क्या यही प्यार है
क्या यही प्यार है
सर नीचे कर के मुस्कुराने की
आदत अभी भी जारी है क्या
तुम्हारी वो काली आँखें अब भी
उसी तरह प्यारी हैं क्या।
तुमको कभी साड़ी में देखा नहीं है, मगर अब
अगर तुमको सोचूं तो साड़ी में ही सोचता हूँ
आँख बंद करता हूँ जब भी तो बिंदी
और सिंदूर में ही तुमको देखता हूँ।
तुम्हारे पैर की उंगलियों में
बिछिया कैसा लगता होगा
मैं ये दावा कर सकता हूँ कि सीधे पल्ले की साड़ी में
तुम्हारा व्यक्तित्व और चमकता होगा।
तुम कभी कभी लिप ग्लॉस लगातीं थीं,
लिपिस्टक पर तो नहीं आ गयी हो न
माफ़ करना तुम पहले से थोड़ी मोटी सी थीं,
अब और वजन तो नहीं बढ़ा रही हो न।
पूजा अब भी करती हो न,
बाबा के मंदिर जाती रहती हो कि नहीं
और मुझे भूली तो नहीं हो तुम,
मम्मी से मेरे बारे में बतियाती रहती हो कि नहीं
मुझे पक्का यकीन है कि तुम अब भी
हेयर क्लचर लगा के लेट जाती होगी
और जब वो चुभता होगा तो तुम
अब भी जोर से चिल्लाती होगी।
सोचता हूँ कभी कभी कि वो चंचल लड़की
अब किसी की संगिनी होगी
परिवार को साथ लेकर चलती होगी,
किसी की ममता किसी की ज़िन्दगी होगी
हाँ, मगर अब उम्मीद करता हूँ कि
रोज़ तुम टाइम से सुबह जगती होगी
मैं अक्सर सोचता हूँ कि
अब तुम कैसी लगती होगी।