Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Deepa Joshi

Drama Tragedy

2.3  

Deepa Joshi

Drama Tragedy

गहना

गहना

3 mins
13.9K


माँ के कराहने की आवाज से उसकी तन्द्रा टूटी। जल्दी से उठाकर, सहारा देकर, माँ को पानी पिलाया और सहारा देकर लिटा दिया। दवाई देने से पहले कुछ खिलाना होगा। सोचकर विभा रसोई में आ गई। सारे डिब्बे खाली पड़े थे। फिर से उसकी आँखें भीगने लगी। क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा था। आटे के डिब्बे में थोड़ा सा आटा देखकर उसकी जान में जान आई। आटे को घोल कर लापसी बनाने के लिये चूल्हे पर चढ़ा दिया।

पुराने दिन चलचित्र की भाँति उसकी आँखों के सामने घूमने लगे। सुख का तो पता कभी मिला ही नहीं, पर ऐसा बुरा समय जब माँ भी बिस्तर पर हो, उसने कभी नहीं देखा था। माँ ने दूसरे घरों में चौका-बरतन और दूसरे काम करके किसी तरह उसका लालन-पालन किया और उसे सरकारी स्कूल में पढ़ने भी भेजा।

विभा को याद आया, माँ खुद फटा पहन कर भी उसे कभी फटा पहनने नहीं देती थी, उसके लिए बहुत ही संवेदनशील थी वो। विभा छोटी-सी थी, जब बाप ने खाट पकड़ ली थी।

उसे याद आया कि ऐसा ही एक दिन पहले भी आया था। घर में कुछ भी न था। बाप की दवाई लानी थी। माँ ने अपने बक्से से अपने बचे-खुचे गहने निकाले। छोटी-सी विभा उत्सुकता वश पूछ बैठी, "माई ... इसका क्या करेगी"... माँ अपनी आँखे पोंछ कर बोली, "बेटा.. ये गहना है और गहना मुश्किल के समय काम आता है।"

माँ ने गहने बेचकर बाप का इलाज करवाया पर उन्हें बचा नहीं पाई।

पिता की मृत्यु के बाद वह विभा के लिए माता-पिता दोनों बन गई थी। विभा के लिए माँ ही सब कुछ थी। माँ चाहती थी कि उसे पढ़ा लिखा कर उसके पैरों पर खड़ा कर दें, पर किस्मत को मंजूर नहीं था। माँ की तबीयत खराब रहने लगी थी। माँ उसके लिए बहुत फिक्रमंद रहती। वह चाहती कि माँ के काम में हाथ बँटाये पर माँ इसके लिए तैयार नहीं हुई। थोड़ी बड़ी हो गई थी, तरूणाई दस्तक देने लगी थी। माँ ने उसको एक दुप्पटा लाकर दिया और बोली, "बेटा, याद रखना, शील ही एक लड़की का गहना होता है।"

माँ का मतलब वो अब अच्छी तरह से समझने लगी थी। सिर झुकाकर स्कूल जाती-आती पर माँ की गिरती सेहत देखकर विभा चिन्तित रहने लगी। एक दिन सरकारी अस्पताल ले गई। जाँच हुई तो पता चला माँ को तपेदिक था। डाक्टर से समय पर दवाई और अच्छी खुराक देने की हिदायत लेकर वो लोग वापस आ गए। दूसरे दिन माँ की जगह काम पर जाने को विभा तैयार होकर बोली, "माई, चिन्ता मत करना, मैं तेरा काम दिल लगाकर करूँगी।"

माँ ने विवशता से उसे देखा पर कुछ कह ना सकी। अब शक्ति नहीं बची थी माँ में।

विभा ने घंटी बचाई। मालकिन ने दरवाजा खोला। विभा बोली, "मालकिन, माई बीमार है, अब उसके काम की जिम्मेदारी मेरी है।" मालकिन ने उसे ऊपर से नीचे देखा और बोली, "काम की जिम्मेदारी तो ठीक है, पर तेरी जिम्मेदारी कौन लेगा...? कुछ ऊँच-नीच हो जायेगी तो किसकी जिम्मेदारी होगी। तेरी माँ आ पाये तो ठीक, वरना कोई बड़े उम्र की औरत रख लेंगे हम लोग, तू जा।"

विभा ने सारी तरकीब अपना कर देखा पर इस भीड़ भरी दुनिया में उसके पास दो पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं मिला। आज वह पूरी तरह से निराश हो चुकी थी। कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। आँखें झरना बंद नहीं कर रही थी, उसकी मजबूरी पर। अब तो लापसी बनाने के लिए भी कुछ ना बचा था। माँ की दवा छूटने का मतलब.......माँ से बिछुड़ने की सोचकर विभा की रूह काँप गई।

अचानक उसकी यादों में फिर से दस्तक हुई। विभा एक निश्चय कर उठ खड़ी हुई। हाथ-मुँह धोकर आईने में खुद को देखा। एक गहरी साँस लेते हुए गहरी लिपिस्टिक होठों पर सजा वह हाथ में लाल रूमाल लिए चौराहे पर खड़ी थी। माँ के लिए, आज माँ की सीख उसके कानों में बज रही थी, "बेटी गहने बुरे वक्त पर काम आते हैं, बेटा याद रखना शील ही एक लड़की का गहना होता है।"


Rate this content
Log in

More hindi story from Deepa Joshi

Similar hindi story from Drama