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सोच बदलो... सब बदलेगा...

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एक लडकी..सहूलियत के लिये कोई भी नाम रख लीजिये चलिये निकी नाम रख लेते है उम्र तकरीबन 12-14 साल स्कूल के लिये घर से निकलती है। पडोस के गुप्ता अंकल (उम्र 40-45 साल) अपने घर के बरामदे मे रिलैक्स चेयर पर बैठे हुये है। निकी ने “नमस्ते अंकल” कहा –जैसा कि बचपन से कहती आई है। गुप्ता अंकल ने भी संपूर्ण सह्रयदता से नमस्ते कहा और भावविह्वल होकर पास बुलाया। निकी खुश होकर दौडी और गुप्ता अंकल के पास पहुंची। जैसे कि बचपन से हमेशा आती थी। गुप्ता अंकल ने निकी को गोद मे बिठा लिया और बातें करनेलगे। निकी अभी खुश है। गुप्ता जी ने निकी के गालों को चूमा। निकी थोडी शरमाई और मुस्कुराई भी वैसे ही जैसे कि बचपन से हमेशा से मुस्कुराते आई है। गुप्ता अंकल ने एक हाथ उसके गाल पर रखा और दूसरा हाथ उसके सामने गले से नीचे की ओर..। गाल वाले हाथ का अंगूठा गालो पर धीरे-धीरे रेंग रहा था और दूसरे हाथ की हथेली भी बातों-बातों मे कभी-कभी गले से और नीचे की ओर सरक जाती थी। दो दफा निकी कुछ हद तक ठीक रही पर तीसरी बार निकी कसमसाने लगी। और जाने के लिये उठने लगी। पर ये क्या..?? गुप्ता अंकल ने अपने एक पैर से निकी के दोनो पैरों मे थोडा दवाब भी बना रखा था। अबकी निकी को थोडा जोर लगाना पडा उठने के लिये। जैसा कि बचपन से आज तक उसे कभी ऐसा नही करना पडा था। निकी को स्कूल जाने की जल्दी हो पडी। वो तेजी से गुप्ता अंकल के घर से बाहर निकल आई..। आज उसे रुमाल की जरूरत महसूस हुई माथे से पसीने की कुछ बूंदे पोछने के लिये..उसे थोडी पानी पीने की जरूरत भी महसूस हुई..पर उसे स्कूल पहुंचने की जल्दी थी।
खैर...शाम हुई..निकी घर आई। पर आज वो कुछ बाते भूल गई थी...लौटते वक्त उसने आज गुप्ता आंटी से नमस्ते नही किया था..जैसा कि आज से पहले बचपन से हमेशा करती आई थी। निकी पापा के साथ टीवी देख रही थी पर आज पापा की गोद मे बैठकर टीवी देखना भूल गई थी..जैसा कि आज से पहले हमेशा बैठकर देखा करती थी। आज निकी सोने से पहले अपने कमरे की बत्तियां बुझाना और खिडकियां खोले रखना भूल गई थी..जैसा कि बचपन से लेकर आज से पहले तक कभी नही भूली थी।
अगले दिन-
आज निकी स्कूल के लिये निकली रोज की तरह पर आज उसने गुप्ता अंकल से नमस्ते नही किया था जबकि गुप्ता अंकल आज भी अपने घर के बरामदे में रिलैक्स चेयर पर बैठे हुये थे..शायद निकी के ही “इंतेजार” मे...पर आज निकी भूल गई थी शायद..हालांकि बचपन से लेकर कल तक मे वो कभी नही भूली थी ये बात..। आज उसके शर्ट के बटन ऊपर तक बंद थे। आज उसने अपना स्कूल बैग पीठ मे टांगने की बजाय सामने सीने से लगाया हुआ था। जैसा कि बचपन से लेकर कल तक मे उसने कभी नही किया था। और हां आज उसने अपने एक हाथ मे रुमाल भी रखा हुआ था..पता नही क्यो..?? पर आज उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि उसे कभी भी रुमाल की जरूरत पड सकती है..माथे से पसीने की कुछ बूंदे पोछने के लिये..।
इसके बाद भी हम और आप अगर ये कहें कि..जमाना बदल गया है।
तो गौर कीजियेगा..
जमाना उस दिन से बदलना शुरु होगा जब निकी को अपना स्कूल बैग पीठ की बजाय सीने से लगाकर चलने की जरूरत महसूस नही होगी। जमाना उस दिन से बदलना शुरु होगा जब निकी को रुमाल की जरूरत नही महसूस होगी माथे का पसीना पोछने के लिये और जब निकी को बेवजह जल्दी नही होगी स्कूल पहुंचने की।
और..
जमाना उस दिन वाकई बदल चुका होगा जब निकी को गुप्ता अंकल को नमस्ते कहना भूलने की जरूरत नही पडेगी..जब निकी न सिर्फ़ गुप्ता अंकल को नमस्ते कहेगी बल्कि गुप्ता अंकल के गालो को चूमने के बाद ही स्कूल जाया करेगी।


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