एक उम्र एक ख्वाब
एक उम्र एक ख्वाब
रंज की गुफ्तगू से क्यो रिश्ते में दाग
मोहब्बत की आरजू में ही परवाने जलते है
मुस्कुराकर मिलो सबसे, चार पल की ज़िन्दगी है
वरना ज़नाजे में तो सभी साथ चलते है!!!!
दूसरे के ज़ख्म पर तू लतीफे लिखता हैवो भी तेरे ज़ख्म नमक से भरते है
ज़ख्मो को पिरो दे, बना सबको मुस्तफा
वरना ज़नाजे में तो सभी साथ चलते है!!!!!
बदन की चाह रख, ख़ुद को आशिक कहता है
ऐसे तो यहाँ सिर्फ़ बाजारों में फिरते है
इश्क इबादत है,पाक है, उसे रूह से कर
वरना ज़नाजे में तो सभी साथ चलते है!!!!!गी।”