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mona kapoor

Drama

4.6  

mona kapoor

Drama

दो दिलों की दास्तान

दो दिलों की दास्तान

7 mins
782


रब ने बना दी जोड़ी

चाय का कप हाथ में लिए रसोईघर से अपने कमरे की तरफ जाती राधा की‌ नजर जैसे ही दीवार पर लगे कंलेडर पर पड़ी तो मानो आँखों में वही खुशी की चमक व दिल में फिर से उमंग सी भर गयी,आज का ही तो दिन था जब चौदह साल पहले उसने पहली बार सुमित को देखा था,चाय की चुसकियो के साथ वो अतीत की मीठी यादों में कब खो गयी पता ही नही चला….कितना बढिया दिन था वो शाम की बहती ठंडी हवा,सुहावना मौसम… चूंकि राधा ज्यादातर घर पर ही रह कर उच्च स्तर की परीक्षा की तैयारी कर रही थी,उस दिन वह परीक्षा ही देकर घर वापिस आयी थी,माता-पिता के साथ कुछ समय बिताने के साथ साथ चाय नाश्ता करकर वह गीले कपड़े सुखाने जैसे ही अपनी बालकनी में गई उसकी नजर सामने से बाइक पर आते सुमित पर पड़ी, अचानक से एकटक देखने से सुमित का ध्यान भी उसकी तरफ आकर्षित हो गया था,तभी अंदर से आयी माँ की आवाज से राधा का ध्यान भंग हो गया और वह अंदर भाग गयी थी। कुछ समय पश्चात वह उस बात को भूल कर अपने अगली परीक्षा की तैयारी में लग गई थी।काफी दिन बीत चुके थे परीक्षा खत्म हो चुकी थी बस अब इंतजार था परिणाम का,सोचा इतने दिन माँ की मदद कर देती हूँ घर के कामों में थोड़ा समय भी व्यतीत हो जाएगा। काम में ध्यान लगाया ही था कि अचानक से वही बाइक के हॉर्न की आवाज मेरे कानो में पड़ी तो लगा शायद यह आवाज मैने पहले भी सुन रखी है,मै भागते हुए दरवाजे की तरफ गयी और छुपकर बाहर झांका तो देखा वो सुमित की ही बाइक था वह भी उसके घर की तरफ ही देख रहा था मानो कि उसका दिल कह रहा हो कि एक बार बाहर आ जाओ तुम्हें देखने के लिए आँखें तरस गयी हो,राधा ने यह देखकर खुद को और छुपा लिया था।

कहते है कि अगर भगवान ने आपकी किस्मत में सच्चा प्यार करने वाले से मिलवाना लिखा हैं तो जरिए अपने आप बनते जाएंगे, शायद ऎसा ही‌ हो रहा था राधा और सुमित के साथ। सुमित का घर राधा के घर की सामने वाली गली में ही था जिससे एक दूसरे को आसानी से देखा जाता था। अब तो यह शायद दिनचर्या का हिस्सा ही बन गया था कि सुबह जल्दी उठ कर सारा काम निपटा कर राधा तैयार होकर बैठ जाती और इन्तजार करती कि कब सुमित के मेन गेट खुलने की आवाज आएगी व कब वह उसे देखने के लिए बाहर बालकनी में जाकर खड़ी होगी,इस तरह करते करते दो महीने बीत चुके थे बस एक दूसरे को देखकर मुस्कुराना ही शुरू हुआ था इन दो महीनों में,अब समस्या यह थी कि‌ राधा घर में ही रहती थी बाहर जाती तो शायद सुमित से बातचीत का मौका मिल पाता लेकिन यह जरूर पता चल गया था कि सुमित होम ट्यूशन लेते है तभी तो दिन में दो चार बार उनका दीदार हो जाता था….सुमित की तरफ से भी राधा से बात करने की पूरी चाह दिखती थी,एक दिन सुमित ने राधा के घर के सामने रूक कर अपने ही फोन पर बातचीत करते हुए अपना ही फोन नंबर बोल‌ डाला ताकि राधा उसके नम्बर को नोट कर ले व उसे फोन करके उससे बात करे,पर राधा इतनी बेवकूफ सुमित को देखती ही रह गयी लेकिन उसके द्वारा बोले हुए नम्बर को नही सुन पायी,जब बाद में बात समझ आयी तो बड़ा पछतायी……खैर‌ सुमित का दिया हुआ इशारा उसको समझ आ चुका था,बस फिर क्या था शायद भगवान ने स्वयम अपना दूत भेजा था मेरे लिए अगले ही दिन मेरी एक सहेली जिसे अपने छोटे भाई की ट्यूशन लगवानी थी,एक अच्छी ट्यूशन की तलाश करते राधा के पास आ गयी और मानो कि राधा के मन में लड्डू ही फूट रहे हो उसने सुमित का घर दिखाकर भेज दिया उसको सुमित के घर,राधा जानती थी कि सुमित इस समय घर पर नही है तो ट्यूशन के बारे में बातचीत करने के लिए उसकी सहेली को फोन नंबर अवश्य मिल जाएगा,बस वो इंतजार करती रही और वही हुआ जो उसने सोचा था अब सुमित का नम्बर उसके हाथ में था….खुशी के साथ साथ राधा के मन में डर भी था कि कही सुमित को‌ फोन करने पर वह यह‌ न सोचे कि “कैसी लड़की हूँ मै” खुद ही लड़के को‌ फोन कर दिया, क्या सोच होगी उसकी मेरे चरित्र के बारे में ।जब भी राधा सुमित का फोन नंबर अपने मोबाइल से डायल करने लगती बस यही सोच कर ना कर पाती….इस बीच में कई बार सुमित के फोन पर मिसड काल भी लग जाता पर सुमित ‌का काल बेक नही आता।

तभी एक दिन रात में जब राधा सोने के लिए तैयारी कर ही रही थी कि अचानक से फोन बजा,इतनी रात को किसका फोन हो सकता है सोच कर फोन उठाया ही था कि फोन को देखकर उसका दिल जोर जोर से धडकने लगा,फोन सुमित का था मन में घबराहट व खुशी को लिए उसमें फोन उठाने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी फिर सोचा कि अगर आज नही‌ तो शायद कभी दुबारा यह मौका न मिले..हिम्मत करके उसने फोन उठाकर हैलो बोला तो सामने से आयी सुमित की आवाज सुनकर वह निशब्द ही हो गयी थी,उसके दो चार बार हैलो बोलने पर मेरा जवाब न मिलने पर वह अचानक से बोला कि”मुझे पता है कि तुम कौन हो मुझसे बात तो करो”उसकी यह बात सुन कर राधा में हिम्मत सी आ‌गयी वह बोल पड़ी कि “तुमहे कैसे पता कि मै कौन हूँ “उसकी यह बात सुनकर दोनो हँसने लगे,बस फिर क्या था दोनो ने बातों के जरिए एक दूसरे के जीवन,पसंद-नापसंद,परिवार के बारे में जान चुके थे और समझ चुके थे कि वो दोनो एक दूसरे के लिए परफेक्ट है,बिना मिले ही फोन पर दोनों ने प्यार का भी इजहार कर दिया था व शादी के बंधन में बंधने का फैसला भी। राधा की परीक्षा का रिजलट भी आ गया था उसकी उम्मीद से बहुत अच्छा, अपनी इस खुशी को राधा ने सुमित के साथ पहली बार मिल कर सेलिब्रिट किया पहली बार सुमित से मिलकर उसको अपने फैसले पर गर्व हुआ था।

अब दोनो ने अपने अपने घर में अपने माता-पिता को अपने रिश्ते के बारे में बताने की सोच ली थी वैसे तो दोनो को यकीन था कि उनके माता-पिता उनके इस फैसले का सम्मान करेगे क्योकि ना करने की‌ कोई वजह न थी,सुमित अच्छा कमाता था व राधा घरेलू थी जोकि दोनो के माता-पिता के पक्ष में था फिर भी मन में कही न कही डर था कि ना जाने माता-पिता क्या सोचेगे?बस फिर क्या था घर पर बताने से पहले मांग ली भगवान के सामने बहुत सी मन्नते जैसा कि हम भारतीय अक्सर किया करते हैं हाहाहाहाहाह...दोनो ने अपने अपने घर में अपने रिश्ते की बात बतायी बस फिर क्या था हो गयी शुरू प्रशनो की बहार,माता-पिता यह तो जान ही गये थे कि दोनो का प्यार सच्चा है व एक दूसरे के बिना रहना नामुमकिन ।दोनो के परिवारों में बातचीत हुई,दोनो ही पढे लिखे परिवार थे तो एक दूसरे को समझना आसान हो गया था,लेकिन कुछ निजी समस्या के चलते शादी में दो साल का समय माँगा गया राधा व सुमित से,अपने माता-पिता के इस फैसले को दोनो ने सम्मान दिया व बड़ी मर्यादा में रहकर अपना रिश्ता निभाया। दो साल कब बीत गये पता ही‌ नही चला,पंडित जी से पूछ कर शादी की तिथि निकाल ली गयी थी,शादी का दिन भी आ गया था सारी रस्म-रिवाज सही ढंग से पूरी हो चुकी थी,राधा के मन में एक और सुमित को जीवन साथी के रूप में पाकर खुशी थी तो दूजी तरफ मायके से बिछडने का दुःख,विदाई के समय राधा को रोता देख सुमित माहौल को ठंडा करते हुए तुरंत बोला “अरे रोऒ मत,बस गृह प्रवेश करके वापिस घर आकर मिल लेना सामने ही तो है”यह बात सुन कर सब हँसने लगे…..अरे भई किस बात पर मुसकुरा रही हो,मुझे भी तो बताओ….जैसे ही सुमित की आवाज राधा के कानों में पड़ी वो अतीत की‌ मधुर यादों से वापिस आ गयी,व मुस्कुराते हुए किचन की तरफ चल पड़ी सुमित व बाकी घर वालो के लिए नाशता बनाने ।

आज उन दोनों के विवाह कॊ नौ साल हो गये हैं दोनो की एक प्यारी सी सात साल की बेटी भी है,दोनो के परिवार वाले उनकी पसंद से सन्तुष्ट है,मानो लगता है कि उनकी जोड़ी रब ने बना कर भेजी है,दोनो में प्यार है लड़ाई व नोक झोंक भी होती है पर उनके प्यार के सामने इन सब बातों का कोई मोल नहीं ।



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