तलाश
तलाश
भारतीय लड़कियों को जीवन में दो लोगों की शिद्दत से तलाश रहती है। शादी से पहले अच्छे पति की और शादी के बाद अच्छी काम वाली की। अच्छा पति अगर ज़्यादा अच्छा हो तो लड़की को दूसरी तलाश से बचाया भी सकता है। चूंकि विशाल उतना अच्छा नहीं है फिर भी उसकी बीवी की दूसरी तलाश अब भी जारी है।
पिछले एक साल में न जाने कितनी कामवालियां आईं, कितनी गईं और कितनी निकाली गईं, मगर बात नहीं बनी। हर किसी के साथ अलग रंग और डिज़ाइन की समस्या है। कोई सूरज की परछाई से समय का अंदाज़ा लगाती है और देर से पहुंचती है, किसी की मान्यता है कि काम किया नहीं निपटाया जाता है, कोई संगीत प्रेम के चलते रोज नया सामान तोड़ विभिन्न ध्वनियों का आनंद लेती है, तो कोई हाव-भाव से पहले दिन ही बता देती है कि सवारी अपने सामान की खुद ज़िम्मेदार है। वहीं कुछ ऐसी भी हैं जिनकी दिलचस्पी काम में कम और कलंक कथाएं सुनाने में ज़्यादा रहती है और बकौल बीवी इंट्रेस्ट न लेने पर वो हर्ट भी हो जाती है।
सुबह के सात बजे हैं। विशाल की बीवी की दाईं आंख फड़क रही है। विशाल कहता है लगता है कुछ बुरा होने वाला है। उसकी बीबी कहती है कि शादी को तो एक साल हो गया फिर आज क्यों फड़क रही है। विशाल अब चुटकी लेता है, क्योंकि अब उसकी भी आंख फड़क रही थी।
इस बीच घड़ी नौ बजाने लगती है। अख़बार वाला, कचरे वाला, दूध वाला एक-एक कर ‘जितने वाले' है सब आ चुके हैं मगर ‘उस कामवाली’ का कोई पता नहीं। फड़कती आंख को वजह मिल गई है। धड़कने बढ़ने लगी है। बीवी टूटने लगी है। विशाल सहम गया। रसोई में पड़े बर्तन जोर-जोर से विशाल-विशाल चिल्ला रहे थे। दस बज चुके हैं। अब वो नहीं आएगी। इस हफ्ते दूसरी और महीने में उसकी पांचवी छुट्टी है। अब विशाल की बीबी आत्मविश्वास खोने लगी है। सोचने लगी है कि शायद उसी में कोई खोट है जिस वजह से कोई काम वाली टिकती नहीं। समझ नहीं पा रहा विशाल की क्या किया जाए। अगली कामवाली से बीवी की जन्मपत्री मिलवाऊं, दोनों को कोई नग पहनाऊं, हवन करवाऊं, लाल रंग के कुत्ते को ग्रिल्ड सैंडविच खिलाऊं या फिर हरी ईंट पर गुलाबी दिया जलाऊं।
अब विशाल सोचता है कभी-कभी की इन सभी का दोषी खुद वह ही है। शादी के शुरू में ही उसने इतने हाई स्टैंडर्ड सेट कर दिए जिसका शिकार ये सब कामवालियां हो रही हैं।