गुब्बारे वाला
गुब्बारे वाला
सोनम अपनी बिटिया पीहू के साथ अभी कुछ दिन पहले ही अपने मायके आयी हुई थी, लेकिन तीन वर्षीय पीहू से पूरा घर ऐसे बच्चामय हो गया था जैसे पीहू बरसों से अपनी नानी के घर ही रहती हो। अपनी नानी के घर में पीहू अकेली बच्ची थी इसलिए मौसी, मामा और नाना की दुलारी बिटिया थी। एक दिन पीहू अपनी मम्मी और मौसी के साथ घर के बाहर खेल रही थी कि तभी वहांँ से एक गुब्बारे वाला गुजरा, जिसने अपनी साइकिल पर रंग -बिरंगे ढे़र सारे गुब्बारे लिए हुए थे। छोटे - छोटे बच्चों का ध्यान अपने गुब्बारों पर आकर्षित करने के लिए वो गुब्बारे वाला एक बाँसुरी भी बजा रहा था। बाँसुरी की आवाज़ सुनकर बच्चे अपने घरवालों के साथ गुब्बारे वाले के पास जाते और गुब्बारे ख़रीद कर लाते।
नन्ही पीहू ने भी गुब्बारे वाले को देखा और गुब्बारे के लिए ज़िद करने लगी तब मौसी ने नन्ही पीहू को एक लाल रंग का गुब्बारा ख़रीद कर दे दिया। लाल रंग का गुब्बारा पाकर पीहू बहुत खुश हुई और छोटी सी पीहू को देखकर गुब्बारे वाला भी बहुत खुश हुआ।
अब तो रोज़ ही गुब्बारे वाला पीहू के घर के सामने आकर बाँसुरी बजाने लगता। छोटी सी पीहू बाँसुरी की आवाज़ से समझ जाती कि गुब्बारे वाला आ गया फिर वो कभी नानी तो कभी मम्मी तो, कभी मामा के साथ बाहर जाती और एक गुब्बारा, गुब्बारे वाले से लेकर ही घर के अन्दर आती। इस प्रकार एक महीने बीत गये और वह दिन भी आ गया जब पीहू को अपने नानी के घर से वापस अपने घर जाना था। उस दिन भी सुबह-सुबह गुब्बारे वाले ने अपनी बाँसुरी बजाई जिससे नन्ही पीहू भागती हुई गुब्बारे के पास चली गयी, गुब्बारे वाले ने एक गोल्डन कलर का गुब्बारा पीहू के हाथ में पकड़ा दिया। पीहू खुशी से जाने लगी तो गुब्बारे वाले ने पीहू से कहा
"आज तो गुड़िया ने बहुत प्यारी फ्रॉक पहनी है।"
तब पीहू की मम्मी ने कहा
"भईया, आज पीहू अपनी नानी के घर से वापस अपने पापा के पास जा रही है।"
यह कहकर पीहू की मम्मी ने गुब्बारे के पैसे गुब्बारे वाले को देने लगी, लेकिन आज गुब्बारे वाले ने पैसे नहीं लिए। गुब्बारे वाले ने पीहू को आवाज़ लगाई
"बाॅय गुड़िया, फिर जल्दी आना।"
पीहू ने गुब्बारे वाले को बाॅय कहने के लिए जैसे ही दूसरा हाथ ऊपर उठाया वैसे ही गुब्बारे वाले ने एक हार्ट शेप का गुब्बारा पीहू के हाथ में थमा दिया और साईकिल चलाता हुआ बहुत दूर चला गया।