में यही दुविधा थी कि कल का यह छोकरा हमें क्या पढ़ायेगा ! किंतु लेक्चर का यह प्रभाव था कि हॉल खाली होने के बाद भी मैं वहीं बैठी थी। एक घंटे की लंच ब्रेक थी। भूख लग आयी थी। कैंटीन की तरफ मुड़ने ही लगी थी कि कदम स्वतः स्टाफ रूम की तरफ उठ गए। मन श्रद्धा से भर गया था। मैंने उन्हें सर कह कर संबोधित किया। मुझे देख कर मोहम्मद इंतज़ार आदरपूर्वक खड़े हो गए। मैं उनसे सब कुछ जानना चाहती थी, विस्तार से ! मेरे अनुरोध को उन्होंने स्वीकार किया और सुनाना शुरू किया..... "

उस दिन वाकई बहुत ज़्यादा काम था। विभाग ने पूरी क्लास के बच्चों के नाम, उनके आधार नंबर, बैंक एकाउंट नंबर आदि की लिस्ट एक घंटे के भीतर भीतर मांगी थी। मैं क्लास के हाज़िरी रजिस्टर में सर गड़ाए काम कर रहा था। वह अपनी सीट से उठता, मुझे बार बार आकर कुछ काटने जैसा संकेत करता, ए-ए कह कर कुछ बताना चाहता और मैं उसे धमका कर भेज देता। इतने में एडमिशन इंचार्ज ने बताया कि मेरी पहली क्लास में दो और बच्चों का एडमिशन किया गया है जो कि विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थी हैं। इस खबर ने आग में घी का काम किया। मेरी कक्षा में पहले ही ऐसे चार विद्यार्थी थे। आखिर पहली कक्षा का एक और सेक्शन भी तो है। वहाँ क्यों नहीं? और वह फिर आ गया। ए - ए करता हुआ, काटने का संकेत करने लगा, मुझे खींचने लगा। मेरा पेन लिस्ट को फाड़ता हुआ दूसरी तरफ निकल गया। मैंने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा और लगभग घसीटते हुए उसके डेस्क पर ला पटका। वो सहम गया। उसकी आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे। लेकिन मुझे उस से कोई सहानुभूति नहीं थी। समय कम थाऔर लिस्ट नए सिरे से बनानी थी। रात सोते हुए जाने क्यों उसका चेहरा आँखों के सामने तैरने लगे। वह एक मूक बधिर बच्चा था।

पंकज नाम था उसका। मुझे स्वयं पर ग्लानि हो आयी। पूरी रात दिल पर बोझ लेकर सोया। अगली सुबह मैं गेट पर खड़ा हो कर पंकज की प्रतीक्षा करने लगा। हर रोज़ उसकी माँ मेरे हाथ में उसका हाथ थमा कर जाती थी। ताकि अपने जिगर के टुकड़े को सुरक्षित हाथों में सौंप कर निश्चिंत हो जाये। आज भी वो मुस्कुराता मेरी तरफ आया। मैंने हाथ जोड़ कर पंकज की माँ से माफी मांगी और पिछले दिन की घटना का जिक्र किया। माँ ने बताया कि कल पंकज का जन्मदिन था और वह मुझे अपने घर केक काटने की रस्म पर आमंत्रित करना चाहता था। मेरा मन रो दिया। मैं क्यों उस नन्हें बच्चे की बात समझ नहीं पाया! क्यों मैंने उस खुदा के बंदे का दिल दुखाया! मैंने पंकज के सिर पर हाथ फेरा और उसे एक पेंसिल उपहार में दी।

वह खुशी से नाच रहा था। क्लास के हर बच्चे को वह पेंसिल दिखा रहा था, जो सर ने उसे दी थी! दिन भर उस छोटे सी गिफ्ट को वह कलेजे से लगाये रहा। उस घटना ने मेरा जीवन बदल दिया। मैंने रात भर बैठ कर यूट्यूब पर जानकारी इकट्ठी की। मूक बधिरों की सांकेतिक भाषा, उन्हें पढ़ाने के तरीके ! तीन चार दिन में मैं काफी कुछ सीख गया। लेकिन फिर पता चला कि जो मैंने सीखा वह अमेरिकन सांकेतिक भाषा थी जो कि भारतीय भाषा से अलग थी। अगले दिन इतवार था।

सुबह की शताब्दी पकड़ कर मैं दिल्ली पहुँच गया। वहाँ मेरे एक परिचित मुझे एक विशेषज्ञ के पास ले गए। आठ घंटे में मैंने इतना सीख लिया कि पंकज को लिखना पढ़ना सिखा सकूँ। छह महीनों में वह मेरे प्रश्न समझने लगा। गिनती, छोटी बड़ी अंग्रेज़ी वर्णमाला, हिंदी वर्णमाला, फलों सब्जियों,रंगों के नाम सब फटाफट लिखने लगा। खूबसूरत, मोती जड़ी लिखाई !अपनी मेहनत रंग लाते देख मैं खुश था, बहुत खुश। मेरे लिए अगली चुनौती थी- पंकज की स्पीच थेरेपी जो मैंने कई महीने मेहनत के बाद सीखी। उसे गले पर हाथ लगा लगा कर ध्वनि और कंपन महसूस करना सिखाया। काफी मेहनत मशक्कत के बाद पंकज छोटे छोटे शब्द बोलने लगा। उसमे गज़ब का आत्मविश्वास आ गया। मैंने उसे क्लास मॉनिटर बना दिया। उसमें नेतृत्व के गुण पनपने लगे। पंकज तीसरी से चौथी कक्षा में पहुँच गया। जे बी टी होने की वजह से मैं कक्षा तीन तक पढ़ाता हूँ। अब पंकज को दूसरे अध्यापक के पास पढ़ना था।

उसे नये विंग, नयी कक्षा में छोड़ते हुए मुझे बिल्कुल वैसा ही महसूस हुआ मानों कोई मां बच्चे से अलग हो रही हो। ये एक अनोखा बंधन था। मैं खुश था कि पंकज अब अपनी बात समझा पाता था, लिख पढ़ पाता था। मुझे अब उसकी चिंता नहीं थी। इसी दौरान मैंने ब्रेल सीखी और एक अन्य आंखों से महरूम बच्चे को पढ़ाना शुरू किया। आज मेरा अपना यूट्यूब चैनल है। जिस पर लगभग चौरासी वीडिओज़ हैं। आप इन वीडिओज़ की मदद से अपनी क्लास के विशेष विद्यार्थियों को पढ़ा सकती हैं। अल्लाह ताला ने मुझे इतना हौसला दिया कि मैं एक अक्षम बच्चे का भविष्य संवार सकूँ। अखबारों में मेरे काम के चर्चे हुए। शिक्षा विभाग ने मुझे राज्य पुरस्कार दिया। गणतंत्र दिवस पर माननीय राज्यपाल जी ने सम्मानित किया। मैंने जो किया, अपनी आत्मा की आवाज़ सुन कर किया। पर पंकज ने मुझे सेलेब्रिटी बना दिया। देखिए.. एक छोटे से कस्बे का साधारण सा अध्यापक आप सब के सामने खड़ा है। बस.... इतनी सी है मेरी कहानी ! मोहम्मद इंतज़ार सर की आंखों में नमी तैर रही थी और मेरी आँखें भी बरसने को तैयार थी। बस इतना ही कह पाई..." आप शिक्षक समाज का गौरव हैं सर। गॉड ब्लेस्स यू !"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational