✍ सोचता हु ज़माने की परवाह क्यू करे हम..?
✍ सोचता हु ज़माने की परवाह क्यू करे हम..?
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सोचता हु ज़माने की परवाह क्यू करे हम जब ज़माना खुद बेफिक्र है उन हादसों से अच्छे बुरे लम्हों से तो हम क्यू फिक्रमंद बने रहे क्यू घबराये उन हादसों से अजी जब जो होना होगा हम उन हालातो से निपट लेंगे मुस्कुराते हुए बस हम हमेशा युही बेफिक्र होकर हसते मुस्कुराते हुए खुश रहेंगे और खुशियाँ बांटते रहेंगे ..!!