Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

राष्ट्र प्रेम

राष्ट्र प्रेम

3 mins
533


हिंदुस्तान और पी.ओ.के. का सरहदी इलाका, जहाँ मेरा गाँव था। वैसे देखा जाए तो हिंदुस्तान का ही हिस्सा था और दिल भी हिंदुस्तानी ही था।  

आज मेरी कहानी सुनाता हूँ...

पढ़ाई १२ साइंस तक की। दोस्तों की सोहबत अच्छी नहीं थी, वह माँ बोल रही थी। मुझे तो मेरे दोस्त अच्छे ही लगे हमेशा। आगे पढ़ाई के लिए पापा दिल्ली जाने को बोल रहे थे मगर मेरा मन नहीं था। बस दोस्तों की सोहबत अच्छी लगती थी। कुछ दोस्तों के दोस्त मुझे उकसा रहे थे कि देश के लिए कुछ करना चाहिए। भारत के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ मगर वो लोग भारत को अपना वतन नहीं समझ रहे थे, यह मैंने बहुत बाद में जाना था। पता नहीं किस्मत अच्छी नहीं होगी मेरी सो उनकी बातों में आ गया। 

"घर से निकल लो और देश के लिए कुछ करो, यही मन में घुसा था" दोस्तों की वजह से। इतनी जल्दी फैसला लूँगा, वह पता नहीं था। सुबह एक चिट्ठी रखी घर पर कि ..."देश का नाम रौशन करूँगा।" मन में अच्छी भावना थी सो लिख दिया था। आगे जाके क्या होने वाला था, नहीं जानता था। बस निकल पड़ा... मेरा वीज़ा और टिकट तैयार थे बस एक मदरसा में गए थे। वहाँ बोला था कि ट्रेनिंग के लिए भेजा जायेगा!

एक टूटी-फूटी ट्रक में हम सवारी कर रहे थे। मैंने पूछताछ की मगर कोई फायदा नहीं था, किसी को पता नहीं था। तीन दिन के बाद बहुत ही खुले मैदान वाले इलाके में ट्रक रुकी। वहाँ बहुत सारे अफगानी लिबाज़ के लोग हमारे स्वागत में बंदूक लेकर खड़े थे। मेरा दिल बैठ गया, माँ बाबा याद आ गये... 

कहाँ से कहाँ आ गया, आतंकवाद की ट्रेनिंग चल रही थी। पता लग गया था सब को...! रात को बहुत रोया क्यूँकि वापस जाना मुमकिन नहीं था अ्ब। दूसरे दिन ट्रेनिंग शुरू हुई, बहुत ही कड़ी परीक्षा ली। ट्रेनिंग ३० दिन तक चली, उन ३० दिनों में पूरा माइंड वाश कर दिया कि बस दुश्मन ही लगे हिंदुस्तान के लोग ...ऐसा कर दिया माइंड।

ट्रेनिंग का आखिरी दिन और टारगेट दिया सब को।

'मुझे बम कैसे विस्फोट करना है?' ये सब टेक्निकली समझाया। साइंस का स्टूडेंट था सो सिखा दिया।  

१५ जनवरी को करना था विस्फोट। कहाँ? वह नहीं बताया। बस सब मटीरियल के साथ कुछ भी करके हिंदुस्तान भेज दिया...दिल्ली में।

"हाहा...बाबा का सपना था कि मैं यहाँ पढ़ूँ मगर आज देखो कैसे किस्मत फूटी मेरी, एक हिंदुस्तानी होकर किस लिबाज़ में फिर रहा हूँ।" 

तभी मैसेज आया, "टारगेट... लोकेशन 'पीवीआर थियेटर' दिल्ली...फ्राइडे, ९ बजे का शो।"

नयी मूवी रिलीज़ हुई थी, सब पागल थे फर्स्ट शो देखने को। दिल दहल उठा मेरा, मेरा देश मेरे लोग और शो में मेरी ही उम्र के लोग। मुझपर नज़र रखी हुई थी, निशानों की नोक पे था। बहुत लम्बी पहचान होगी, किसी ने मुझे चेक नहीं किया। पूरा शो पब्लिक से भरा हुआ था, आधे घंटे में क्या होने वाला था ये कौन जानता था? बस मुझे तो बैग रखके निकल जाना था १५ मिनट में।

मूवी शुरू हुई, शुरुआत में देशभक्ति का गीत...सब खड़े हो गये। "जन...गण...मन..."...

सबके चेहरे पर फक्र की मुस्कान थी और मेरे चेहरे पर फूटफूट के आँसू गिर रहे थे और माइंड फिर से वाश हो चुका था। बैग लिया और भागा थियेटर के बाहर, आँसू नहीं रुक रहे थे। दो लोग मेरे पीछे हो गये। पूरी दौड़ लगाके कुछ सोचके मैं खुले मैदान की ओर भागा। बाबा के नाम रखी चिट्ठी याद आई। "देश के लिए कुछ करना है" और मैदान के बीच जा पहुँचा। वो दो लोग पीछा करते हुए दूर से मुझे दिखाई दिए, बस फिर बाबा-माँ को याद किया और एक मुस्कान के साथ ट्रिगर दबा दिया और धड़ाम...

मैं आग की लपटों में लिपटा पूरे मैदान में फैल गया...छोटे-छोटे टुकड़ो में। 

उस ज्वाला में सिर्फ आतंकवाद की नफरत उड़ रही थी और मरते वक़्त मेरे दिल में देश प्रेम उबल रहा था।

वह ज्वाला, देश की हवा में जाकर ही मिल रही थी या फिर देश की मिट्टी में घुल रही थी...


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime