जिद्दी बंदर
जिद्दी बंदर
गांव के बाहर एक पेड़ पर बहुत सारी चिड़िया रहती थीं।उन सब की आपस में बहुत अच्छी दोस्ती थी।सभी ने अपने लिये बहुत अच्छे और सुंदर घोसले बना रखे थे।इन चिड़ियों की रानी का नाम था निक्की। निक्की ने भी अपने लियेएक बहुत खूबसूरत घोसला बना रखा था।रोज सबेरे और शाम को सारी चिड़िया एक साथ खेलती थीं।उनकी चहचहाने की आवाज दूर तक गूंजती थी।
रोज की तरह सारी चिड़िया उस दिन भी खेल रही थीं।अचानक कहीं से घूमता हुआ एक मोटा सा बंदर वहां आ गया।उसने जब पेड़पर इतने सुन्दर घोसलों को देखा तो वहीं रुक गया।वह सोचने लगा कि अब तो कुछ दिन बाद ही बारिश होने लगेगी।बारिश से बचने के लिये चिड़ियों की तरह एक घर मेरे पास भी होना चाहिये।क्यों न मैं भी इन्हीं चिड़ियों से कह कर अपने लिये एक घोसला बनवा लूं।
बस उसने पता किया कि इन चिड़ियों की रनी कौन है और पेड़ की डालियों पर लटकता हुआ निक्की के पास पहुंच गया।वह निक्की से बहुत घमंड से बोला,
“निक्की रानी निक्की रानी
करती क्यों अपनी मनमानी
कुछ ही दिनों के बाद यहां पर
बरसेगा जब जोर से पानी
तुम सब तो आराम करोगी
मुझे भिगोएगा बस पानी।”
बंदर की बात सुन कर निक्की कुछ देर सोचती रही फ़िर बोली,
बंदर भाई बंदर भाई
बात तो तुमने सही कही है
कुछ ही दिनों में अब तो देखो
बारिश भी होने वाली है
बारिश से जो बचना चाहो
तुम भी बना लो अपना घर
सुंदर सा प्यारा सा घर।”
निक्की की बात सुनकर बंदर गुस्सा हो गया।वो गुस्से में बोला,“निक्की मुझे घर तो बनाना आता नहीं।तुम सारी चिड़िया मिल कर मेरे लिये एक खूब बड़ा सा घोसला बना दो।नहीं तो मैं तुम्हारे घोसले को तोड़ दूंगा।”
निक्की और बाकी चिड़िया ये सुन कर बहुत डर गयीं कि अगर इस बंदर ने उनके घोसले तोड़ दिया तो उनके बच्चे कहां रहेंगे?वो खुद कहां रहेंगी?
फ़िर भी उन सबने मिल कर बंदर को बहुत समझाया कि वो घोसले में नहीं रह पाएगा।उसका वजन ज्यादा है अगर वो घोसले में बैठेगा तो घोसला पेड़ पर से गिर जाएगा।पर मोटा बंदर नहीं माना।
वह निक्की से बोला,“अगर तुम सब मिलकर दस दिनों में मेरे लिये घोसला नहीं बनाओगी तो मैं तुम सबके घोसले तोड़ ही डालूंगा।”यह धमकी दे कर मोटा बंदर वहां से चला गया।
बंदर के जाने के बाद निक्की काफ़ी देर तक सोचती रही।अचानक उसके दिमाग में एक अच्छी तरकीब आ गयी।उसने सारी चिड़ियों को अपने पास बुलाया और उन्हें धीरे धीरे कुछ समझाया।
बस दूसरे दिन से ही सारी चिड़िया बंदर का घोसला बनाने में लग गयीं।और दस दिनों के अंदर ही सबने मिलकर पेड़ की सबसे ऊंची डाल पर बंदर के लिये एक बहुत बड़ा सा घोसला बना दिया।
दस दिनों बाद जब बंदर आया तो वो अपना घोसला देख कर बहुत खुश हो गया।
निक्की ने उससे कहा,“बंदर भाई आपका घोसला तो बन गया।अब आप जरा उसमें लेट कर देखिये तो कैसा लगता है?”
बस फ़िर क्या था बंदर पेड़ की डालियों पर उछलता कूदता हुआ पहुंच गया अपने घोसले के पास।सारी चिड़िया अपने घोसलो से झांक झांक कर देखने लगीं कि बंदर अपने घोसले में कैसे लेटता है?इतना ही नहीं ढेर सारे दूसरे जानवर भी पेड़ के नीचे ये तमाशा देखने के लिये इकट्ठे हो गये थे।सबको चिड़ियों ने पूरी बात पहले ही बता दी थी।
बंदर जैसे ही अपनी पूंछ हिलाता मुस्कुराता हुआ अपने घोसले में घुस कर लेटा वह घोसले सहित धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा और लगा जोर जोर से चिल्लाने।क्योंकि पेड़ की सबसे ऊंची डाल पर से गिरने के कारण उसे चोट भी बहुत आयी थी।
बंदर के गिरते ही सारी चिड़िया निक्की के साथ हंसने लगीं।पास में खड़े सारे जानवर भी ठहाका लगा कर हंसने लगे।और मोटा बंदर दर्द के मारे चिल्लाते हुए वहां से भाग गया।फ़िर लौट कर चिड़ियों को धमकाने नहीं आया।