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Ashutosh Atharv

Drama Tragedy

3.3  

Ashutosh Atharv

Drama Tragedy

एक यह भी दुनिया

एक यह भी दुनिया

3 mins
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श्रवण जी अपने कार्यालय के निर्धारित दायित्वों में भी सेंध लगाकर एवं छुट्टी के दिनों में पारिवारिक समय की चोरी कर सोशल मीडिया पर काफी व्यस्त रहते हैं और रहे भी क्यों नहीं ? 5000 फेसबुक फ्रेन्ड और इससे कई गुणा ज्यादा फाॅलोवर की भारी भरकम काल्पनिक परिवार के एक जिम्मेदार सदस्य जो है। इसी के बूते देश दुनिया के सभी सही और भ्रामक खबरों से लैस रहते हैं। बातचीत में ज्यादातर फेसबुक की बातों को प्रभावशाली तरीके से बेहतर ढंग से यथा स्थान देते हैं। इसके अलावा वाट्सअप के भी सैकड़ों ग्रुपों को भी जीवन्त रखने की दायित्व अपने कन्धे पर ले कर चलते हैं। हारमोनियम वादक जितनी चपलता से अपनी उंगलियों को चलाता है उससे ज्यादा कुशलता से मोबाइल पर इनकी उंगुलियाँ सरगम देती है। सुप्रभात से शुभ रात्रि के बीच सभी के सुख दुःख में संवेदनाओं से सिक्त अभिव्यक्ति तो वाट्सअप के प्रवचनों को पोस्ट कर व्यू, लाइक, कमेन्ट और शेयर को गिणती कर वैसे ही आह्लादित होते हैं जैसे काॅमनवेल्थ गेम्स के पदक तालिका को देख भारतवासी।

सब कुछ बहुत बढ़िया चल रहा था कि एक दिन माताजी गंभीर रूप से बीमार हुई और अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। डॉ ने कल सुबह आॅपरेशन के समय ब्लड की व्यवस्था करने की बात श्रवण जी को बताया। अपने सोशल मीडिया के भारी भरकम प्रोफाइल के बल डाॅ. से गर्वीले अंदाज में बताया कि आप ब्लड की चिन्ता ना करे। कल इतने लोग इकठ्ठे होंगे कि पनाले बह निकलेगें, आप केवल उन लोगों के बैठने के लिए 100- 50 कुर्सियों का इन्तजाम कर दे, एक बात और डाॅ. साहब आपके अस्पताल में भर्ती किसी और मरीज को भी ब्लड की आवश्यकता हो तो मुझे खुशी होगी उनकी भी जान बचाकर।

डाॅ साहब के विदा होने पर अपने माताजी के फोटो के साथ बहुत ही मार्मिक शब्दों में रक्त दान के लिए आने और पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की अपील कर रक्त दाताओं के लिए ग्लुकोज और रसगुल्ले के इन्तजाम में निकल गये।

आधे घंटे के अंदर कुछ के में लाइक, कमेंटस्, शेयर की बाढ़ में डूबते-उतराते अस्पताल पहुँचे तो श्रीमती की आवाज कि "परिवार वालों को खबर कर देते है ब्लड के लिए।" से व्यवधान से अजीब मुँह बनाकर बोले 'जरूरत नहीं है' और खो गये कमेंटस् पढ़ने में।

"गेट वेल सून, भगवान हिम्मत दे" आदि से भरे बाॅक्स में कुछ लोगों ने ओल़्ड फोरवर्डेड मैसेज तो कुछ 'अरे बुढ़िया के बदले किसी कन्टाप टाइप कमसिन का फोटो देते तो ज्यादा लाइक और शेयर मिलेगा' सरीखे हल्के मैसेजेज का, मोबाइल को चार्ज में लगा, जवाब देने में श्रवण जी इतने मशगूल थे कि कब सुबह हुई पता ही नहीं चला।

सुबह अपने मोबाइल को लेकर अस्पताल के गेट पर लोगों को रिसीव करने चले गये। इधर डाॅ. द्वारा आॅपरेशन थियेटर से बार-बार ब्लड की माँग करने पर श्रीमतीजी और एक परिवार के सदस्य से निकाले गये ब्लड से माँ जी का आॅपरेशन कर डाॅ. ने उनकी जान बचाई।


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