चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 5
चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 5
दिन काटना अब आसान हो गया था, संकेत के लिए। दिन भर माँ से बातें करता रहता। कभी दोस्तों के बारे में, कभी रिश्तेदारों के विषय में।
"बेटा तुमको सिन्हा अंकल याद हैं? अरे वही तो लेमरेटा पर आते थे नीले से रंग की।" माँ ने कहा।
"हाँ माँ, याद आ गए। समोसे लेकर आते थे हमेशा। तो क्या हुआ अचानक सिन्हा अंकल क्यों याद आ गए आपको?" संकेत का सवाल साफ़ था।
"बेटा कल वो गुज़र गए।" माँ बोली
"क्या...कैसे?" संकेत भौचक्का रह गया।
"पता नहीं। सब अचानक ही हो गया। बोलते हैं कि तंत्र-मंत्र, भूत, चुड़ैल का चक्कर था कोई। अब सच्चाई तो ऊपर वाला ही जाने।
संकेत को फिर से उस रात की घटना याद आने लगी थी।
"माँ उस लड़की का क्या हुआ था?" संकेत ने सवाल किया।
"कौन सी लड़की?" माँ का ज़वाब की जगह सवाल आया।
"अरे वो अंजना आंटी की बेटी। बहुत प्यारी लगती है। उसके एग्जाम थे ना! क्या हुआ पास हुई या नहीं।" संकेत ने बात बदल दी।
"तू भी बावला हो गया है अभी से कौन से एग्जाम आ गए।" माँ बोली।
"कुछ नहीं माँ, ऐसे ही।" संकेत माँ को परेशान नहीं देख सकता था। एक तो एक्सीडेंट ही उनके लिए बहुत डरावना था और अगर चुड़ैल की बात सुनती तो और ज्यादा परेशान होती।
"माँ सुशान्त नहीं आया बहुत दिन से!" संकेत ने फिर एक सवाल दागा।
"बेटा वो तो...." माँ चुप हो गई।
"क्या हुआ माँ? सुशान्त ठीक तो है न!
"नहीं बेटा। पता नहीं क्यों नस काट ली अपनी। कुछ बताता भी नहीं है। नौकरी पर भी नहीं जा रहा आजकल। इधर तेरा एक्सीडेंट उधर उसका सुसाइड अटेम्प्ट, कुछ समझ ही नहीं आ रहा। छुपाने का इरादा नहीं था। सोचा था जिस दिन तू पूछेगा बता दूंगी।" कहकर माँ रोने लगी।
"वो है कहाँ?" संकेत ने पूछा।
"बगल के वार्ड में, बहुत खून बहा था बेचारे का। सबने पूछने की बहुत कोशिश की पर किसी को कुछ बताता ही नहीं है। तुम दोनों पर भोले बाबा जानें क्या मुसीबत आ पड़ी है।" माँ बोले जा रही थी।
"इसका साफ़ मतलब है कि श्राप खत्म नहीं अब शुरू हुआ है और इसका सामना मुझे और सुशान्त को साथ मिलकर करना होगा।" संकेत ने खुद से बुदबुदाया और माँ की गोद में सर रख कर लेट गया।
(शेष अगले अंक में।)