कटी उंगलियां भाग 5
कटी उंगलियां भाग 5
कटी उँगलियाँ भाग 5
अचानक पता नहीं कैसे बाबा अघोरनाथ के कपड़ों में आग भड़क उठी। वे चीख मारकर पीछे को उलट गए। उनके चेले भी हड़बड़ाए से दौड़े और अपने गुरु के शरीर पर लगी आग हाथों से ही बुझाने का प्रयत्न करने लगे। मोहित ने त्वरित बुद्धि से अपने सामने पड़ा पानी का कलश उठाया और झटके से पूरा बाबा जी पर उंडेल दिया। आग बुझ गई पर तब तक बाबा जी का शरीर कई जगह से झुलस चुका था। उनके चेलों के हाथ भी बाबाजी की आग बुझाने में झुलस गए थे। बाबा अघोरनाथ ने चिल्लाते हुए कहा, जगदम्बा प्रसाद! इस घर पर सिद्ध साधु का शाप लग गया है। मेरी शक्तियां उसके सामने लाचार हैं। मैं कुछ नहीं कर सकता। तुम्हारा बेटा और बहू अब नहीं बच सकते। मुझे कल बरात का किस्सा ज्ञात है। तुमने अनजाने में महान अघोरी साधु प्रचंडज्वाल् का अपमान कर दिया है और उनके कोप से अब तुम्हे वे ही बचा सकते हैं। तुम उन्हें ढूंढ कर अपना अपराध क्षमा कराओ तभी कुछ हो सकता है अन्यथा तुम्हे बहुत भारी कीमत चुकानी होगी! और बाबा प्रस्थान कर गए।
जगदम्बा प्रसाद सर पकडे वहीं बैठ गए। दुर्भाग्य से ऐसी अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई थी जिसका कोई इलाज नहीं सूझ रहा था। अब कहाँ ढूंढें उस साधु को? कुछ दिन इसी तरह बीते। सभी ने साधु को ढूंढने का अथक परिश्रम किया पर परिणाम ढाक के तीन पात रहा। इस बीच घर में साधु के शाप का प्रकोप बढ़ता ही गया। अचानक एक दिन शाम को मोहित ने आकर धमाका किया कि उसका ट्रांसफर मुम्बई हो गया है और वो अब वहीँ सेटल हो जाएगा। अगले दिन की ही ट्रेन की टिकट थी। सभी को इस खबर से मानो सांप सूंघ गया लेकिन जैसे हालात थे उनमें यह एक तरह की राहत ही लगी लेकिन रचना बहुत रोई। उसका घर परिवार संगी साथी सभी बनारस में ही थे। यहीं उसका जन्म और लालन पालन हुआ था। गंगा नदी महासागर में जाकर विलीन होने के ख़याल से सिहर उठी। उसने मोहित से विनती की कि अभी वो अकेले चला जाए बाद में सब कुछ सेट हो जाने पर उसे बुला ले पर मोहित नहीं माना। शनिवार को रवाना होकर रविवार शाम दोनों मुम्बई पहुँच गए और सोमवार से मोहित ने ड्यूटी ज्वाइन कर ली। फिर तीन महीने शान्ति से गुजर गए।
क्या यह शान्ति स्थाई थी?
या किसी तूफ़ान का संकेत?
जानिये कल।
कटी उंगलियाँ भाग 6